यूपीएससी धोखाधड़ी मामला: पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेड़कर को सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत

Puja Khedkar UPSC Cheating Case: दिल्ली पुलिस द्वारा विरोध के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने पूजा खेड़कर को राहत दी। पुलिस ने आरोप लगाया था कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की जानी चाहिए।

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Published on: 21 May 2025 3:24 PM IST
Puja Khedkar UPSC Cheating Case
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Puja Khedkar UPSC Cheating Case

Puja Khedkar UPSC Cheating Case: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेड़कर को अग्रिम जमानत प्रदान की है। पूजा खेड़कर पर आरोप है कि उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और विकलांगता कोटा का फर्जी तरीके से लाभ उठाकर 2022 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में चयन प्राप्त किया था। न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने यह निर्णय सुनाया। कोर्ट ने माना कि यद्यपि आरोप गंभीर हैं, लेकिन वे “जघन्य अपराध” की श्रेणी में नहीं आते।

“क्या उसने हत्या की है?” — कोर्ट की टिप्पणी

दिल्ली पुलिस द्वारा विरोध के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने पूजा खेड़कर को राहत दी। पुलिस ने आरोप लगाया था कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की जानी चाहिए।

इस पर अदालत ने कहा,

“उसने कौन सा भयंकर अपराध कर दिया है? क्या वह ड्रग्स माफिया है? क्या वह आतंकवादी है? क्या उसने हत्या की है? वह NDPS की आरोपी भी नहीं है।”

कोर्ट ने यह भी कहा कि “उसने सब कुछ खो दिया है और अब उसे कहीं नौकरी भी नहीं मिलेगी।”

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि दिल्ली हाई कोर्ट को 23 दिसंबर 2024 को अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते समय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उसे राहत देनी चाहिए थी।

मामले की पृष्ठभूमि

पूजा खेड़कर पर आरोप है कि उन्होंने OBC और PwBD (Persons with Benchmark Disabilities) श्रेणियों के तहत झूठे दस्तावेज देकर यूपीएससी में चयन पाया।

यूपीएससी के अनुसार, उन्होंने नाम, माता-पिता के नाम और अन्य व्यक्तिगत जानकारियाँ बदलकर खुद को पात्र दर्शाया और निर्धारित सीमा से अधिक बार परीक्षा में शामिल हुईं।

जुलाई 2024 में दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ FIR दर्ज की, जिसमें धोखाधड़ी, जालसाजी, आईटी अधिनियम और विकलांगता अधिनियम के उल्लंघन के आरोप लगाए गए।

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में पूजा के कृत्यों को संगठित षड्यंत्र बताया था, जिसका उद्देश्य था प्रणाली को गुमराह कर यूपीएससी को धोखा देना। अदालत ने यह भी बताया कि पूजा खेड़कर के परिवार के पास लक्जरी वाहन और कई संपत्तियाँ हैं, जिससे उनकी OBC (नॉन-क्रीमी लेयर) श्रेणी में पात्रता संदिग्ध हो जाती है।

यूपीएससी ने 31 जुलाई 2024 को उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें आगामी परीक्षाओं से स्थायी रूप से अयोग्य घोषित कर दिया। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने IAS (प्रशिक्षु) नियम, 1954 की धारा 12 के अंतर्गत उन्हें सेवा से निष्कासित कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण और शर्तें

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर पूजा खेड़कर की हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि साक्ष्य अधिकांशतः दस्तावेजी हैं। कोर्ट ने जांच एजेंसियों को प्रभावी और शीघ्र जांच पूरी करने का निर्देश दिया और यह भी सुझाव दिया कि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी रोकने के लिए यूपीएससी को बेहतर सत्यापन प्रणाली या सॉफ़्टवेयर विकसित करना चाहिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा, जो पूजा खेड़कर की ओर से पेश हुए, ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट की तीखी टिप्पणियों से उनके मुकदमे पर पूर्वाग्रह (prejudice) पड़ सकता है। इस तर्क से सहमत होते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना कि वह पहले ही अपनी नौकरी और भविष्य की संभावनाएँ खो चुकी हैं।

कोर्ट ने यह भी याद दिलाया कि पूजा खेड़कर को पहले ही 12 अगस्त 2024 से अंतरिम सुरक्षा मिली हुई है, जिसे 21 अप्रैल 2025 तक कई बार बढ़ाया गया, और 2 मई 2025 को उन्हें पूछताछ के लिए पेश होने को कहा गया, जहाँ दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 8 घंटे तक पूछताछ की, लेकिन उनके खिलाफ कोई जबरदस्ती या दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई।

यूपीएससी और दिल्ली पुलिस का विरोध

यूपीएससी और दिल्ली पुलिस दोनों ने अग्रिम जमानत का जोरदार विरोध किया था। उनका तर्क था कि पूजा खेड़कर की कस्टोडियल इंटेरोगेशन (हिरासत में पूछताछ) जरूरी है ताकि पूरी साजिश का पर्दाफाश किया जा सके, क्योंकि यह अकेले नहीं किया जा सकता था।

यूपीएससी ने उनके कार्य को “अभूतपूर्व धोखाधड़ी” बताया जो सिविल सेवा की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाती है।

दिल्ली पुलिस ने यह भी आशंका जताई कि उनका प्रभावशाली और संपन्न परिवार फर्जी प्रमाणपत्रों के निर्माण में मददगार रहा होगा और उन्हें ज़मानत देने से जांच में बाधा या सबूतों से छेड़छाड़ हो सकती है।

निष्कर्ष

अब जब पूजा खेड़कर को सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल चुकी है, उन्हें गिरफ्तारी से राहत मिल गई है, लेकिन उन्हें जांच में पूरा सहयोग देना होगा।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय दर्शाता है कि गैर-हिंसात्मक धोखाधड़ी के मामलों में न्यायिक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है—जहां दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाए, लेकिन अनावश्यक कठोरता से भी बचा जाए।

जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, अधिकारियों का ध्यान अब संभावित सहआरोपियों और यूपीएससी की प्रणालीगत खामियों की पड़ताल पर केंद्रित रहेगा। यह मामला भारत की प्रतिष्ठित सिविल सेवा प्रणाली की ईमानदारी और विश्वसनीयता की रक्षा के लिए बहस का केंद्र बना हुआ है।

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