WHO ने बताया भारत की तीन सिरप जहर समान! बच्चों की मौत से मचा हड़कंप

WHO Warning For Syrups: डब्ल्यूएचओ ने भारत में बनी तीन जहरीली कफ सिरप की पहचान की है, जिनमें से एक में ज़हरीला रसायन डीईजी मिलने से बच्चों की मौतें हुईं।

Akriti Pandey
Published on: 14 Oct 2025 4:16 PM IST
WHO Warning For Syrups
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WHO Warning For Syrups

WHO Warning For Syrups: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में भारत में बनी तीन मिलावटी दवाओं की पहचान की है, जिनमें सबसे अधिक चर्चा में कोल्ड्रिफ कफ सिरप रहा है। यह सिरप तमिलनाडु स्थित श्रीसन फार्मास्युटिकल्स कंपनी द्वारा बनाया गया था। इस मामले ने तब जोर पकड़ा जब मध्य प्रदेश में कई बच्चों की मौतें हुईं, जिससे पूरे देश में चिंता की लहर फैल गई।

कोल्ड्रिफ सिरप में पाया गया जहरीला रसायन

डब्ल्यूएचओ की जांच में यह पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) नामक जहरीला रसायन खतरनाक मात्रा में मौजूद था। डीईजी एक विषैला केमिकल है जो किडनी और लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है और विशेष रूप से बच्चों के लिए जानलेवा हो सकता है। जांच में सामने आया कि सिरप में डीईजी की मात्रा 48 प्रतिशत से भी अधिक थी, जबकि इसकी सुरक्षित सीमा केवल 0.1 प्रतिशत होनी चाहिए। यह बात बेहद चिंताजनक है क्योंकि इससे शरीर पर गम्भीर प्रभाव पड़ सकते हैं।

WHO की तरफ से दो और सिरपों की चेतावनी

कोल्ड्रिफ के अलावा डब्ल्यूएचओ ने दो और सिरपों को भी चेतावनी में शामिल किया है। इनमें से पहला रेडनेक्स फार्मास्युटिकल्स का रेस्पिफ्रेश टीआर है और दूसरा शेप फार्मा की रीलाइफ। डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों से आग्रह किया है कि यदि ये सिरप कहीं भी पाए जाएं तो तुरंत डब्ल्यूएचओ को इसकी सूचना दें ताकि समय रहते उचित कार्रवाई की जा सके।

कंपनी के मालिक गिरफ्तार

कोल्ड्रिफ सिरप की जांच के बाद सरकार ने श्रीसन फार्मास्युटिकल्स की दवा बनाने की अनुमति तत्काल रद्द कर दी। कंपनी के मालिक जी. रंगनाथन को गिरफ्तार भी किया गया। तमिलनाडु में स्थित अन्य दवा कारखानों की भी कड़ी जांच शुरू कर दी गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं और भी गुणवत्ता में लापरवाही तो नहीं हो रही।

2 साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप देने से किया गया मना

मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें विशेष रूप से कहा गया है कि दो साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप बिल्कुल न दिया जाए। पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भी केवल आवश्यकतानुसार ही कफ सिरप दिया जाना चाहिए। साथ ही सरकार ने डॉक्टरों और फार्मेसियों को सख्त हिदायत दी है कि वे बच्चों के लिए दवाइयों को अत्यंत सावधानी से ही लिखें और वितरित करें।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ का क्या मानना है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस घटना को भारत की दवा कंपनियों की निगरानी प्रणाली में गंभीर खामी के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि अब समय आ गया है कि दवा निर्माण और वितरण पर कड़ी नजर रखी जाए और हर बैच की गुणवत्ता जांच सुनिश्चित की जाए। इसके बिना इस तरह की जानलेवा घटनाओं को रोका नहीं जा सकता। यह मामला भारत की फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री के लिए एक गंभीर चेतावनी भी है कि दवा सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए ताकि आम जनता विशेषकर बच्चों की जान सुरक्षित रह सके।

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