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Romance vs Marriage: क्या रोमांस' एक जरूरत है? जानिए बाइबल, शादी और रिश्तों की गहराई से जुड़ा वो सच जो हर किसी को नहीं पता
Romance vs Marriage: क्या रोमांस रियल में एक जरूरत है? आइए बाइबल का नजरिया, विवाह में रोमांस की भूमिका और कैसे समझदारी और आपसी सम्मान से रिश्तों को मजबूत बनाया जा सकता है।
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Romance vs Marriage: आज की बीजी लाइफस्टाइल में कई कपल्स रोमांस की कमी से जूझते हैं। थकान, ओवरशेड्यूलिंग और जीवन में तनाव जैसे कारण अक्सर एक-दूसरे के प्रति आकर्षण को कम कर देते हैं। इसी मुद्दे पर यूट्यूब पर बात करते हुए कहा गया कि 'रोमांस के बिना कोई मर नहीं जाएगा।' इस बात पर कई लोगों ने सहमति जताई, लेकिन कई ने पूछा 'मुझे सिखाया गया है कि पुरुषों के लिए रोमांस एक जरूरत है, लेकिन आपने कहा कि रोमांस एक जरूरत नहीं है।
रोमांस जरूरत या इच्छा?
हमारी बुनियादी जरूरतें हैं जैसे हवा, पानी, खाना और आश्रय। इनके बिना हम जीवित नहीं रह सकते हैं, लेकिन रोमांस उन चीजों में नहीं आता जिनके बिना जीवन संभव न हो। रोमांस एक इच्छा है, एक ऐसी भावना जो हम अपने जीवनसाथी के साथ साझा करना चाहते हैं। यह कोई गलत या तुच्छ इच्छा नहीं है। यह ईश्वर का एक सुंदर उपहार है, जो पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम, अपनापन और संतुलन को दर्शाता है।
बाइबल क्या कहती है?
बाइबल में विवाह को जीवनभर के लिए एक पुरुष और एक महिला के बीच आध्यात्मिक, भावनात्मक और शारीरिक एकता के रूप में देखा गया है। ईश्वर ने रोमांस को सिर्फ संतान उत्पत्ति के लिए नहीं, बल्कि आपसी आनंद के लिए भी बनाया। जब मनुष्य ने पाप किया, तब हमने ईश्वर की रचना से खुद को दूर कर लिया। हमारे अंदर की पापपूर्ण प्रवृत्ति इच्छाओं को जरूरत समझने लगती है। यही सोच हमें स्वार्थी और नियंत्रक बना देती है।
इस शास्त्र में कहा गया है कि पति-पत्नी को एक-दूसरे के प्रति शारीरिक संबंध निभाने की जिम्मेदारी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जबरदस्ती या दबाव बनाकर रोमांस किया जाए। बाइबल का संदेश है कि रोमांस आपसी सहमति, सम्मान और प्रेम पर आधारित होना चाहिए, न कि अधिकार और नियंत्रण पर। अगर कोई थका है, बीमार है या मानसिक रूप से अस्वस्थ है, तो वह सेक्स से इनकार कर सकता है यह अस्वीकृति है।
जब रोमांस बन जाए जबरदस्ती
कुछ लोग इस शास्त्र को इस तरह इस्तेमाल करते हैं, जिससे वे अपने जीवनसाथी पर दबाव बना सकें, लेकिन बाइबल यह नहीं कहती कि किसी एक का शरीर दूसरे पर जबरन थोप दिया जाए। एक समर्पित शरीर कभी भी खुद को थोप नहीं सकता। समझदारी इसी में है कि हम अपने जीवनसाथी की भावनाओं और स्थिति को समझें, न कि केवल अपनी इच्छा पर जोर दें।
रोमांस को कभी मांग या अधिकार न बनाएं। यह एक पवित्र उपहार है, जिसे शादी के रिश्ते में प्यार, आदर और परस्पर समझदारी के साथ जीया जाना चाहिए।
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