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Ahmedabad Plane Crash: अहमदाबाद विमान हादसा, अरे ऐसे कैसे क्रैश हो गया ड्रीमलाइनर!
Ahmedabad Plane Crash: अहमदाबाद में हुए बोईंग ड्रीमलाइनर के इतने बड़े हादसे के बाद हर कोई कई तरह की अटकलें लगा रहा है कि आखिर इतना बड़ा हादसा जहाज़ के उड़ान भरने के चंद मिनट के भीतर कैसे हुआ?
Ahmedabad Plane Crash (Image Credit-Social Media)
Ahmedabad Plane Crash: दुनिया में पहली बार किसी बोईंग ड्रीमलाइनर के इतने बड़े हादसे के बाद दुनिया भर के सिविल एविएशन में भय व आशंका का उत्पन होना लाजिमी है। रन वे से केवल डेढ़ किलोमीटर दूर और 625 फ़िट ऊँचाई तक पहुँचे जहाज़ का उड़ान भरने के चंद मिनट के भीतर एक ऐसी दुर्घटना का शिकार होना जिसमें जहाज में सवार 241 लोग की मौत हो गयी हो। यह कई तरह के सवाल खड़े करता है। हकीकत तो ब्लैक बॉक्स की जाँच के बाद ही सामने आ पायेगी। पर अनुमान व अटकल लगाने की प्रक्रिया थम ही नहीं रही है। इन अनुमानों व अटकलों के बीच Newstrack ने देश के कुछ ऐसे पायलटों से बात की जो आज भी कहीं न कहीं बोईंग उड़ा रहे हैं। कुछ ऐसे इंजीनियरों से बात की जो एयरपोर्ट पर जहाज़ों की उड़ान से पहले जाँच परख कर उड़ने की उन्हें अनुमति देते हैं।
इन सब ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर जो कुछ बताया उसमें कई तरह की बाते सामने आई हैं-
1-जहाज से कोई पक्षी टकराया हो।
2-पायलट थके हुए हों।
3-कहीं विमान का रैम एयर टर्बाइन इन एक्टिव तो नहीं था।
4-लगता है टेक ऑफ के दौरान विमान के फ्लैप्स न खोल गये हों।
5-ईंधन में कोई कंटिमेशन हो।
अब हम अनुभवी पायलटों व इंजीनियरों द्वारा लगाये गये अनुमान की एक एक करके पड़ताल करते हैं।
सबसे पहले हम इस बात की पड़ताल करते हैं कि अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ने वाले बोईंग ड्रीमलाइनर के उड़ान के एक मिनट के भीतर ही दोनों इंजनों के काम करना बंद करने की वजह विमान से किसी पक्षी का टकराना तो नहीं हो सकता है। यह सही है कि विमान के इंजन में यदि कोई पक्षी चला जाये तो इंजन की पॉवर ख़त्म हो जाती हैं। अहमदाबाद एयरपोर्ट पक्षी टकराने की घटनाओं को लिए कुख्यात है। बीते पांच सालों में यहां विमानों से पक्षी के टकराने की 462 घटनाएँ घटीं।अकेले 2020-2023में इनकी संख्या 38 थी।
2009 में सीगल पक्षियों का एक झुंड 2700 फ़ीट की ऊँचाई पर विमान के इंजन में चला गया। इसी साल की “ मिरेकिल ऑन द हडसन” घटना की भी चर्चा एविएशन इंडस्ट्री में आज भी होती है। इसमें अमेरिकी एयरबस ए-320 के न्यूयार्क के लागार्डिया एयरपोर्ट से उड़ान भरने के थोड़ी देर बाद ही पक्षी से टकराने के चलते विमान के दोनों इंजन बंद हो गये। पर पायलट ने विमान को सुरक्षित लैंड करा लिया। यही नहीं अहमदाबाद एयरपोर्ट पर तैनात एक वैमानिक इंजीनियर का कहना है कि यदि विमान टकराने से यह हादसा हुआ होता तो विमान के पिछले हिस्से से धुआँ निकलता ? पर वीडियो इस बात की कोई ऐसी गवाही नहीं देते हैं।
दूसरी,पायलटों के थके होने की बात को भी सिरे से इसलिए ख़ारिज किया जा सका है क्योंकि फ्लाइट दिन की थी। यही नहीं, कैप्टन सुमित सब्बरवाल और क्लाइव कुंदर जहाज़ उड़ा रहे थे। इनके पास 9000 घंटे जहाज उड़ाने का अनुभव था। सब्बरवाल के पास 22 सालों से कामर्शियल लाइसेंस है।
