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Weather Update: सितंबर से लौट रहा है 'ला नीना', होगी ज्यादा बारिश और कड़ाके की ठंड
सितंबर से लौटेगा ला नीना, बढ़ेगी बारिश और पड़ेगी हड्डी कंपा देने वाली कड़ाके की ठंड।
Aaj ka Mausam News (Social Media image)
Weather Update: देशभर के कई राज्यों में भारी बारिश से हालात बिगड़ चुके हैं। खासकर पंजाब और हरियाणा में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। इसी बीच विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने चेतावनी दी है कि सितंबर से बारिश और बढ़ सकती है और ला नीना की भी वापसी हो सकती है।
मौसम को लेकर WMO की चेतावनी
WMO का कहना है कि इस साल सितंबर से ‘ला नीना’ वापस लौट रहा है। इसके चलते भारत में ठंड के महीनों में तापमान में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है। यानी इस बार उत्तर भारत में हड्डियां कंपा देने वाली सर्दी पड़ सकती है।
अल नीनो और ला नीना में अंतर
अल नीनो: यह स्थिति तब होती है जब पेरू के पास समुद्र का पानी गर्म हो जाता है। इसका असर भारत के मानसून पर पड़ता है और बरसात कमजोर हो जाती है। सर्दियां भी सामान्य से गर्म रहती हैं।
ला नीना: अल नीनो से उलट ला नीना में समुद्र का पानी ठंडा हो जाता है, जिससे भारत में मानसून तेज़ होता है और जमकर बारिश होती है। इसके अलावा सर्दियां सामान्य से ज्यादा ठंडी पड़ती हैं।
कितने समय तक रहता है असर?
अल नीनो आमतौर पर एक साल से ज्यादा समय तक नहीं रहता, जबकि ला नीना का असर 1 से 3 साल तक बना रह सकता है।
मार्च से तटस्थ स्थिति क्या है?
मार्च 2025 से अब तक समुद्र की सतह का तापमान सामान्य बना हुआ है। लेकिन मौजूदा वक्त के हालातों को देखते हुए यह कहा जा सकता है की सितंबर से हालात बदलकर धीरे-धीरे ला नीना का रूप ले सकते हैं।
सितंबर से नवंबर 2025 के बीच ला नीना बनने की संभावना 55 प्रतिशत बनी है। वहीं अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच यह संभावना बढ़कर 60 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
वैश्विक तापमान पर असर
रिपोर्ट के मुताबिक, ला नीना के बावजूद दुनिया के कई हिस्सों में तापमान औसत से अधिक ही रहने की संभावना है। इसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है, जिसका असर लगातार देखने को मिल रहा है।
क्यों है यह पूर्वानुमान जरूरी?
WMO का कहना है कि ऐसे पूर्वानुमान कृषि, स्वास्थ्य, ऊर्जा और परिवहन जैसे क्षेत्रों के लिए बेहद मददगार साबित होते हैं। अगर आपको पहले से स्थिति के बारे में जानकारी रहेगी तो सही तैयारी की जा सकती है। इससे न सिर्फ आर्थिक नुकसान रोका जा सकता है, बल्कि हजारों लोगों की जान भी बचाई जा सकती है।
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