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History Of Friendship Day: कब, क्यों और कैसे शुरू हुआ दोस्ती का यह खूबसूरत त्योहार - जानिए फ्रेंडशिप डे का इतिहास
Friendship Day Ka Itihas: फ्रेंडशिप डे की शुरुआत अमेरिका से हुई, जिसे 30 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भारत में अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है।
History Of Friendship Day: दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो खून का नहीं होता, फिर भी कई बार खून के रिश्तों से भी अधिक गहरा और सच्चा होता है। जीवन के हर मोड़ पर जब दुनिया दूर हो जाती है, तब एक सच्चा दोस्त ही होता है जो हमारे साथ खड़ा रहता है। इस अनमोल रिश्ते को सम्मान और उत्सव देने के लिए ‘फ्रेंडशिप डे’ यानी ‘मित्रता दिवस’ मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन की शुरुआत कैसे हुई? इसका इतिहास क्या है? क्यों और कब से यह दिन लोकप्रिय हुआ? आइए, इस लेख के माध्यम से हम फ्रेंडशिप डे के इतिहास, इसके महत्व और बदलती परंपराओं पर विस्तार से चर्चा करें।
फ्रेंडशिप डे की उत्पत्ति - अमेरिका से शुरुआत
फ्रेंडशिप डे की अवधारणा सबसे पहले 20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिका में उभरी, जब 1930 में ग्रीटिंग कार्ड कंपनी 'हॉलमार्क' के संस्थापक जॉयस हॉल ने अगस्त के पहले रविवार को दोस्तों के नाम समर्पित एक विशेष दिन के रूप में मनाने का सुझाव दिया। हालांकि, उस समय यह विचार व्यावसायिक हित से प्रेरित था और जनमानस में अधिक लोकप्रिय नहीं हो पाया। इसके वर्षों बाद, 1958 में पैराग्वे में डॉक्टर रेमन आर्टिमियो ब्राचो ने अपने दोस्तों के साथ एक डिनर के दौरान विश्व मैत्री दिवस की अवधारणा को सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया और वहीं से फ्रेंडशिप डे को एक संगठित तौर पर मनाने की शुरुआत हुई।
फ्रेंडशिप डे का आधिकारिक प्रस्ताव
30 जुलाई 1958 को पराग्वे में डॉक्टर रेमन आर्टिमियो ब्राचो ने अपने कुछ करीबी दोस्तों के साथ एक अनौपचारिक 'दोस्ती डिनर' का आयोजन किया, जिसने विश्व स्तर पर मित्रता को समर्पित एक आंदोलन की नींव रखी। इस पहल के फलस्वरूप 'विश्व फ्रेंडशिप क्रूसेड' नामक संगठन अस्तित्व में आया, जिसका उद्देश्य दुनियाभर में मित्रता, भाईचारा और सांस्कृतिक सौहार्द को बढ़ावा देना रहा। इस संगठन ने वर्षों तक प्रयास करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा से अनुरोध किया कि एक विशेष दिन को 'अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस' के रूप में मान्यता दी जाए। अंततः 27 जुलाई 2011 को संयुक्त राष्ट्र ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए 30 जुलाई को International Day of Friendship के रूप में आधिकारिक मान्यता दी। इसके बाद से यह दिन अनेक देशों में उत्साहपूर्वक मनाया जाने लगा और मित्रता के महत्व को वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया गया।
भारत में फ्रेंडशिप डे की शुरुआत और लोकप्रियता
भारत में फ्रेंडशिप डे की लोकप्रियता मुख्यतः 1990 के दशक में तेजी से बढ़ी जब टेलीविजन, हॉलीवुड फिल्मों और अमेरिकी संस्कृति का प्रभाव भारतीय युवाओं पर गहराने लगा। वैश्वीकरण के इस दौर में विदेशी त्योहारों और परंपराओं ने भारत में अपनी जगह बनानी शुरू की और फ्रेंडशिप डे उन्हीं में से एक बन गया। बॉलीवुड फिल्मों ने भी इस भावना को बल दिया - 'शोले' में जय-वीरू की अमिट दोस्ती और 'दिल चाहता है' में तीन दोस्तों की गहरी बॉन्डिंग ने युवा दर्शकों के मन में मित्रता को एक खास स्थान दिया। भारत में यह दिन हर साल अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है, जो अमेरिकी परंपरा से प्रभावित है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 30 जुलाई को 'अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस' के रूप में मान्यता दी गई है। लेकिन भारत सहित कई देशों में अगस्त का पहला रविवार ही फ्रेंडशिप डे के रूप में ज्यादा लोकप्रिय बना हुआ है।
