Happy Teachers Day 2025: दुनिया और भारत के 5 ऐसे शिक्षक जिन्होंने शिक्षा की दुनिया बदल दी

Happy Teachers Day 2025: आज हम बात करेंगे दुनिया और भारत के उन पांच अनोखे शिक्षकों की, जिन्होंने न सिर्फ पढ़ाया, बल्कि शिक्षा की परिभाषा ही बदल कर रख दी।

Akshita Pidiha
Published on: 5 Sept 2025 10:41 AM IST
Teachers who Changed Education
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Teachers who Changed Education (Image Credit-Social Media)

Teacher's Day 2025: शिक्षक... एक ऐसा शब्द जो हमारे मन में सम्मान, कृतज्ञता और अपार आदर की भावना जगाता है। ये वो हीरो हैं जो सुपरहीरो की तरह कपड़े नहीं बदलते, लेकिन बच्चों के भविष्य को संवारने का काम करते हैं। 5 सितंबर, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन, जिसे हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं, शिक्षकों के प्रति अपना प्यार और सम्मान दिखाने का एक खास मौका है। आज हम बात करेंगे दुनिया और भारत के उन पांच अनोखे शिक्षकों की, जिन्होंने न सिर्फ पढ़ाया, बल्कि शिक्षा की परिभाषा ही बदल कर रख दी।

1. सावित्रीबाई फुले: भारत की पहली महिला शिक्षिका जिन्होंने लड़कियों के लिए खोला स्कूल का दरवाजा


सावित्रीबाई फुले का नाम आते ही एक ऐसी महिला की तस्वीर दिमाग में आती है, जिन्होंने अपनी चादर से एक बच्ची को ढककर उसे स्कूल आने के लिए प्रेरित किया। उन्नीसवीं सदी का भारत, जब लड़कियों और दलितों को पढ़ने का अधिकार तक नहीं था, सावित्रीबाई और उनके पति ज्योतिराव फुले ने 1 जनवरी 1848 में पुणे में देश का पहला गर्ल्स स्कूल खोला। इस स्कूल की शुरुआत सिर्फ 9 छात्राओं के साथ हुई थी। लोग उन पर पत्थर फेंकते थे, गंदगी फेंकते थे, लेकिन वे रुकीं नहीं। वे हमेशा अपने साथ एक एक्स्ट्रा साड़ी रखती थीं ताकि स्कूल पहुँचकर खुद को साफ कर सकें। उनके अथक प्रयासों का नतीजा यह हुआ कि महज एक साल के भीतर ही स्कूल में छात्राओं की संख्या बढ़कर 150 हो गई। सावित्रीबाई ने सिर्फ पढ़ाया ही नहीं, बल्कि समाज की रूढ़िवादी सोच के खिलाफ एक क्रांति की शुरुआत की। उन्होंने विधवा विवाह को बढ़ावा दिया और कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाई। वे सच्चे अर्थों में एक 'सुपरटीचर' थीं जिन्होंने सामाजिक बदलाव की नींव रखी। उनका नारा था - "जाओ जाकर पढ़ो-लिखो, बनो आत्मनिर्भर, काम करो और कुछ बनो।"

2. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: मिसाइल मैन जो सबसे पहले खुद को शिक्षक मानते थे


‘मिसाइल मैन’ के नाम से मशहूर डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एक महान वैज्ञानिक और भारत के राष्ट्रपति थे, लेकिन उनकी पहचान सबसे बड़ी एक शिक्षक के रूप में थी। उनका मानना था कि "अगर एक देश भ्रष्टाचार मुक्त होना है... तो मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि समाज के तीन प्रमुख सदस्य ये कर सकते हैं: पिता, माता और गुरु।" कलाम साहब बच्चों और युवाओं के बीच हमेशा उनके सपनों को उड़ान देने की बात करते थे। वे क्लासरूम में पढ़ाने से लेकर देश के कोने-कोने में युवाओं से मिलते थे और उन्हें ज्ञान बांटते थे। उनकी सबसे बड़ी देन यही है कि उन्होंने हर युवा के दिल में जिज्ञासा और देश के लिए कुछ कर गुजरने का जुनून पैदा किया। वे एक ऐसे शिक्षक थे जिनकी कक्षा पूरा देश था और जिनकी शिक्षाएं आज भी लाखों युवाओं को प्रेरित कर रही हैं। उनकी पुस्तकें 'विंग्स ऑफ फायर' और 'इग्नाइटेड माइंड्स' आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनका कहना था कि "शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिससे आप दुनिया बदल सकते हैं।"

