भारत की वो जाबाज़ महिला अधिकारी जिससे कांप गयी पकिस्तान रूह... 'ऑपरेशन सिंदूर' में दुश्मनों को चटाई धूल !

Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर... दुश्मनों को दी गयी मात्र एक जवाबी कार्रवाई नहीं है बल्कि यह एक बड़ा संदेश है कि भारत अब सिर्फ उत्तर नहीं बल्कि वह एक रणनीति के साथ नेतृत्व करता है।

Newstrack          -         Network
Published on: 8 May 2025 6:55 PM IST
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Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर... दुश्मनों को दी गयी मात्र एक जवाबी कार्रवाई नहीं है बल्कि यह एक बड़ा संदेश है कि भारत अब सिर्फ उत्तर नहीं बल्कि वह एक रणनीति के साथ नेतृत्व करता है। आतंक को जड़ से खत्म करने की ताकत रखता है। भारत ने 7 मई की रात आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। भारतीय सेना ने बुधवार की रात 'ऑपरेशन सिंदूर' कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान और PoK के 9 आतंकी ठिकानों के चिथड़े उड़ा दिए। ये वही ठिकाने हैं, जहां से आतंकवाद भारत पर लगातार नज़र बनाये रखता था और साजिश को अंजाम दिया जा रहा था।

'ऑपरेशन सिंदूर' का मतलब ?


7 मई बुधवार की रात का समय था। किसी को अंदाजा भी नहीं था की भारत देर रात क्या करने वाला है। लोग गहरी नींद में सो रहे थे और देर रात 1 बजे अचानक फोन आना शुरू हो गया। उस वक़्त लगने लगा जैसे कि कोई बड़ी घटना होने जा रही हो। फोन उठाते ही लोगों को पता चला कि भारत ने पाकिस्‍तान पर हमला कर दिया है। भारत ने पाकिस्तान के कुल 9 जगहों को टागरेट किया, जो कि पूरी तरह से आतंकियों के ठिकाने थे। उनपर ताबड़तोड़ हवाई हमला किया गया था। पाकिस्‍तान की हुकूमत से लेकर आर्मी तक की हालत ख़राब हो गयी है। पाकिस्‍तान के पीएम शाहबाज शरीफ की रात नींद उड़ चुकी है। जहां भारतवासियों ने खुशियां मनानी शुरू कर दीं, वहीं पड़ोसी देश में हलचल मच गई। इस तरह भारत ने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए अपने 26 लोगों का बदला ले ही लिया और इस पूरी सैन्‍य अभियान द्वय की गयी कार्रवाई का नाम रखा गया ऑपरेशन सिंदूर..

भारत की शान- विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफ़िया कुरैशी


जब भी भारत की सरहदों के पार से आतंकी साज़िशें रची जाती हैं, तो भारतीय सेना सिर्फ उसका जवाब नहीं देती बल्कि वह इतिहास रचती है। और इस बार, उस इतिहास में हमारे देश की दो नारी शक्ति के नाम दर्ज हुए हैं- कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह। भारतीय सेना द्वारा हाल ही में अंजाम दिए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' की जानकारी जब मीडिया को दी गई, तो मंच पर दो जांबाज़ महिला अधिकारी मौजूद थीं। एक भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह और दूसरी भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी। दोनों जाबाज़ महिलाओं ने जिस ठोस और साहसी अंदाज़ में इस ऑपरेशन की हर जानकारी साझा कीं, वह केवल सैन्य अनुशासन ही नहीं, बल्कि भारत में रहने वाली हर महिला के लिए नारी शक्ति की प्रेरणादायक मिसाल बनीं।

कौन हैं विंग कमांडर व्योमिका सिंह ?


व्योमिका सिंह, भारतीय वायुसेना की एक प्रतिभाशाली और साहसी विंग कमांडर हैं। उन्होंने अपने साहस, नेतृत्व और उत्कृष्ट कार्यशैली के बल पर भारतीय वायुसेना में अपनी अलग पहचान बनाई है। विंग कमांडर व्योमिका सिंह का नाम तब सुर्खियों में आया जब साल 2024 में रेपब्लिक डे पर भारतीय वायुसेना की महिला मोटर-साइकिल टीम का नेतृत्व करती हुई देखी गयी थीं। व्योमिका सिंह भारतीय वायुसेना की पहली महिला अधिकारी हैं जिन्होंने इस टीम को राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर परेड में लीड किया था। उनकी इस प्रकार से हिस्सेदारी नारी सशक्तिकरण का प्रतीक और देशभर की महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी। व्योमिका सिंह अपनी ट्रेनिंग और सेवा के दौरान कई मिशनों का अहम हिस्सा रह चुकी हैं। उनकी गिनती भारतीय वायुसेना की कुशलतम और जाबाज़ अधिकारियों में होती है। वो अपने परिवार में सशस्त्र बलों में शामिल होने वाली पहली महिला हैं। पिछले 21 साल से एयरफोर्स में अपनी सेवाएं दे रही हैं।

व्योमिका सिंह का योगदान:

- व्योमिका सिंह ने देश की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लिया है, ताकि नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा मिले।

- भारतीय महिलाओं को देश की रक्षा सेवाओं में आने के लिए प्रेरित करती हैं।

व्योमिका का करियर

व्योमिका, जिसका अर्थ है "आसमान में रहने वाली" से प्रेरित होकर, वह छठी कक्षा से ही पायलट बनने का सपना देखती थी। अपनी रुचि को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने नेशनल कैडेट कोर (NCC) में दाखिला लिया। उसके बाद इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की, जिससे वह अपने परिवार में सशस्त्र बलों का हिस्सा बनने वाली पहली महिला बन गईं। बता दे, व्योमिका सिंह को साल 2019, 18 दिसंबर को भारतीय वायु सेना में उड़ान शाखा में स्थायी कमीशन प्रदान किया गया। अबतक उन्होंने तकरीबन 2,500 घंटे से अधिक उड़ान का समय अर्जित किया है, जिसमें उन्होंने भारत के कुछ सबसे कठिन इलाकों में चेतक और चीता हेलीकॉप्टर उड़ाए हैं।

कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?


