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यूपी के 5,000 सरकारी स्कूलों पर ताला, लाखों बच्चों का भविष्य खतरे में?, प्रियंका गांधी के ट्वीट से मची सनसनी
5000 schools closure in UP: यूपी में 5,000 स्कूल बंद करने की योजना से मचा हड़कंप। प्रियंका गांधी के ट्वीट ने उठाए सवाल– क्या लाखों बच्चों का भविष्य खतरे में है?
5000 schools closure in UP: क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जिस स्कूल में आपके बच्चे पढ़ते हैं, वो एक दिन अचानक बंद हो जाए? एक ऐसा कदम, जो सीधे तौर पर हज़ारों मासूमों के भविष्य पर ताला लगा देगा। उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक ऐसा ही चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसने पूरे देश में खलबली मचा दी है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक धमाकेदार ट्वीट कर योगी सरकार की एक ऐसी 'गुप्त योजना' का पर्दाफाश किया है, जिसके बारे में जानकर हर माता-पिता के पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहे इस ट्वीट ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। सवाल यह कि क्या यूपी में शिक्षा को बढ़ावा देने की बजाय उसे खत्म किया जा रहा है? जिस ट्वीट की हम बात कर रहे हैं, उसने एक बड़े खतरे की घंटी बजा दी है, जो हजारों बच्चों को हमेशा के लिए शिक्षा की मुख्यधारा से अलग कर सकता है।
अंधेरे में हज़ारों बच्चों का भविष्य
प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट में जो खुलासा किया है, वो बेहद गंभीर है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार करीब 5,000 सरकारी स्कूलों को 'विलय' करने के नाम पर बंद करने जा रही है। लेकिन असली डर तो इससे भी कहीं ज्यादा बड़ा है। शिक्षक संगठनों का दावा है कि ये तो सिर्फ शुरुआत है। सरकार की असली मंशा तो करीब 27,000 स्कूलों को बंद करने की है। यह आंकड़ा सिर्फ एक संख्या नहीं है, बल्कि लाखों गरीब और वंचित परिवारों के बच्चों के सपनों का कब्रिस्तान बन सकता है। सोचिए, अगर किसी गांव में स्कूल बंद हो जाता है, तो वहां के बच्चों को पढ़ने के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा। ऐसे में क्या छोटे बच्चे, खासकर लड़कियां, हर दिन इतनी लंबी दूरी पैदल चलकर स्कूल जा पाएंगी? इसका सीधा और कड़वा जवाब है, 'नहीं'। ऐसा कदम सीधे तौर पर उनके पढ़ने का अधिकार छीन लेगा, और मजबूरन उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ेगी।
'शिक्षा के अधिकार' की नींव पर प्रहार?
ये कोई सामान्य सरकारी फैसला नहीं है, बल्कि 'शिक्षा के अधिकार' कानून पर सीधा हमला है। यह वही कानून है जिसे यूपीए सरकार देश में लाई थी, ताकि हर गांव और बस्ती में स्कूल हो और गरीब परिवार के बच्चे भी आसानी से शिक्षा हासिल कर सकें। इस कानून के पीछे का मकसद था कि शिक्षा किसी सुविधा का मोहताज न रहे, बल्कि हर बच्चे का मूलभूत अधिकार बन जाए। लेकिन अब भाजपा सरकार का यह कथित आदेश न सिर्फ इस कानून के खिलाफ है, बल्कि उन तबकों के भी खिलाफ है, जो पहले से ही सबसे अधिक वंचित हैं। यह फैसला दलित, पिछड़े, आदिवासी, अल्पसंख्यक और गरीब तबकों के बच्चों को सीधे तौर पर शिक्षा से दूर कर देगा। जिन बच्चों के पास पहले से ही कम संसाधन हैं, उनके लिए अगर स्कूल ही दूर कर दिए जाएंगे, तो वे आखिर कैसे पढ़ेंगे? यह बात सिर्फ शिक्षा की नहीं है, बल्कि एक पूरी पीढ़ी के भविष्य को खतरे में डालने की है। अगर ये स्कूल बंद होते हैं, तो न सिर्फ बच्चों का भविष्य चौपट होगा, बल्कि समाज में असमानता की खाई और गहरी हो जाएगी।
पूरे यूपी में शिक्षकों और अभिभावकों में हड़कंप
जब से यह खबर सामने आई है, पूरे उत्तर प्रदेश में शिक्षकों और अभिभावकों के बीच हड़कंप मचा हुआ है। सभी इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि जिस सरकार को स्कूलों को और बेहतर बनाना चाहिए, वो उन्हें बंद क्यों कर रही है। ये फैसला उन बच्चों के माता-पिता के लिए एक बड़ा सदमा है, जो अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर बेहतर भविष्य देना चाहते हैं। क्या ये फैसला वाकई बच्चों के हित में है? क्या सरकार ने इन बच्चों के भविष्य के बारे में सोचा है? ये वो सवाल हैं जो हर किसी के मन में उठ रहे हैं। प्रियंका गांधी के इस ट्वीट ने सिर्फ एक खबर नहीं दी है, बल्कि पूरे प्रदेश को एक बड़े खतरे के प्रति आगाह किया है। अब देखना यह है कि सरकार इस मामले पर क्या सफाई देती है और क्या यह योजना रुक पाएगी? या फिर हजारों बच्चों का भविष्य अंधेरे में डूब जाएगा?
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