Best Motivation Poems in Hindi: रस की तलाश

Best Motivation Poems in Hindi: ये कविताएं आपको कुछ ऐसी रीतियों, कुछ ऐसे दृश्यों से परिचित कराएंगी जो शायद नई पीढ़ी ने देखी और महसूसी भी न हों।

Yogesh Mishra
Published on: 9 Sept 2025 7:00 AM IST
Best Motivation Poems in Hindi
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Best Motivation Poems in Hindi

Best Motivation Poems in Hindi: मैं खुद को कवि नहीं मानता। मैं मूलतः लेखक हूं। लेखक होने के नाते विचार हैं, संवेदनाएं हैं। संवेदनाएं जब रसधार में डूबती हैं तो जो अभिव्यक्त होता है उसे आप कविता कह सकते हैं या साहित्य के किसी भी दूसरे शिल्प का नाम दे सकते हैं। रससिक्त संवेदना ही कविता होती है। अपने अंदर उठते संवेगों को अभिव्यक्त करने का ढंग कविता ही है। हर मनुष्य का स्वभाव और अंदाज अलग होता है। हर कविता का रूप, स्वरूप, स्वभाव और मिजाज़ अलग-अलग होता है। कविता के बारे में भले कोई सर्वमान्य पैमाना तय करे लेकिन मेरे लिये कविता वही है जिसमें शब्द जुड़ते जाते हैं। विचारों की लय बनती है। और संवेदनाएं पाठक या श्रोता तक संप्रेषित होने लगती है।

किशोरावस्था को पार कर तरुणाई में हम जैसे तमाम युवाओं को उनकी नायिकाएं मिलती हैं। वह दौर ही कुछ और होता है जब ग़ालिब के लफ़्जों में उसी को देख कर जीना और उसी काफिर पे दम निकलना दोनों हो। ये हालात दिल के किसी कोने में रह गई खुरचन सी टीस देते हैं। कॉलेज, यूनिवर्सिटी छोड़कर ज़िंदगी का एक सफर पूरा करने के बाद भी यह टीस कई बार बेचैन कर देती है। रातों की नींद छीन लेती है। पुरानी डायरी, किताबों, ख़तों और कॉपियों में लिखे वे टुकड़े मैं तो आज भी अपनी थाती समझकर ढो रहा हूं।

मैं आज भी जब उस कल में जाता हूं तो फिर से उन लम्हों को जीना चाहता हूं। कागज के उन बदरंग हो चले टुकड़ों में सृजित साहित्य, जो कुछ पीछे छोड़ आया या वक्त ने छुड़ा दिया, आज भी मुझे अपना सा लगता है। सब कुछ पाकर भी सब कुछ खो चुकने का अहसास आज भी सालता है। दिल यह मानने को तैयार नहीं होता कि जो छूट गया एक सपना था। जिंदगी से जो कुछ मिला वह आज एक समझौता सा लगता है। इसके लिए बहुत कुछ खोना पड़ा, कुर्बान करना पड़ा। हालांकि यह किसी की जबर्दस्ती नहीं है।

यूनिवर्सिटी के दिनों के कागजों के टुकड़ों को सिलसिलेवार किया तो लगा कि इसमें छल, कपट, द्वेष कुछ भी नहीं। इसमें किसी को नीचा दिखाने या ऊंचा उठाने की कोई तमन्ना नहीं है। इसमें कुछ पाने की लालसा नहीं है। इसमें पसर जाने की अभिलाषा नहीं है। अदम्य काम नहीं है। इनमें एक स्पर्श है, एक अहसास है, कहीं मनुहार है तो कहीं शिकवे, शिकायतें हैं, कहीं जिंदगी झांकती है तो कहीं तनहाई है, कहीं बेबसी है तो कहीं न होने का गम तो कहीं होने की खुशी।

‘कॉलेज की लड़कियाँ’ इन्हीं एहसासों की आवाज़ है। जो मेरे वजूद में अनहद नाद की तरह गूंजती हैं। इसकी कविताएं सृजन की ऊष्मा के एक ऐसे विराट विस्फोट की कामना करती हैं जिसमें यह किसी के समूचे संसार में उस तरह टूटकर बिखर जाएं जैसे कोई किसान खेतों में बीज डालता है। इसकी कविताएं हमारी वास्तविकताओं और सपनों के आख्यान हैं। इन्हें पढ़ते हुए आपको शायद आत्म कथात्मक अनुभूति हो। इसमें जीवन में फैली विरह की महक है। घनघोर प्रेम का अनुभव गुंथा है। उत्तर आधुनिकताकाल में मानवीय संबंधों और संवेदनाओं से पीड़ित प्रेम की पीड़ा है। भाव की बावस्तगी है। संवेदनशील क्षुब्ध और कोमल मन के काव्यात्मक लोकालाप हैं। इनमें एक खास किस्म का सौन्दर्य रखने की कोशिश की गयी है। हालांकि वह जीवन की कुरूपताओं से निरपेक्ष नहीं है। ये कविताएं जीवन के अलग-अलग समयों और पड़ावों की स्थितियों से स्वतः उरजती हैं। इन्हें ‘प्रोजेक्ट’ बनाकर नहीं लिखा गया है। इनमें देह और देहराग के अनन्त स्वर हैं। इनमें देह के जीवन के साथ कई मूल्य भी हैं। प्रतिबद्धता भी है। प्रेम के प्रति भी और समाज के प्रति भी।