कर्नल सोफिया कुरैशी, भारतीय सेना की कॉर्प्स ऑफ़ सिग्नल्स की एक जाबाज़ और सम्मानित अधिकारी हैं। वे न केवल उच्च सैन्य पद पर पहुंची हैं, बल्कि उन्होंने कई ऐतिहासिक उपलब्धियाँ (Achievements) भी अपने नाम किया है। साल 2016 में उन्होंने 'एक्सरसाइज फोर्स 18' नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना को लीड किया था। बता दे, यह अभ्यास भारत में अबतक हुए सभी सैन्य अभ्यास में से सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास था और कर्नल सोफिया इसमें 18 देशों की टुकड़ियों में एकमात्र महिला कमांडर थीं। यह न केवल भारत, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी नेतृत्व क्षमता का परिचय था।

कर्नल सोफिया की प्रमुख उपलब्धियां:

- साल 2016 में कर्नल सोफ़िया कुरैशी को संयुक्त राष्ट्र (UN Peacekeeping Mission) को लेकर एक भारतीय बटालियन की कमान सौंपी गई थी।

- कर्नल सोफिया भारतीय सेना की सिग्नल कोर का अहम हिस्सा हैं।

-वह अमेरिका में आयोजित यूएन मिशन ट्रेनिंग प्रोग्राम (UN Mission Training Program) का भी हिस्सा ले चुकी हैं और उसमें उनका उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था।

सोफिया का सैनिक बनने का सफर

गुजरात के वडोदरा शहर की रहने वाली सोफिया कुरैशी ने एम.एस. यूनिवर्सिटी से बायोकेमिस्ट्री में मास्टर्स डिग्री हासिल किया है। विज्ञान की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने जीवन का मार्ग देश की सेवा करना चुना। ये उनके लिए एक ऐसा निर्णय था, जो उनके साहस और दृढ़ निश्चय को दर्शाता है। वह भारतीय सेना में सिग्नल कोर का हिस्सा हैं, जहां संचार और तकनीकी युद्ध कौशल की अहम भूमिका होती है। बता दे, कर्नल सोफ़िया कुरैशी भारतीय सेना की पहली महिला अधिकारी हैं जिन्होंने एक पुरुष-प्रधान बटालियन का नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया है।

ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम

ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय सेना ने उस वक़्त अंजाम दिया, जब कुछ खुफिया रिपोर्ट्स से यह जानकारी सामने आयी कि सीमापार एक बड़े आतंकवादी शिविर में घुसपैठ की योजना बनाई जा रही है। यह कार्रवाई केवल भारतीय सैन्य बल का नहीं बल्कि सटीक खुफिया जानकारी, लगातार तकनीकी निगरानी और बहुस्तरीय समन्वय का परिणाम थी। इस कार्रवाई में कर्नल सोफिया कुरैशी का बड़ा योगदान रहा। साथ ही इस ऑपरेशन की प्लानिंग में सिग्नल इंटेलिजेंस और साइबर सर्विलांस की अहम भूमिका रही, जिसे सफलतापूर्वक निर्देशित करने की जिम्मेदारी कर्नल कुरैशी के कंधों पर थी।

'सिंदूर' का प्रतीकात्मक महत्व

महाभारत में जब द्रौपदी का चीरहरण हुआ, तब पांडवों ने प्रण लिया कि वे उस अपमान का बदला निश्चित लेंगे। उसी प्रकार 'ऑपरेशन सिंदूर' उस अपमान का एक जीता जागता उदहारण है। ऑपरेशन सिंदूर मात्र एक सैन्य अभियान नहीं है, बल्कि यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक युद्ध की चेतना का प्रतीक है, जो महाभारत के उस युद्ध की याद दिलाता है जहाँ न्याय, सम्मान और धर्म के लिए युद्ध लड़ा गया था। जब भी देश पर संकट आता है, भारत की धरती फिर से किसी कुरुक्षेत्र में बदल जाती है और वीर योद्धा वे अर्जुन हों या आज के भारतीय सैनिक धर्म और सम्मान के लिए रणभूमि में मर-मिटते हैं।

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत...

श्रीकृष्ण के इस श्लोक के अनुसार, कि जब-जब अधर्म बढ़ता है, तब-तब धर्म की स्थापना के लिए अवतार होता है। 'ऑपरेशन सिंदूर' उसी पौराणिक चेतना का आधुनिक रूप है।

इतिहास रच रही हैं महिलाएं


आज जब भारतीय सेना बुलंदियों पर है, उसमें महिलाओं की भागीदारी बड़ी भूमिका निभा रही है। कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह जैसी अधिकारी सिर्फ मिसाल नहीं, बल्कि एक नया युग रच रही हैं। विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफ़िया कुरैशी जैसी साहसी महिलाएं भारत की रक्षा सेवाओं में नारी शक्ति जीता-जगता उदाहरण हैं। इनकी कहानियों से न केवल देश को गर्व होगा, बल्कि ये देश की बेटियों को यह संदेश देती हैं कि अगर हौसला बुलंद हो, तो कोई भी सपना हकीकत बन सकता है।

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