TRENDING TAGS :
What Is Hobosexuality Trend: किराए का प्यार या जुगाड़ - जानिए Hobosexuality ट्रेंड के बारे में
Urban Life & Hobosexuality Trend: महानगरों में इस ट्रेंड के पीछे मुख्य कारणों में से एक बढ़ती महंगाई भी है।
Pic Credit - Social Media
High Cost Living Effects On Relationships:क्या आपने कभी होबोसेक्सुअलिटी शब्द सुना है? अगर नहीं तो कोई बात नहीं। इसे समझने के लिए आपको किसी विशेष किताब या वित्तीय सलाहकार की जरूरत नहीं है। आसान शब्दों में कहें तो होबोसेक्सुअलिटी एक ऐसा तरीका है जिसमें लोग रिश्तों या पार्टनरशिप को अपनाते हैं लेकिन स्थायी या दीर्घकालिक जिम्मेदारियों से बचते हैं। इसका मतलब है कि कुछ लोग प्यार, देखभाल और साथी होने के सुख का अनुभव लेना चाहते हैं। लेकिन घर, बिल, या शादी जैसी लंबी जिम्मेदारियों में फंसना नहीं चाहते। शहरों में यह ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है खासकर उन लोगों के बीच जो स्वतंत्र रहना पसंद करते हैं और अपने जीवन में व्यक्तिगत आज़ादी को प्राथमिकता देते हैं।
हॉबोसेक्सुअलिटी क्या है?
हॉबोसेक्सुअलिटी एक नया शब्द है जो उन लोगों के रिश्तों को बताता है जिनका उद्देश्य सच्चा प्यार या भावनात्मक जुड़ाव नहीं बल्कि रहने की जगह या आर्थिक मदद लेना होता है। ऐसे लोग अक्सर लंबी जिम्मेदारियों जैसे शादी या स्थायी संबंधों से बचते हैं और अपने रिश्तों को आरामदायक और सुविधाजनक बनाए रखना पसंद करते हैं। इसे आप ‘रेंट-फ्री जीवनशैली’ या ‘किराए पर साथी’ के रूप में भी समझ सकते हैं। इसके पीछे मुख्य कारण महंगी जिंदगी, नौकरी की अनिश्चितता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की चाह है। ऐसे लोग जल्दी रिश्ते में आते हैं लेकिन अक्सर घर या पैसे में योगदान नहीं देते और जब कहीं बेहतर मौका मिलता है तो चले भी जाते हैं। इससे रिश्ते में भावनात्मक गहराई कम होती है और अक्सर असमान लाभ या शक्ति की स्थिति बन जाती है। यह ट्रेंड पहले अमेरिका के शहरों में शुरू हुआ था लेकिन अब भारत के महंगे शहरों में भी तेजी से बढ़ रहा है।
क्यों बढ़ रहा है यह चलन?
शहरी युवाओं में हॉबोसेक्सुअलिटी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इसके पीछे कई कारण हैं:
स्वतंत्रता की चाह - आज के शहरी युवा अपने करियर, शौक और व्यक्तिगत विकास पर ध्यान देना चाहते हैं और इसलिए लंबे रिश्तों या शादी जैसी जिम्मेदारियों से बचना पसंद करते हैं।
आर्थिक कारण - बड़े शहरों में रहने का खर्च बहुत है जैसे किराया, खाना और यात्रा। हॉबोसेक्सुअलिटी में दो या अधिक लोग मिलकर खर्च बाँटते हैं, जिससे पैसे की बचत होती है और आर्थिक बोझ कम होता है।
सामाजिक बदलाव - आज के समाज में साथी चुनने की आज़ादी बढ़ गई है। पारंपरिक दबाव कम हुए हैं और डेटिंग ऐप्स और सोशल मीडिया ने रिश्तों को आसान और तेज़ बना दिया है।
भावनात्मक संतुलन - यह उन लोगों के लिए सही है जो अकेलेपन से बचना चाहते हैं लेकिन रिश्तों की गहराई या जिम्मेदारियों में नहीं फंसना चाहते। वे आरामदायक, अस्थायी और सुविधाजनक साथी संबंध रखते हैं।
होबोसेक्सुअलिटी और शहरों में बढ़ती महंगाई
होबोसेक्सुअलिटी भारत के मेट्रो शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु में तेजी से बढ़ रही है। इसका कारण यह है कि युवा अपने करियर, पढ़ाई और व्यक्तिगत विकास में इतने व्यस्त हैं कि वे पारंपरिक रिश्तों के बजाय अस्थायी, सुविधाजनक और स्वतंत्र संबंध पसंद करते हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण महंगी जिंदगी और बढ़ती किराए की समस्या भी है। 2025 में भारत के 13 शहरों में प्रॉपर्टी की कीमतों में तेज बढ़ोतरी हुई जिसमें दिल्ली एनसीआर और बेंगलुरु सबसे आगे रहे। लक्जरी और औसत रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी की कीमतों में भी करीब 6.5% तक बढ़ोतरी देखी गई। खासतौर पर 1BHK फ्लैट्स की मांग बढ़ी है, क्योंकि युवा किफायती और छोटे फ्लैट को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। यही वजह है कि होबोसेक्सुअलिटी जैसे रिश्ते शहरों में तेजी से प्रचलित हो रहे हैं। जहाँ लोग रहने की जगह और आर्थिक मदद के लिए साथी चुनते हैं न कि सिर्फ प्यार या स्थायी रिश्तों के लिए।
इसकी चुनौतियाँ और आलोचनाएँ
होबोसेक्सुअलिटी जैसे रिश्ते शुरुआती तौर पर सुविधाजनक लग सकते हैं, लेकिन इनमें अक्सर भावनात्मक अस्थिरता होती है। लोग इन्हें अस्थायी खुशी मानकर भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं जिससे दिल टूटने का डर बना रहता है। ऐसे रिश्तों में भ्रम, असुरक्षा, आक्रोश और निर्भरता जैसी भावनाएँ पैदा हो सकती हैं। इसके अलावा लंबे समय तक रहने पर यह मानसिक तनाव और परेशानी भी ला सकते हैं। समाज में पारंपरिक और स्थायी रिश्तों को महत्व देने वाले लोग इस तरह के रिश्तों को अस्वीकार करते हैं और इसे 'अस्थिर' मानते हैं। इन रिश्तों में दीर्घकालिक सुरक्षा की कमी भी होती है क्योंकि शादी या स्थायी संबंध जैसी कानूनी और आर्थिक सुरक्षा नहीं होती।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!