जब छाया और प्रकाश मिलते हैं, चंद्रग्रहण और आत्मा का जागरण

Chandra Grahan 2025: चंद्रग्रहण प्रकाश और छाया का संदेश है, जो छिपी हुई शक्तियों को एक असाधारण घटना में प्रकट करता है।

Shashi Bhushan Dubey
Published on: 11 Sept 2025 4:16 PM IST
Chandra Grahan 2025
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Chandra Grahan 2025 (Image Credit-Social Media)

Chandra Grahan 2025: अनगिनत ग्रह और तारे लगातार आकाश में गति करते रहते हैं। तभी सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी जब एक सीध में आते हैं तो चंद्रग्रहण होता है। वैदिक ज्योतिष में ग्रहों को दैवीय संदेशवाहक माना गया है जो गहन अर्थ लिए हुए संदेश देते हैं, जीवन की साँसें बनते हैं और विश्व की गति को संचालित करते हैं। यही प्रकृति का स्वरूप है।

चंद्रग्रहण प्रकाश और छाया का संदेश है, जो छिपी हुई शक्तियों को एक असाधारण घटना में प्रकट करता है। जब आकाश अपने सर्वोच्च स्वर से बोलता है, तो ब्रह्मांड एक संदेश प्रेषित करता है जो मानव अस्तित्व के पार जाकर सम्पूर्ण पृथ्वी को प्रभावित करता है। चंद्रमा की जीवनदायिनी किरणें जब पृथ्वी पर छाया पड़ने से ढक जाती हैं, तो यही घटना घटित होती है। वैदिक ज्योतिष में इसे राहु (ड्रैगन का सिर) और केतु (ड्रैगन की पूंछ) से जोड़ा गया है। ये छाया ग्रह अवचेतन और कर्मफल का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनसे गहन परिवर्तन, आत्मिक जागरण और अंतिम मुक्ति की स्थिति आती है।

पूर्णिमा की रात जब चंद्रमा अपनी ऊर्जा का सबसे अधिक प्रकाश फैलाता है, तब यह जीवन शक्ति, प्रजनन क्षमता और जीवन की जीवंतता का स्रोत बनता है। परंतु जब चंद्रग्रहण होता है, तो इसका प्रभाव विपरीत होता है—हमारी आत्मा को गहराई में ले जाकर अवचेतन के अंधकार को उजागर करता है, जिससे हमें अपनी सीमाओं और अपूर्णताओं का बोध होता है। यह हमें स्मरण कराता है कि जीवन की यात्रा सिर्फ प्रकाश में ही नहीं, बल्कि छाया में भी है। समुद्र की लहरें और ज्वार-भाटा इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

चंद्रमा का महत्व

चंद्रमा भावनाओं का प्रतीक है। अतः चंद्रग्रहण मानव भावनाओं को गहराई से प्रभावित करता है। चंद्रमा जीवन का पालनकर्ता है और यह पौधों, जानवरों तथा मानवजाति को पोषण देता है। इसलिए वैदिक ज्योतिष में इसे जीवनदायी शक्ति माना गया है। गर्भावस्था के दौरान गर्भस्थ शिशु पर भी इसका प्रभाव पड़ता है क्योंकि भ्रूण द्रव (पानी) में पलता है।


चंद्रग्रहण जीवन की सभी जोड़ियों को प्रभावित करता है—पुरुष और स्त्री, प्रकाश और अंधकार, जीवन और मृत्यु। यह घटनाएँ वैश्विक स्तर पर प्रभाव डालती हैं—शिक्षा, राजनीति, धर्म, चिकित्सा, आध्यात्मिकता और मानवता पर। जब यह घटित होता है तो यह एक सामूहिक अनुभव होता है, जो धरती के हर जीव को स्पर्श करता है।

इसलिए प्राचीन परंपराएँ इसे अत्यंत पवित्र समय मानती रही हैं। इस दौरान उपवास करना, ध्यान करना, दान देना और भक्ति करना श्रेष्ठ माना गया है।

