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ट्रंप कर रहा भारत से गद्दारी? पाकिस्तान को लगाया गले, असीम मुनीर की अमेरिकी दावत ने खोली अमेरिका की पोल

Modi Trump Friendship in Danger: डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी की दोस्ती के चर्चे तो पूरी दुनिया में होते रहे हैं। कभी 'अबकी बार ट्रंप सरकार' का नारा, तो कभी 'Howdy Modi' जैसे भव्य आयोजन—दुनिया ने देखा कि दो मजबूत नेताओं की जोड़ी कैसे वैश्विक राजनीति में तालमेल बिठा रही थी। लेकिन अब सब कुछ खतरे में नजर आ रहा है।

Harsh Srivastava
Published on: 21 Jun 2025 4:50 PM IST
ट्रंप कर रहा भारत से गद्दारी? पाकिस्तान को लगाया गले, असीम मुनीर की अमेरिकी दावत ने खोली अमेरिका की पोल
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Modi Trump Friendship in Danger: क्या वाकई दोस्ती से बड़ा होता है 'हित'? क्या वाकई रिश्तों की मिठास सिर्फ तब तक रहती है जब तक उसके पीछे फायदा हो? क्या अमेरिका ने भी वही किया जो दुनिया के तमाम ताकतवर मुल्क करते आए हैं—मतलब निकलते ही पहचानने से इनकार? डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी की दोस्ती के चर्चे तो पूरी दुनिया में होते रहे हैं। कभी 'अबकी बार ट्रंप सरकार' का नारा, तो कभी 'Howdy Modi' जैसे भव्य आयोजन—दुनिया ने देखा कि दो मजबूत नेताओं की जोड़ी कैसे वैश्विक राजनीति में तालमेल बिठा रही थी। लेकिन अब सब कुछ खतरे में नजर आ रहा है।

ताज़ा घटना ने भारत-अमेरिका रिश्तों की नींव को हिला कर रख दिया है। पाकिस्तान के आर्मी चीफ़ जनरल आसिम मुनीर के साथ डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह से शानदार दावत की मेज़ पर बैठकर ठहाके लगाए, उसने भारत में भूचाल ला दिया है। सवाल उठ रहे हैं—क्या ट्रंप भारत के साथ गद्दारी कर रहे हैं? क्या मोदी-ट्रंप दोस्ती अब टूटने की कगार पर पहुंच गई है? क्योंकि इस दावत के ठीक बाद अमेरिकी विदेश मंत्री और मध्यपूर्व मामलों के दिग्गज अधिकारियों की मौजूदगी ने साफ कर दिया कि ये सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात नहीं थी, बल्कि इसके पीछे बड़ी साजिश पक रही है।

2014: जब दोस्ती की नींव पड़ी थी

याद कीजिए साल 2014 को। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप अभी राजनीति में पूरी तरह सक्रिय नहीं हुए थे, मगर उन्होंने भारत और मोदी की तारीफों के पुल बांध दिए थे। मुंबई में एक इवेंट के दौरान ट्रंप ने कहा था, "मोदी भारत की तस्वीर बदल रहे हैं। निवेश के लिए भारत अब सबसे बेहतरीन जगह है।" इसके बाद से ही मोदी और ट्रंप के बीच राजनीतिक और व्यक्तिगत तालमेल गहराता चला गया। 'Howdy Modi' इवेंट से लेकर अमेरिका और भारत के सामरिक समझौतों तक, हर जगह इस दोस्ती की मिसाल दी गई। लेकिन क्या ये सब दिखावा था?

दावत में क्यों बुलाया गया पाकिस्तान?

जब दुनिया के नक्शे पर दो दुश्मन देश—भारत और पाकिस्तान—हमेशा एक-दूसरे की आंखों की किरकिरी रहे हों, तब अमेरिका का पाकिस्तान से इतनी गहराई से मेलजोल बढ़ाना भारत के लिए खतरे की घंटी है। विशेषज्ञों की मानें तो इस दावत के पीछे अमेरिका की मजबूरी है, लेकिन क्या मजबूरी इतनी बड़ी हो सकती है कि वो अपने सबसे भरोसेमंद साझेदार भारत को ही नजरअंदाज कर दे? डॉ. मनन द्विवेदी कहते हैं, "ट्रंप का ये कदम भारत के लिए सीधे तौर पर एक कूटनीतिक चुनौती है। पाकिस्तान को साथ रखकर अमेरिका न केवल भारत को दबाव में लाना चाहता है, बल्कि अपने पश्चिम एशिया प्लान में इस्लामी देशों के समर्थन को भी सुनिश्चित करना चाहता है।"

अमेरिका की डबल गेम

भारत में इस समय जितनी चिंता डोनाल्ड ट्रंप की पाकिस्तान से नजदीकियों को लेकर है, उससे भी बड़ी चिंता इस बात की है कि क्या ये सब ट्रंप की योजना का हिस्सा है? एक तरफ व्हाइट हाउस दावा करता है कि पीएम मोदी और ट्रंप की बातचीत हुई, दूसरी तरफ पाकिस्तान के आर्मी चीफ़ को वाशिंगटन बुलाकर भव्य भोज आयोजित किया जाता है। यह दोहरा खेल नहीं तो और क्या है? प्रोफ़ेसर अंशु जोशी के मुताबिक़, "ट्रंप का यह कदम स्पष्ट रूप से अमेरिका की रणनीतिक चाल है। अमेरिका को पाकिस्तान की ज़रूरत पड़ने वाली है, विशेषकर अगर ईरान-इजराइल युद्ध अपने चरम पर पहुंचा तो। अमेरिका पाकिस्तानी ज़मीन का इस्तेमाल करना चाहता है ताकि वो ईरान पर दबाव बना सके।"