3. अन्ना राजम मल्होत्रा: भारतीय बैंकिंग की क्रांति की नींव रखने वाली शिक्षिका


क्या आप एटीएम से पैसे निकालते हैं? या ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं? इसकी नींव रखने वाली एक शिक्षिका थीं - अन्ना राजम मल्होत्रा। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक स्कूल टीचर के तौर पर की थी। बाद में वह भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में आईं और देश में कंप्यूटरीकरण की अगुआ बनीं। उन्होंने ही भारत में पहली बार कंप्यूटर से बैंकिंग व्यवस्था शुरू करवाई। 1980 के दशक में जब कंप्यूटर एक नई चीज थी, अन्ना ने भारतीय स्टेट बैंक की चेन्नई शाखा में पहली बार कंप्यूटरीकरण की शुरुआत की। एक शिक्षिका के तौर पर मिली ट्रेनिंग ने ही उन्हें जटिल से जटिल चीजों को आसानी से समझाने और लागू करने का हुनर दिया। उनकी कहानी हर उस टीचर के लिए प्रेरणा है जो सोचता है कि क्लासरूम की शिक्षा का असर सिर्फ क्लासरूम तक ही सीमित रहता है। अन्ना ने दिखाया कि एक शिक्षक की सोच पूरे देश की अर्थव्यवस्था को बदल सकती है और डिजिटल इंडिया की नींव रख सकती है। उन्हें भारत में कंप्यूटर क्रांति की जननी कहा जाता है।

4. जेम्स नैस्मिथ: वो फिजिक्स टीचर जिसने सर्दियों में बच्चों को बिजी रखने के लिए ईजाद किया बास्केटबॉल


क्या आप बास्केटबॉल खेलना पसंद करते हैं? यह दुनिया के सबसे मशहूर खेलों में से एक है। हैरानी की बात यह है कि इस खेल का आविष्कार एक फिजिक्स के टीचर ने किया था! 1891 में, अमेरिका के स्प्रिंगफील्ड, मैसाचुसेट्स के एक स्कूल में पढ़ाने वाले जेम्स नैस्मिथ एक समस्या का हल ढूंढ रहे थे। सर्दियों के मौसम में बच्चे खेल नहीं पाते थे और उनका ध्यान भटकता था। उन्होंने एक ऐसे इनडोर गेम के बारे में सोचा जो खेलने में मजेदार हो और सेहत के लिए भी अच्छा हो। उन्होंने एक पीच बास्केट (आड़ू की टोकरी) और एक फुटबॉल की तरह की गेंद ली और कुछ सिंपल नियम बनाए। इनमें से एक नियम यह था कि गेंद को केवल हाथों से ही खेला जा सकता है। इस तरह बास्केटबॉल का जन्म हुआ। नैस्मिथ ने साबित किया कि एक शिक्षक का काम सिर्फ किताबी ज्ञान देना नहीं, बल्कि छात्रों के जीवन को रोचक और बेहतर बनाने के तरीके ढूंढना भी है। आज ओलंपिक से लेकर NBA तक में खेले जाने वाला यह खेल एक शिक्षक की क्रिएटिविटी की देन है। बास्केटबॉल आज दुनिया के सबसे फेमस स्पोर्ट्स में से एक है और इसे 200 से ज्यादा देशों में खेला जाता है।

5. मारिया मोंटेसरी: डॉक्टर से शिक्षिका बनीं जिनकी शिक्षण पद्धति आज पूरी दुनिया में मशहूर है