7 सितंबर 2025 का पूर्ण चंद्रग्रहण

रविवार, 7 सितंबर 2025 को एक खग्रास चंद्रग्रहण रहा। यह घटना भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, रूस, यूक्रेन, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी में दिखाई दी। अमेरिका में यह आंशिक रूप से ही दिखा। और दक्षिण अमेरिका में बिल्कुल नहीं।

यह ग्रहण ठीक श्राद्ध पक्ष (16-दिनीय पितृपक्ष) में पड़ रहा है। इस दौरान पूर्वजों को स्मरण करने और पितरों के नाम पर दान-पुण्य करने की परंपरा है। ग्रहण के दौरान ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी अमेरिका, अंटार्कटिका और प्रशांत महासागर के कई हिस्सों में यह दृश्य अलग-अलग रूप में दिखेगा।

ग्रहण में महत्वपूर्ण ग्रह

चंद्रग्रहण में ग्रहों की विशेष भूमिका रहती है।

• बृहस्पति (जुपिटर) – गुरु और ज्ञान का कारक, यह उच्च स्थिति में होने पर संरक्षण देता है।

• शनि (सैटर्न) – यदि प्रतिकूल स्थिति में है तो सीमाएँ और रुकावटें पैदा करता है।

• बुध (मरकरी) – ज्ञान और विवेक का ग्रह, यह शिक्षा और समझ को प्रभावित करता है।

• सूर्य और चंद्रमा – आत्मा और भावनाओं का सीधा टकराव कराते हैं।

यदि कुंडली में राहु और केतु की स्थिति महत्वपूर्ण है तो यह ग्रहण गहन प्रभाव डाल सकता है। उदाहरणस्वरूप, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुंडली में राहु और चंद्रमा की युति विशेष प्रभाव डालेगी। वहीं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कुंडली में यह ग्रहण उनकी नीतियों को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकता है, विशेषकर अमेरिका को शक्तिशाली बनाने की दिशा में।

वैश्विक प्रभाव

यह चंद्रग्रहण केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रभाव डालेगा।

• विश्व राजनीति और कूटनीति में नया मोड़ आ सकता है।

• अमेरिका, भारत, रूस और यूरोप के बीच रिश्तों में बदलाव संभव है।

• व्यापारिक और आर्थिक नीतियों में नई परिस्थितियाँ उत्पन्न होंगी।

• जलवायु परिवर्तन के असर से असामान्य वर्षा और बाढ़ का खतरा बढ़ेगा।

2025 में ग्रहणों की झलक


• 14 मार्च – रक्त चंद्रग्रहण रहा

• 29 मार्च – आंशिक सूर्यग्रहण रहा

• 7 सितंबर – रक्त चंद्रग्रहण रहा

• 21 सितंबर – पूर्ण सूर्यग्रहण होगा।

पर्यावरणीय व्यवधान

चंद्रग्रहण और ग्रहों की स्थिति से प्राकृतिक आपदाएँ भी जुड़ी हो सकती हैं। वर्षा, भूकंप और तूफानों के साथ-साथ यह बाढ़ और विनाशकारी परिस्थितियाँ ला सकता है। भारी वर्षा से कृषि को नुकसान हो सकता है।

निष्कर्ष

चंद्रग्रहण हमें यह याद दिलाता है कि जीवन केवल प्रकाश से नहीं बना है, बल्कि छाया भी उसका हिस्सा है। जब छाया और प्रकाश मिलते हैं, तो आत्मा का गहन जागरण होता है। यह हमें हमारी सीमाओं का बोध कराता है और मुक्ति की ओर अग्रसर करता है।

(डॉ. शशि दुबे – जीवन एवं दिव्य ज्ञान के मार्गदर्शक, दिल्ली स्थित नेचुरल एवं स्पिरिचुअल एस्ट्रोलॉजी स्कूल के संस्थापक एवं लक्षणा कन्नन – वैदिक ज्योतिष और वेदिक ज्योतिषीय दृष्टिकोण की विद्वान हैं)

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