TRENDING TAGS :
Vice President Election: कौन होगा देश का अगला उपराष्ट्रपति? शशि थरूर बोले- 'खेल तो पहले ही खत्म हो चुका है'
Vice President Election: उपराष्ट्रपति के चुनाव की तारीख नजदीक है, लेकिन कांग्रेस के कद्दावर नेता शशि थरूर ने एक ऐसा बयान दे दिया है जिससे चुनाव से पहले ही हार और जीत का फैसला होता दिख रहा है।
Vice President Election: देश की राजधानी में सियासी पारा तेजी से चढ़ रहा है। उपराष्ट्रपति के चुनाव की तारीख नजदीक है, लेकिन कांग्रेस के कद्दावर नेता शशि थरूर ने एक ऐसा बयान दे दिया है जिससे चुनाव से पहले ही हार और जीत का फैसला होता दिख रहा है। थरूर ने साफ शब्दों में कहा- “जो नाम सत्ता पक्ष से आएगा, वही अगला उपराष्ट्रपति बनेगा।” अब यह सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि विपक्ष की हताशा और सत्तारूढ़ दल की ताकत की कहानी बन चुकी है।
“लड़ाई नहीं, औपचारिकता है ये चुनाव” – शशि थरूर
भारत के अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव 9 सितंबर 2025 को होने जा रहा है। चुनाव आयोग ने गुरुवार को इसकी घोषणा की और साफ किया कि निर्वाचन मंडल का गठन पूरा हो चुका है। इसी बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने जिस अंदाज में इस चुनाव को सत्ता पक्ष की जेब में बताया, उससे राजनीतिक गलियारों में नई बहस शुरू हो गई है। थरूर ने कहा, “कोई भ्रम में न रहे कि यहां कोई कड़ा मुकाबला होगा। ये चुनाव सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सांसद मिलकर करते हैं और हम सब जानते हैं कि बहुमत किसके पास है। राज्य विधानसभाएं इसमें हिस्सा नहीं लेतीं, इसलिए यह लगभग तय है कि जीत सत्ता पक्ष की ही होगी।” उनके इस बयान को विपक्ष की ओर से ‘मनोबल गिराने वाली स्वीकारोक्ति’ माना जा रहा है।
धनखड़ की विदाई ने खोला नया अध्याय
देश के वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक 21 जुलाई 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए कार्यकाल खत्म होने से दो साल पहले ही कुर्सी छोड़ दी। अगस्त 2022 में पद संभालने वाले धनखड़ की विदाई ने राजनीतिक हलकों में अटकलों का बाजार गर्म कर दिया। अब सबकी नजर नए चेहरे पर है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या विपक्ष इस बार भी केवल तमाशबीन बना रहेगा या कुछ चुनौती देगा?
भाजपा में नामों पर चल रही है माथापच्ची
भले ही शशि थरूर ने चुनाव को एकतरफा करार दे दिया हो, लेकिन भाजपा और एनडीए खेमे में अभी तक उम्मीदवार के नाम पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है। पार्टी सूत्रों के अनुसार कुछ नामों पर गहन चर्चा चल रही है और अगस्त के मध्य तक किसी चेहरे की घोषणा हो सकती है। कहा जा रहा है कि इस बार भाजपा किसी ऐसे चेहरे को उतार सकती है जो न सिर्फ राजनीतिक रूप से सशक्त हो बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी बड़ा संदेश दे। कुछ लोगों का मानना है कि दक्षिण भारत या पूर्वोत्तर से कोई चेहरा इस बार बाज़ी मार सकता है।
क्या विपक्ष सिर्फ तमाशबीन रहेगा?
इस पूरे चुनावी माहौल में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या विपक्ष मैदान में उतरकर मुकाबला करेगा या पहले से ही हार मान चुका है? शशि थरूर के बयान ने विपक्ष की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि विपक्ष पहले ही मान ले कि हार निश्चित है, तो यह लोकतंत्र के लिए एक नकारात्मक संकेत हो सकता है। हालांकि कांग्रेस की ओर से अब तक कोई आधिकारिक उम्मीदवार सामने नहीं आया है, लेकिन कुछ नेताओं का मानना है कि "लड़ाई लड़ना जरूरी है, परिणाम चाहे जो भी हो।"
आंकड़ों का खेल या जनमत की जीत?
भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव संविधान के अनुच्छेद 66 के तहत होता है, जिसमें केवल संसद के सदस्य भाग लेते हैं। इस बार के लोकसभा चुनावों में एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिला है, और राज्यसभा में भी उसका दबदबा कायम है। ऐसे में शशि थरूर का बयान भावनात्मक नहीं बल्कि सच्चाई के काफी करीब माना जा सकता है। लेकिन लोकतंत्र में हर चुनाव उम्मीद और संघर्ष का नाम होता है। देखना यह है कि क्या विपक्ष इस बार सिर्फ आंकड़ों से डरकर मैदान छोड़ देगा या फिर एक वैचारिक लड़ाई लड़ेगा भले ही नतीजा तय क्यों न हो।
उपराष्ट्रपति का चुनाव सिर्फ एक पद की लड़ाई नहीं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक परंपराओं की परीक्षा है। शशि थरूर की बातों से चाहे जो संकेत मिले हों, लेकिन जनता यह जरूर देख रही है कि कौन खड़ा होता है और कौन पहले ही घुटने टेक देता है। आने वाले दिनों में कौन उम्मीदवार होगा, यह भले ही रहस्य बना रहे, लेकिन इतना तय है कि यह चुनाव सत्ता बनाम नैतिकता की दिलचस्प कहानी बनता जा रहा है।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!