TRENDING TAGS :
Bina Refinery History: बीना रिफ़ाइनरी मध्य प्रदेश की औद्योगिक प्रगति का प्रतीक, जिसकी नींव डाली थी डॉक्टर मनमोहन सिंह ने
Bina Refinery History: 20 मई 2011 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने बीना रिफ़ाइनरी को भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और ओमान ऑयल कंपनी के संयुक्त उपक्रम के रूप में विकसित किया था।
Bina Refinery History
Bina Refinery: बीना रिफ़ाइनरी, जिसे भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और ओमान ऑयल कंपनी के संयुक्त उपक्रम के रूप में विकसित किया गया है, मध्य प्रदेश के औद्योगिक इतिहास में एक मील का पत्थर मानी जाती है। यह रिफ़ाइनरी राज्य के सागर ज़िले के बीना कस्बे के समीप स्थित है और इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 मई 2011 को राष्ट्र को समर्पित किया था। इस ऐतिहासिक परियोजना का उद्देश्य न केवल भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति करना है, बल्कि मध्य भारत में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी गति देना है।
इस रिफ़ाइनरी की परिकल्पना 1990 के दशक के आरंभिक वर्षों में की गई थी। भारत की बढ़ती ऊर्जा मांग और तेल आयात पर अत्यधिक निर्भरता को देखते हुए सरकार ने देश के भीतरी हिस्सों में तेल शोधन संयंत्र स्थापित करने की दिशा में कदम उठाया। बीपीसीएल और ओमान ऑयल कंपनी के बीच वर्ष 1994 में एक संयुक्त उद्यम समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसके तहत दोनों कंपनियों ने भारत में एक विश्व स्तरीय रिफ़ाइनरी स्थापित करने का निर्णय लिया। हालांकि यह परियोजना अनेक वर्षों तक कागज़ी कार्यवाही, भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण स्वीकृति और वित्तीय प्रबंधन के चरणों में उलझी रही, लेकिन अंततः वर्ष 2006 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ।
भारत ओमान रिफ़ाइनरी लिमिटेड
लगभग 11,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस रिफ़ाइनरी को बीपीसीएल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी भारत ओमान रिफ़ाइनरी लिमिटेड (बीओआरएल) के रूप में स्थापित किया गया। यह रिफ़ाइनरी प्रति वर्ष लगभग 6 मिलियन मीट्रिक टन कच्चे तेल की शोधन क्षमता के साथ शुरू हुई थी, जिसे बाद में 7.8 मिलियन मीट्रिक टन तक विस्तारित किया गया। यहाँ पर आधुनिकतम तकनीकों से युक्त कई शोधन इकाइयाँ स्थापित की गई हैं, जिनमें हाइड्रोक्रैकर यूनिट, डीज़ल हाइड्रोडेसल्फ्यूराइजेशन यूनिट और डिलेड कोकर यूनिट शामिल हैं।
स्वच्छ ईंधन उत्पादन क्षमता
बीना रिफ़ाइनरी की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में इसका स्वच्छ ईंधन उत्पादन क्षमता है। यह संयंत्र भारत सरकार के BS-IV और BS-VI मानकों के अनुरूप पेट्रोल और डीज़ल का उत्पादन करता है, जिससे पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सके। यह पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है और ‘हरित भारत’ की दिशा में एक अहम पहल है।
इस रिफ़ाइनरी में उपयोग किया जाने वाला कच्चा तेल गुजरात के कांडला पोर्ट से एक विशेष पाइपलाइन के माध्यम से बीना तक लाया जाता है। इस 935 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन को विशेष रूप से इसी परियोजना के लिए निर्मित किया गया था। यह पाइपलाइन न केवल परिवहन लागत को कम करती है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी अधिक सुरक्षित और प्रभावी है।
बीना रिफ़ाइनरी की स्थापना रोजगार योग्य