तीसरी आशंका रैम एयर टर्बाइन से जुड़ी है। यह विमान में आपातकालीन बैक अप टर्बाइन होती है। इसका काम तब शुरु होता है जब इंजन विमान को बिजली देना बंद कर देता है। हादसे के वीडियो बताते हैं कि विमान में थ्रस्ट या पावर की कमी थी। तभी वह ऊपर उठने के लिए संघर्ष कर रहा था।
चौथी आशंका विमान के उड़ाने के दौरान पायलट द्वारा फ्लैप्स न खोले जाने की संभावना से जुड़ी है। टेक ऑफ के समय इनकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है।इनका काम कम गति पर भी विमान को अधिकतम लिफ्ट देना होता है। यदि फलैप्स न खोले गये हों तब भी एक बोइंग को टेक ऑफ करने में संघर्ष करना पड़ेगा। इसके साथ ही अगर फ्लैप्स बंद हों तो कंफिगरेशन वार्निंग सिस्टम चेतावनी देगा।किसी पायलट से किसी भी चेतावनी को अनदेखा करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। वैसे फ्लैप्स पायलट खुद सेट करते हैं। सेटिंग के वेरिफ़िकेशन की कई प्रक्रियाएं होती हैं। एक वैमानिक इंजीनियर ने यह बताया कि पिछले ही सप्ताह इस ड्रीम लाइनर का इंजन पूरी तरह चेक हुआ था।
अब अंतिम आशंका ईंधन के कंटिमेनेटेड होने की भी पड़ताल जरूरी हो जाती है। ज़्यादातर पायलट व वैमानिक इंजिनियर ईंधन के कंटिमेनेटेड होने की आशंका भी जताते हैं। उनका कहना है कि ईंधन के कंटिमेनेटेड होने की वजह से ईंधन इंजन में न जाकर के बीच में रुक गया हो। ऐसे में हमने यह भी जानने की कोशिश की कि यदि ईंधन नहीं पहुँचा , बीच में रुक गया ऐसे में इंजन स्टार्ट कैसे हुआ तो एक वैमानिक इंजीनियर ने बताया कि पाइप लाइन में इतना ईंधन होता है कि एक दो मिनट काम चलाया जा सके।
ये हादसे की वजहें बताई जा रही हैं, पर असलियत का पता तभी चल पायेगा जब सरकार द्वारा बिठाई गई जाँच के नतीजे नहीं आते । जाँच टीम ब्लैक बॉक्स ले गयी है। ब्लैक बॉक्स असल में विमान (या जहाज आदि) में लगा एक विशेष उपकरण होता है जो उड़ान के दौरान विमान से जुड़ी बेहद अहम जानकारियाँ रिकॉर्ड करता है। यह किसी भी विमान दुर्घटना की जाँच में बहुत काम आता है।
ब्लैक बॉक्स दो हिस्सों में बँटा होता है:
फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर-यह विमान की उड़ान से जुड़ी तकनीकी जानकारियाँ रिकॉर्ड करता है, जैसे —गति, ऊँचाई, इंजन की स्थिति, रडार, सेंसर आदि के आंकड़े, विमान का झुकाव, दिशा आदि।इसमें हजारों पैमानों की जानकारी होती है।
कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर+ यह विमान के कॉकपिट में पायलट और को-पायलट की बातचीत रिकॉर्ड करता है।साथ ही, कॉकपिट के अंदर के बाकी आवाजें भी रिकॉर्ड होती हैं (जैसे अलार्म, उपकरणों की आवाजें आदि)। इसमें एक विशेष बीकन (लोकेटर) भी होता है जो दुर्घटना के बाद 30 दिन तक सिग्नल भेजता है जिससे उसे ढूंढा जा सके। मजेदार बात यह है कि इसका नाम तो “ब्लैक बॉक्स” है, लेकिन असल में यह नारंगी रंग (Orange) का होता है। ऐसा इसलिए ताकि हादसे के बाद उसे मलबे में आसानी से ढूंढा जा सके।
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