फ्रेंडशिप डे मनाने के तरीके
फ्रेंडशिप बैंड - भारत में फ्रेंडशिप डे की सबसे खास और लोकप्रिय परंपराओं में से एक है फ्रेंडशिप बैंड बांधना। इस दिन दोस्त एक-दूसरे की कलाई पर रंग-बिरंगे बैंड बांधते हैं, जो उनके आपसी संबंध की गहराई और भरोसे का प्रतीक होता है। खासकर स्कूली और कॉलेज युवाओं के बीच यह परंपरा बेहद लोकप्रिय है और इसे भारतीय संस्कृति में फ्रेंडशिप डे का खास चिन्ह माना जाता है।
गिफ्ट और शुभकामना कार्ड्स - दोस्ती के इस खास दिन पर दोस्तों को गिफ्ट देना और शुभकामना कार्ड्स भेजना एक पुरानी परंपरा रही है। ये कार्ड्स भावनाओं को शब्दों में ढालने का माध्यम बनते हैं जिनमें दोस्ती की गहराई, अपनापन और सम्मान झलकता है। आज के डिजिटल युग में भी यह परंपरा पूरी गर्मजोशी से निभाई जाती है।
सोशल मीडिया ट्रेंड्स - डिजिटल दौर ने फ्रेंडशिप डे के जश्न को और भी रंगीन बना दिया है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोग तस्वीरें, रील्स, दोस्ती के कोट्स और वीडियो संदेश शेयर कर अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। यह तरीका विशेष रूप से नई पीढ़ी में अत्यंत लोकप्रिय हो चुका है।
दोस्ती पार्टी और मिलन - फ्रेंडशिप डे का उत्सव अब केवल प्रतीकों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अब यह दोस्तों के बीच एक सामाजिक मिलन समारोह बन चुका है। युवा वर्ग इस दिन पार्टी आयोजित करता है, केक काटता है और खास पलों को साझा कर अपनी दोस्ती को और भी मजबूत बनाता है। यह जश्न दोस्ती के जज़्बे को मनाने का एक जीवंत और खुशनुमा तरीका बन गया है।
समाज और फ्रेंडशिप डे
फ्रेंडशिप डे केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि तकनीक और भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच मानवीय रिश्तों को फिर से संजोने का एक अवसर है । आज के डिजिटल युग में जहां टेक्नोलॉजी ने संचार को आसान बनाया है, वहीं असली रिश्तों में दूरी और एकाकीपन भी बढ़ा है। ऐसे में फ्रेंडशिप डे हमें उन मूल भावनाओं जैसे साथ, अपनापन और सच्चाई की याद दिलाता है, जो हम अक्सर अपनी व्यस्त दिनचर्या में भूल जाते हैं। स्कूल, कॉलेज और कार्यस्थलों पर यह दिन मेलजोल, सहयोग और परस्पर सम्मान की भावना को मजबूती देने का जरिया बनता है। साथ ही, यह हमें प्रेरित करता है कि हम अपने पुराने दोस्तों से दोबारा संपर्क करें और दूसरों की भावनाओं को समझते हुए किसी के अकेलेपन को दोस्ती से भर दें। यह दिन सामाजिक संवेदनशीलता और इंसानियत को बढ़ावा देने का एक खास अवसर बन गया है।
फ्रेंडशिप डे की आलोचना और बाजारवाद
फ्रेंडशिप डे आज के समय में केवल भावनाओं का नहीं, बल्कि बाजारवाद का भी एक प्रमुख हिस्सा बन गया है। इस दिन को लेकर बाजार में गिफ्ट आइटम्स, फ्रेंडशिप बैंड्स, कार्ड्स और ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर विशेष छूट की भरमार देखने को मिलती है। बड़े ब्रांड्स और कंपनियां इसे व्यावसायिक अवसर के रूप में भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते, जिससे यह दिन 'कमर्शियलाइज्ड' यानी अत्यधिक व्यापारिक बन गया है। आलोचकों का मानना है कि दोस्ती कोई एक दिन मनाने की चीज नहीं, बल्कि यह तो रोजमर्रा की भावना होनी चाहिए । "हर दिन दोस्ती होनी चाहिए, सिर्फ एक दिन नहीं" जैसे वाक्य इस सोच को दर्शाते हैं। वहीं, समर्थकों का तर्क है कि अगर यह दिन हमें अपने दोस्तों को याद करने, उनके प्रति आभार प्रकट करने और रिश्तों को फिर से जीने का मौका देता है, तो इसका उत्सव मनाना बिल्कुल सार्थक है। दरअसल, फ्रेंडशिप डे चाहे बाजार का हिस्सा बना हो, लेकिन यह दिन आज भी दोस्ती के जज़्बे को जीवित रखने का एक खूबसूरत माध्यम बना हुआ है।
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