आज पूरी दुनिया में मोंटेसरी पद्धति से बच्चों को पढ़ाया जाता है। यह पद्धति बनाने वाली मारिया मोंटेसरी इटली की पहली वुमन मेडिकल डॉक्टर थीं। उन्होंने देखा कि जिन बच्चों को 'मानसिक रूप से कमजोर' समझा जाता था, उन्हें अगर सही तरीके से पढ़ाया जाए, तो वे भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। उन्होंने डॉक्टरी की नौकरी छोड़कर शिक्षिका बनने का फैसला किया और एक ऐसी शिक्षण प्रणाली विकसित की जो बच्चे की नेचुरल जिज्ञासा और क्रिएटिविटी पर फोकस करती है। मोंटेसरी पद्धति की खास बात यह है कि इसमें बच्चों को अपनी गति से सीखने की आजादी होती है और प्रैक्टिकल एक्टिविटी के जरिये पढ़ाया जाता है। आज दुनिया भर के 20,000 से ज्यादा स्कूलों में उनकी इसी 'खेल-खेल में सीखने' वाली विधि से पढ़ाई होती है। मारिया मोंटेसरी ने दिखाया कि शिक्षा का मतलब सिर्फ फैक्ट्स याद करवाना नहीं, बल्कि एक बच्चे के मन की संभावनाओं को पहचानना और उन्हें आगे बढ़ाना है। उनकी इसी सोच ने आधुनिक शिक्षा प्रणाली को एक नई दिशा दी। उनकी किताब 'द मोंटेसरी मेथड' आज भी शिक्षा के क्षेत्र में एक मिशाल मानी जाती है।

शिक्षक दिवस: एक उत्सव जो हर दिन मनना चाहिए

शिक्षक दिवस साल में एक बार आता है, लेकिन एक शिक्षक का योगदान तो हर पल हमारे साथ होता है। हमारे जीवन के हर महत्वपूर्ण फैसले में, हर सफलता के पीछे, कहीं न कहीं हमारे शिक्षकों का हाथ होता है। वे न सिर्फ हमें किताबी ज्ञान देते हैं, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाते हैं। एक अच्छा शिक्षक हमें सोचना सिखाता है, सवाल करना सिखाता है और खुद जवाब ढूंढने की प्रेरणा देता है।

आज के डिजिटल युग में शिक्षकों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। जब इंटरनेट पर हर जानकारी उपलब्ध है, तो शिक्षक हमें यह सिखाते हैं कि सही और गलत जानकारी में कैसे अंतर करें। वे हमें महत्वपूर्ण सोच सिखाते हैं, जो आज के समय की सबसे जरूरी कला है।

हमारे जीवन में शिक्षकों का योगदान अतुलनीय है। वे हमें अक्षर ज्ञान देने से लेकर अच्छे इंसान बनने तक का रास्ता दिखाते हैं। एक शिक्षक हमें सिखाता है कि असफलता सफलता की पहली सीढ़ी है, कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है, और दूसरों की मदद करना ही सच्चा मानव धर्म है।

ये पांचों शिक्षक अलग-अलग देशों और अलग-अलग समय के थे, लेकिन इनमें एक चीज कॉमन थी - दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने का जुनून। इन्होंने साबित किया कि एक शिक्षक की भूमिका सिर्फ ब्लैक बोर्ड तक सीमित नहीं है। एक शिक्षक समाज बदल सकता है, नई टेक्नोलॉजी दे सकता है, नए खेल क्रिएट कर सकता है और शिक्षा के तरीके ही बदल सकता है। ये शिक्षक हमें सिखाते हैं कि शिक्षा सिर्फ डिग्री हासिल करने का जरिया नहीं बल्कि जिंदगी को बेहतर बनाने का एक तरीका है। इनकी विरासत हमें यह एहसास दिलाती है कि एक अच्छा शिक्षक अनगिनत जिंदगियों को प्रेरित कर सकता है और पूरी पीढ़ियों की सोच बदल सकता है।

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