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ट्रंप की भारत से और बढ़ी खीझ,नोबेल की लालसा में रद्द किया दिल्ली दौरा, क्वाड सम्मेलन से बनाई दूरी
भारत-अमेरिका रिश्तों में बढ़ी खटास, ट्रंप ने टैरिफ के बाद भारत दौरा और क्वाड सम्मेलन टाला।
भारत और अमेरिका के संबंधों में हाल के महीनों में स्पष्ट रूप से खटास देखी गई है। इसी कड़ी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद अब अपना भारत दौरा रद्द कर दिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ट्रंप अब इस साल भारत में होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जानकारी दी थी कि वे वर्ष के अंत में भारत आएंगे, लेकिन अब उन्होंने यह योजना वापस ले ली है। फिलहाल भारत और अमेरिका दोनों सरकारों की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
रिपोर्ट बताती है कि व्यापारिक तनावों के बीच ट्रंप और मोदी के रिश्तों में दूरी बढ़ी है। खासकर ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष में मध्यस्थता का दावा बार-बार दोहराए जाने से स्थिति और बिगड़ गई। भारत ने इन दावों को सख्ती से खारिज किया है।
मोदी ने मध्यस्थता को किया खारिज
दोनों नेताओं के बीच 17 जून को 35 मिनट की फोन कॉल हुई थी। ट्रंप उस समय कनाडा में हुए जी-7 शिखर सम्मेलन से लौट रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार, इसी बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप को स्पष्ट रूप से कहा कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं रही, और भारत किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस बातचीत के बाद बताया कि सीजफायर की बातचीत भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच द्विपक्षीय सैन्य चैनलों के जरिए हुई थी, जिसकी पहल पाकिस्तान ने की थी।
नोबेल की महत्वाकांक्षा और भारतीय असहमति
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ट्रंप ने फोन कॉल के दौरान फिर से यह कहा कि उन्होंने भारत-पाक युद्ध को टालने में भूमिका निभाई और यह भी कहा कि पाकिस्तान उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने वाला है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि प्रधानमंत्री मोदी को उनका समर्थन करना चाहिए।
मोदी ने इस दावे को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए कहा कि सीजफायर में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी। ट्रंप की इस बात पर अड़ने और मोदी द्वारा नोबेल की दौड़ में समर्थन न देने से दोनों नेताओं के बीच की दूरी और बढ़ गई।
व्हाइट हाउस ने फोन कॉल पर साधी चुप्पी
रिपोर्ट के अनुसार, व्हाइट हाउस ने न तो इस कॉल की पुष्टि की और न ही ट्रंप ने सोशल मीडिया पर इसका कोई ज़िक्र किया। लेकिन ट्रंप 10 मई से अब तक 40 से अधिक बार सार्वजनिक रूप से यह दावा कर चुके हैं कि उन्होंने ही भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया।
न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि यह एक ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति की कहानी है जो नोबेल पुरस्कार की चाहत में भारत की सबसे संवेदनशील विदेश नीति से टकरा बैठा।
भारत पर टैरिफ: सज़ा या रणनीति?
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के कारण ट्रंप ने उस पर 25% टैरिफ लगाने का फैसला किया, जो रणनीतिक की बजाय दंडात्मक कदम माना जा रहा है।
सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज़ (CSIS) में भारत मामलों के अध्यक्ष रिचर्ड रॉसो का कहना है कि यदि यह सचमुच रूस पर दबाव बनाने की नीति होती, तो ट्रंप सभी देशों पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाने की बात करते, न कि सिर्फ भारत को निशाना बनाते। इससे यह स्पष्ट होता है कि मामला केवल रूस से संबंधित नहीं है।
मोदी ने ट्रंप की कॉल का नहीं दिया जवाब
अखबार ने यह भी दावा किया कि जब टैरिफ पर बातचीत विफल हो गई, तो ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से कई बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन मोदी ने उनकी कॉल्स का जवाब नहीं दिया। यही चुप्पी और असहमति अब दोनों देशों के रिश्तों में एक ठंडी दूरी में बदलती दिख रही है।
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