'दोस्ती सिर्फ तब तक जब तक फायदा हो'

क्या अमेरिका ने वही किया जो इतिहास में बार-बार ताकतवर मुल्क करते आए हैं? यानी जब तक भारत से फायदा हुआ, तब तक ट्रंप और मोदी की दोस्ती का ढिंढोरा पीटते रहे, और जैसे ही पाकिस्तान से बड़ा फायदा दिखा, सारी दोस्ती ताक पर रख दी? याद रखिए, पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत की सीमाएं सीधे ईरान से जुड़ी हैं। अगर ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ता है, तो अमेरिका को बलोचिस्तान से ऑपरेशन चलाना बेहद फायदेमंद होगा। यही कारण है कि ट्रंप ने अचानक यू-टर्न लिया और पाकिस्तान को गले लगा लिया। डॉक्टर मनन द्विवेदी का भी यही कहना है, "ये सब कुछ अचानक नहीं हुआ। अमेरिका ने बहुत सोच-समझ कर पाकिस्तान के साथ नज़दीकियां बढ़ाई हैं। भारत इसका विरोध कर सकता है लेकिन अमेरिका को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।"

ट्रंप की 'यू-टर्न' पॉलिटिक्स और मोदी की नाराजगी

पीएम मोदी ने ट्रंप का अमेरिका दौरे का न्योता ठुकरा दिया। क्या ये सिर्फ व्यस्तता थी या इसके पीछे नाराजगी भी छुपी हुई थी? विश्लेषकों का कहना है कि पीएम मोदी ने अमेरिका आने से इसलिए इंकार किया क्योंकि वो ट्रंप की इस दोहरी नीति से खुश नहीं हैं। ट्रंप कब किस तरफ मुड़ जाएं, इसका भरोसा किसी को नहीं। आज भारत, कल पाकिस्तान, परसों शायद चीन! यही वजह है कि भारत अब अमेरिका से दूरी बनाकर रूस और अन्य देशों के साथ अपने सामरिक रिश्ते मजबूत कर रहा है।

अमेरिका चाहता क्या है?

अब बड़ा सवाल ये है कि अमेरिका आखिर चाहता क्या है? क्या वो पाकिस्तान को फिर से 'फ्रंटलाइन स्टेट' बनाना चाहता है, जैसा उसने 80-90 के दशक में किया था जब रूस के खिलाफ जंग में पाकिस्तान को हथियार दिए गए थे? या फिर अमेरिका को इस वक्त पाकिस्तान से इसलिए प्यार हो रहा है क्योंकि उसे ईरान को काबू में रखने के लिए पाकिस्तान की ज़रूरत है? विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका फिलहाल दोनों हाथों में लड्डू रखना चाहता है। भारत के साथ व्यापार, हथियार डील्स और तकनीकी साझेदारी—और पाकिस्तान के साथ सैन्य-सहयोग और रणनीतिक समर्थन।

मोदी-ट्रंप रिश्ता अब 'टेस्ट' पर

भले ही दोनों देशों के अधिकारी कह रहे हों कि भारत-अमेरिका संबंध मजबूत हैं, लेकिन असलियत ये है कि मोदी और ट्रंप की व्यक्तिगत बॉन्डिंग अब कड़ी परीक्षा में है। क्वाड की अगली बैठक भारत में होने जा रही है, जहां ट्रंप को बुलाया गया है। अगर ट्रंप इस बैठक में शिरकत करने आते हैं तो सबकी निगाहें मोदी-ट्रंप के मिलने पर रहेंगी। क्या मोदी पुराने ठहाकों और गर्मजोशी से उनका स्वागत करेंगे? या फिर वही कूटनीतिक मुस्कानें और औपचारिक बातें होंगी?

भारत के पास क्या विकल्प हैं?

अब भारत के सामने भी सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या भारत अमेरिका पर आंख मूंद कर भरोसा करता रहेगा? या फिर उसे रूस, फ्रांस और ईरान जैसे देशों के साथ अपने रिश्ते और गहरे करने होंगे? याद रहे कि अमेरिका ने पहले भी भारत के साथ व्यापार में 'जीएसपी' जैसी सुविधाएं खत्म कर दी थीं। डोनाल्ड ट्रंप ने व्यापार के मुद्दे पर मोदी सरकार पर दबाव बनाया था। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को अब अपनी रणनीति बहुपक्षीय बनानी होगी। सिर्फ अमेरिका पर निर्भर रहना आने वाले समय में भारत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

'दावत' सिर्फ खाने की नहीं थी, संदेश देने की थी!

पाकिस्तान के आर्मी चीफ़ आसिम मुनीर के साथ अमेरिकी मेज़ पर ट्रंप की मौजूदगी महज़ एक भोज नहीं थी, बल्कि दुनिया के लिए एक संदेश था। संदेश ये कि अमेरिका जब चाहे किसी के साथ खड़ा हो सकता है—चाहे वो भारत का दुश्मन ही क्यों न हो। इस दावत ने भारत-अमेरिका रिश्तों में एक नए अविश्वास का बीज बो दिया है। आने वाला वक्त बताएगा कि ये बीज एक गहरे दरार में बदलता है या फिर दोनों देश मिलकर इसे मिटा देते हैं।

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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