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नए घर के मुख्य द्वार पर इस तरह करें गणेश जी की स्थापना: वरना पड़ सकता है नकारात्मक प्रभाव
वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार पर गणेश जी की स्थापना घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाती है। जानें किस दिशा में, कैसी मूर्ति और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
Ganesha idol Vastu (Image Credit-Social Media)
Ganesha idol Vastu: शुभता और सौभाग्य के देवता गणेश जी को अक्सर लोग घर के मुख्य द्वार पर स्थापित करना अच्छा मानते हैं। यह परम्परा न केवल धार्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है, बल्कि वास्तु शास्त्र के अनुसार यह घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने और नकारात्मक प्रभावों से बचाने का भी एक तरीका है। गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है और उनकी उपस्थिति घर में सुख-समृद्धि और शांति सुनिश्चित करती है। खासकर नए घर में प्रवेश या गणेश चतुर्थी जैसे अवसरों पर मुख्य द्वार पर प्रतिमा लगाने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी है-
1. उचित दिशा का रहें खास ध्यान
वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार पर गणेश प्रतिमा उत्तर, पूर्व या ईशान (उत्तर-पूर्व) दिशा की ओर मुख करके लगाना शुभ होता है। यदि द्वार दक्षिण दिशा में हो, तो प्रतिमा का मुख घर की ओर होना चाहिए, द्वार की ओर नहीं। दक्षिण दिशा से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है। वहीं, पश्चिम दिशा के द्वार पर प्रतिमा लगाने से पहले किसी वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित होता है।
2. प्रतिमा की पीठ का रहे ध्यान
गणेश जी की पीठ घर की ओर होने पर अशुभ मानी जाती है। ऐसा करने से घर में दरिद्रता या अवांछित ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है। यदि द्वार पर दो प्रतिमाएं रखी जा रही हों, तो उनकी पीठ एक-दूसरे की ओर होनी चाहिए, घर की ओर नहीं।
3. वर्जित है टूटी या खंडित प्रतिमा रखना
कभी भी टूटी या खंडित गणेश प्रतिमा को मुख्य द्वार पर न रखें। वास्तु में खंडित मूर्तियों को अशुभ माना जाता है और यह घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को प्रभावित कर सकती है।
4. प्रतिमा की सही मुद्रा का रखें ध्यान
मुख्य द्वार पर बैठी हुई गणेश प्रतिमा लगाना शुभ होता है क्योंकि यह स्थिरता और शांति का प्रतीक है। खड़ी मूर्ति लगाने से बचें, क्योंकि यह ऊर्जा के संतुलन को प्रभावित कर सकती है। लेटी हुई मूर्ति मुख्य द्वार पर नहीं, बल्कि घर के शयन कक्ष में ही रखी जाती है।
5. अस्वच्छ स्थान के पास न रखें प्रतिमा
गणेश जी की प्रतिमा शौचालय, गंदगी या किसी अस्वच्छ स्थान के पास नहीं रखनी चाहिए। इससे न केवल धार्मिक दृष्टि से अशुभ माना जाता है, बल्कि यह नकारात्मक ऊर्जा को भी आकर्षित कर सकता है।
6. अशुभ फल देता है गंदी या टूटी दीवार पर प्रतिमा लगाना
यदि मुख्य द्वार की दीवार खुरदरी, टूटी या गंदी है, तो प्रतिमा सीधे उस दीवार पर न लगाएं। इसके बजाय, प्रतिमा को मुख्य द्वार की ऊपरी चौखट या किसी साफ और मजबूत स्थान पर स्थापित करना बेहतर होता है। वर्ना नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
7. न रखें एक से अधिक प्रतिमाएं
वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार पर केवल एक ही गणेश प्रतिमा लगाना शुभ होता है। अगर सुरक्षा के लिए दो प्रतिमाएं लगाई जा रही हों, तो उन्हें द्वार के दोनों ओर इस तरह रखें कि उनकी पीठ एक-दूसरे की ओर हो। बहुत अधिक प्रतिमाएं लगाने से बचें, क्योंकि यह घर में ऊर्जा के संतुलन को बिगाड़ सकती हैं।
8. रखें सूंड़ की दिशा का ध्यान
गणेश प्रतिमा की सूंड़ की दिशा भी वास्तु में महत्वपूर्ण है। बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड़ वाली प्रतिमा घर के मुख्य द्वार के लिए अधिक शुभ मानी जाती है, यह सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। दाईं ओर मुड़ी हुई सूंड़ वाली प्रतिमा को सिद्धि विनायक माना जाता है और इसे घर के अंदर मंदिर में स्थापित करना अधिक उचित होता है।
इसके अतिरिक्त वास्तु सुझाव
प्रतिमा हमेशा साफ और सुचारू रूप से रखी होनी चाहिए। प्रतिमा के सामने दीपक या छोटे पौधे रखना ऊर्जा को और अधिक सकारात्मक बनाता है। गणेश प्रतिमा की स्थापना के समय शुद्ध जल और फूलों का प्रयोग करना शुभ माना जाता है। अगर द्वार के पास जगह कम है, तो चित्र या फ्रेम वाली प्रतिमा भी रख सकते हैं, लेकिन उसकी दिशा और ऊंचाई का ध्यान रखना जरूरी है।
मुख्य द्वार पर गणेश प्रतिमा लगाने का उद्देश्य सिर्फ धार्मिक पूजन नहीं, बल्कि घर में सुख-समृद्धि, सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखना भी है। इन सावधानियों और वास्तु नियमों का पालन करके आप अपने घर में भगवान गणेश की कृपा सुनिश्चित कर सकते हैं। किसी विशेष दिशा, द्वार या प्रतिमा के आकार में संदेह होने पर वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेना हमेशा सबसे सुरक्षित विकल्प है।
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