बीना रिफ़ाइनरी की स्थापना ने न केवल ऊर्जा क्षेत्र में योगदान दिया है, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास का भी प्रमुख केंद्र बन चुकी है। रिफ़ाइनरी की स्थापना से बीना, सागर और उसके आसपास के क्षेत्रों में रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न हुए हैं। स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हज़ारों नौकरियाँ प्राप्त हुई हैं। इसके अतिरिक्त, इस परियोजना ने क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के विकास को भी गति दी है। अनेक स्थानीय युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार योग्य बनाया गया है।
रिफ़ाइनरी के संचालन में सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसके निर्माण और कार्य संचालन में अंतरराष्ट्रीय स्तर की तकनीक का प्रयोग किया गया है। संचालन प्रक्रिया को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि दुर्घटना की संभावना न्यूनतम रहे। संयंत्र की सुरक्षा प्रणाली अत्यंत सशक्त और आधुनिक है, जिसमें अग्निशमन यंत्र, गैस डिटेक्शन सिस्टम और आपातकालीन प्रतिक्रिया व्यवस्था शामिल है।
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने बताया था राष्ट्रीय संपत्ति
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने बीना रिफ़ाइनरी के उद्घाटन के समय अपने भाषण में इसे ‘राष्ट्रीय संपत्ति’ बताया था और कहा था कि यह परियोजना भारत और ओमान के बीच सहयोग का प्रतीक है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए ऐसे ही संयंत्रों की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि इस रिफ़ाइनरी से न केवल आर्थिक प्रगति होगी, बल्कि यह भारत को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने में भी सहायक होगी।
2021 में निजीकरण की प्रक्रिया शुरू
वर्ष 2021 में भारत सरकार ने बीपीसीएल में निजीकरण की प्रक्रिया शुरू की, जिससे बीना रिफ़ाइनरी का भविष्य एक नई दिशा की ओर बढ़ा। हालांकि इसका स्वामित्व और नियंत्रण वर्तमान में बीपीसीएल के अंतर्गत ही बना हुआ है, लेकिन आने वाले वर्षों में यह निजी निवेशकों के अधीन जा सकती है। इससे इस रिफ़ाइनरी के आधुनिकीकरण, उत्पादन विस्तार और निर्यात क्षमताओं को बढ़ाने की संभावनाएँ और भी प्रबल हो जाएंगी।बीना रिफ़ाइनरी की सफलता यह दर्शाती है कि सही योजना, सुदृढ़ नीति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से भारत ऊर्जा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बन सकता है। यह परियोजना देश के उस दृष्टिकोण का भी उदाहरण है जिसमें विकास केवल महानगरों तक सीमित नहीं रहकर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचता है। बीना रिफ़ाइनरी के माध्यम से भारत ने यह प्रमाणित किया है कि तकनीक, निवेश और नीति का सम्मिलन यदि उचित दिशा में हो, तो औद्योगिक क्रांति देश के किसी भी हिस्से में लाई जा सकती है।
वर्तमान में बीना रिफ़ाइनरी न केवल मध्य प्रदेश बल्कि पूरे उत्तर भारत के ईंधन आपूर्ति तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है। इसके उत्पाद दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में पहुँचते हैं। इसके अलावा, इस संयंत्र से एटीएफ (एविएशन टरबाइन फ्यूल) भी तैयार होता है जो हवाईअड्डों को आपूर्ति किया जाता है। बीना रिफाइनरी विस्तार परियोजना को 318 अरब रुपये का ऋण समर्थन, बीपीसीएल ने हासिल की वित्तीय उपलब्धि हाल ही में भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने अपनी बीना रिफाइनरी विस्तार और पेट्रोकेमिकल परियोजना के लिए 318 अरब रुपये (लगभग 3.67 अरब डॉलर) का ऋण प्राप्त करके एक महत्वपूर्ण वित्तीय उपलब्धि दर्ज की है। इस वित्तीय समापन की व्यवस्था भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व में गठित एक बैंकिंग संघ के सहयोग से की गई।