इस संकलन में संवेदना का पुट तो मिलेगा ही। समाज के लिए चिंता का सबब भी दिखेगा। इन कविताओं में आपको मेरे प्रेम के प्रति ठहराव का एहसास होगा। वह ठहराव जो ‘फास्ट फूड’ और ‘इंसटेंट लव’ वाले प्रेम से इतर है। हर युग का अपना प्रेम होता है। उसके जाहिर करने का अपना तरीका होता है। हर युग की गति अलग होती है। ऐसे में किसी युग के प्रेम और उसकी गति को गलत नहीं ठहराया जा सकता। बस इतना है कि इन कविताओं के जरिए आप कालातीत हो रहे ठहराव भरे प्रेम की झलक ले सकेंगे। यूकिलिप्टस के पेड़ पर हेयरपिन से लिखने का ठहराव, पक्षियों के कलरव में प्रयेसी की हंसी की अनुभूति का ठहराव। इन कविताओं में आशा दिखाई देगी। बूढ़े होने के मिथ्या भय से मुक्ति दिखाई देगी। ये कविताएं आपको कई नई अवधारणाओं से परिचित कराएंगी।

इन कविताओं में आपको कई ऐसे सवाल मिलेंगे जो आज से पहले कभी पूछे ही नहीं गये। क्योंकि इन सवालों को पूछने के लिए कवि की सोच में निपट साहस जरूरी है। इसका मुजाहिरा आपको देखने को मिलेगा। इन कविताओं में अगर कहीं आपको अपनी उपस्थिति लगे, तो मेरे लिए उपलब्धि होगी। किसी पाठक को यह लगे कि इसमें बहुत सा अंश उसके वर्तमान और अतीत से चुराया हुआ है तो मेरे लिए पाथेय होगा। इस किताब को आकार देने में मित्र रामकृष्ण वाजपेयी, अंशुमान तिवारी, संजय तिवारी, रतिभान त्रिपाठी और अनुराग शुक्ल ने बेहद मदद की है। तनवीर फातिमा ने कई शब्दों के स्वरूप बदले हैं। अखिलेश तिवारी ने भी इस किताब में कई रोचक प्रसंग जोड़े हैं। मित्र जे.पी. गुप्ता और राघवेंद्र प्रसाद मिश्र ने भी अपना समय इस किताब में लगाया है। मित्र विनोद शुक्ल जी नहीं होते तो ये कविताएं किताब का आकार नहीं ले पातीं। प्रकाशन के लिए तो उनका आभार है ही, पर इसे दबाव बनवाकर तैयार करा लेने में भी उनका सहयोग कम नहीं है। कविताओं को जीने और उन्हें बचाये रखने में मेरी मदद पत्नी नीलम मिश्रा, पुत्र आशीष मिश्र और पुत्री चारू मिश्रा ने भी किया है। मेरी मां श्रीमती उमा मिश्रा को कविताओं के लिए नहीं मेरे निर्माण के लिए श्रेय दिया जाना लाज़िमी होगा। जिससे मुझमें भौतिकवाद की जगह भाववाद पनप सका। मुझमें शिक्षा संस्कार के साथ आई।

ये कविताएं आपको कुछ ऐसी रीतियों, कुछ ऐसे दृश्यों से परिचित कराएंगी जो शायद नई पीढ़ी ने देखी और महसूसी भी न हों। इन कविताओं में अंतरनिहित संवेदनाओं से सहमत-असहमत होना स्वाभाविक है। ये कारक नहीं अनुभूति हैं। ऐसे में मेरी अनुभूति आपकी स्वीकृति के लिए प्रस्तुत है। अनुभूति की स्वीकृति किसी भी कवि के लिए एक वर्धन है।

( यह योगेश मिश्र की कविता की किताब - ‘ कॉलेज की लड़कियॉ ‘ का पाठकों के लिए लिखा गया अंश है। )

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