मध्य प्रदेश के बीना में स्थित यह रिफाइनरी वर्ष 1994 में देश में पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने हेतु स्थापित की गई थी। वर्तमान में इस रिफाइनरी को अपग्रेड कर 7.8 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की शोधन क्षमता को बढ़ाकर 11 एमटीपीए किया जाएगा। इसके साथ ही, इस परियोजना के अंतर्गत 1.2 एमटीपीए की एक एथिलीन क्रैकर यूनिट की स्थापना भी की जाएगी। परियोजना की कुल लागत का अनुमान लगभग 489.26 अरब रुपये है। इस विस्तार योजना का उद्देश्य बीपीसीएल की डाउनस्ट्रीम पेट्रोकेमिकल उत्पादन क्षमताओं को मजबूत बनाना है, जिससे कंपनी रैखिक निम्न घनत्व पॉलीइथिलीन (LLDPE), उच्च घनत्व पॉलीइथिलीन (HDPE), पॉलीप्रोपाइलीन और सुगंधित यौगिक जैसे उत्पादों का निर्माण कर सकेगी। बीपीसीएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक जी. कृष्णकुमार ने इस अवसर पर कहा कि, "बीना रिफाइनरी विस्तार एवं पेट्रोकेमिकल परियोजना के लिए वित्तीय समापन प्राप्त करना हमारे लिए अत्यंत संतोष का विषय है। यह परियोजना भारत के औद्योगिक विकास, आधारभूत ढांचे के सुदृढ़ीकरण और औद्योगिक गतिविधियों के विस्तार की व्यापक रणनीति के अनुरूप है।"
ग्लोबलडाटा स्ट्रैटेजिक इंटेलिजेंस के अनुसार, इस परियोजना के पूर्ण हो जाने पर यह भारत को पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम मील का पत्थर साबित होगी।
परियोजना की आधारशिला
15 सितंबर 2023 को इस परियोजना की आधारशिला रखी गई, जो स्थानीय क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में व्यापक वृद्धि की दिशा में संकेतक है। निर्माण कार्य के दौरान अनुमानतः 15,000 से अधिक रोजगार उत्पन्न होंगे, जबकि परियोजना के पूरी तरह चालू होने के बाद प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एक लाख से अधिक रोजगार अवसर सृजित किए जाने की संभावना है।
यह परियोजना भारत सरकार की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत औद्योगिक विकास, आधारभूत ढांचे का विस्तार और देश को पॉलिमर उत्पादों में आत्मनिर्भर बनाना मुख्य उद्देश्य है। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन चल्ला श्रीनिवासुलु शेट्टी ने कहा, "हम बीपीसीएल के साथ साझेदारी कर गौरव अनुभव कर रहे हैं, जो बीना में विश्व स्तरीय पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स की स्थापना और रिफाइनरी क्षमता के विस्तार के माध्यम से देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में कार्यरत है।"
उन्होंने यह भी कहा, "एसबीआई द्वारा इस 318 अरब रुपये की ऋण सुविधा के वित्तीय समापन का नेतृत्व करना इस बात का प्रमाण है कि हमारी साझेदारी न केवल दोनों संगठनों, बल्कि समूचे राष्ट्र के लिए भी लाभकारी है।" यह परियोजना भारतीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक नया युग स्थापित करने की क्षमता रखती है और यह भारत के आत्मनिर्भरता अभियान को मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक सशक्त कदम है।
अंततः बीना रिफ़ाइनरी केवल एक औद्योगिक परियोजना नहीं है, यह एक परिवर्तनकारी शक्ति है जिसने एक क्षेत्र को ऊर्जा, शिक्षा, रोज़गार और तकनीकी सशक्तिकरण का केंद्र बना दिया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की दूरदर्शिता, ओमान सरकार के सहयोग और बीपीसीएल की तकनीकी दक्षता ने इसे संभव बनाया है।
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge