History Of FSSAI: जानिए उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित FSSAI का परिचय और इसकी प्रमुख जिम्मेदारियां

History Of FSSAI: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) भारत में खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने वाली एक अत्यंत महत्वपूर्ण संस्था है।

Shivani Jawanjal
Published on: 5 Jun 2025 1:50 PM IST
History Of FSSAI
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History Of FSSAI

History Of FSSAI: खाद्य सुरक्षा किसी भी सभ्य समाज की आधारभूत आवश्यकता है, क्योंकि यह सीधे व्यक्ति के स्वास्थ्य, पोषण और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। भारत जैसे विशाल जनसंख्या और विविध खाद्य परंपराओं वाले देश में यह और भी आवश्यक हो जाता है कि हर नागरिक को सुरक्षित, स्वच्छ और मानकों के अनुरूप खाद्य उत्पाद प्राप्त हों। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए भारत सरकार ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की स्थापना की, जो खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के अंतर्गत गठित एक स्वायत्त संस्था है। इसका प्रमुख दायित्व देशभर में खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता, शुद्धता और सुरक्षा को सुनिश्चित करना है, जिससे उपभोक्ताओं को स्वास्थ्यवर्धक और भरोसेमंद आहार मिल सके।

इस लेख में हम FSSAI के इतिहास, संरचना, कार्यप्रणाली और प्रमुख उद्देश्यों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि यह समझा जा सके कि यह संस्था भारतीय खाद्य प्रणाली को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने में किस प्रकार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

FSSAI का गठन और संरचना


भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की स्थापना खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत की गई थी, और यह संस्था वास्तविक रूप से वर्ष 2008 से कार्यान्वित हुई। यह भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्य करती है। FSSAI का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है, जबकि इसके क्षेत्रीय कार्यालय मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, कोच्चि और गुवाहाटी में हैं। इसके अतिरिक्त, गाजियाबाद में इसका Central Licensing Authority कार्यालय भी कार्यरत है। इस संस्था के प्रमुख अधिकारी को मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) कहा जाता है, जिसकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। FSSAI का बोर्ड विभिन्न मंत्रालयों, उपभोक्ता संगठनों, वैज्ञानिक समुदाय, उद्योग जगत तथा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों से मिलकर बना होता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि खाद्य सुरक्षा से संबंधित निर्णय व्यापक दृष्टिकोण से लिए जाएं।

FSSAI के प्रमुख उद्देश्य


FSSAI के गठन के पीछे कई महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं, जिनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं:

खाद्य की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करना - FSSAI का मुख्य उद्देश्य देश में बिकने वाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और सुरक्षा की निगरानी करना है, ताकि उपभोक्ताओं को सुरक्षित और स्वच्छ खाद्य मिले।

खाद्य मानकों का निर्धारण - FSSAI वैज्ञानिक आधार पर विभिन्न खाद्य उत्पादों के लिए मानक तय करता है, जिससे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता बनी रहे और मिलावट या हानिकारक तत्वों से बचाव हो।

खाद्य कारोबारियों का पंजीकरण और लाइसेंसिंग - FSSAI छोटे और बड़े स्तर के खाद्य कारोबारियों का पंजीकरण और लाइसेंसिंग करता है, जिससे खाद्य व्यापार में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित हो सके।

उपभोक्ताओं की जागरूकता बढ़ाना - FSSAI उपभोक्ताओं में खाद्य सुरक्षा, पोषण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न अभियान और कार्यक्रम चलाता है।

खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना और मान्यता - FSSAI देशभर में खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना, मान्यता और उन्नयन करता है, ताकि खाद्य उत्पादों की वैज्ञानिक जांच की जा सके।

FSSAI का कार्यक्षेत्र

FSSAI का कार्यक्षेत्र अत्यंत व्यापक है,यह सुनिश्चित करता है कि खाद्य श्रृंखला के हर चरण में स्वच्छता और गुणवत्ता बनाए रखी जाए।भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) का कार्यक्षेत्र खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात तक फैला हुआ है। यह सुनिश्चित करता है कि खाद्य श्रृंखला (Food Chain) के प्रत्येक चरण में स्वच्छता, गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का पालन हो। FSSAI के प्रमुख कार्यों में खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता की जांच और विश्लेषण, खाद्य नमूनों की मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिक जांच, तथा खाद्य कारोबारियों का नियमित निरीक्षण और निगरानी शामिल हैं। यदि कोई कारोबारी निर्धारित मानकों का उल्लंघन करता है, तो संस्था उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई जैसे लाइसेंस रद्द करना, जुर्माना लगाना आदि कदम उठाती है। इसके अतिरिक्त, FSSAI देशभर में खाद्य सुरक्षा से संबंधित जन जागरूकता अभियान भी चलाता है, ताकि उपभोक्ता और कारोबारी दोनों खाद्य मानकों के प्रति सजग और ज़िम्मेदार बनें।

FSSAI लाइसेंस की अनिवार्यता और प्रकार


भारत में खाद्य व्यापार (Food Business) से जुड़ी किसी भी गतिविधि चाहे वह उत्पादन हो, प्रसंस्करण, वितरण या बिक्री के लिए FSSAI से लाइसेंस या पंजीकरण लेना कानूनी रूप से अनिवार्य है। FSSAI तीन प्रकार के लाइसेंस/पंजीकरण प्रदान करता है, जो व्यवसाय की प्रकृति और सालाना टर्नओवर पर निर्भर करता है।

बेसिक पंजीकरण - उन छोटे व्यापारियों के लिए होता है जिनका सालाना टर्नओवर ₹12 लाख तक है, जैसे – छोटे होटल, स्टॉल, या घरेलू खाद्य उत्पादक।

राज्य लाइसेंस - उन मध्यम स्तर के कारोबारियों के लिए होता है जिनका टर्नओवर ₹12 लाख से ₹20 करोड़ के बीच है और जो राज्य के भीतर कार्य करते हैं।

केंद्रीय लाइसेंस - उन बड़ी कंपनियों के लिए होता है जिनका सालाना टर्नओवर ₹20 करोड़ से अधिक है। इसके अलावा, आयात-निर्यात, अंतरराज्यीय व्यापार, एयरपोर्ट, रेलवे, बंदरगाह, या केंद्र सरकार से जुड़े संस्थानों के लिए भी केंद्रीय लाइसेंस अनिवार्य होता है, चाहे टर्नओवर कुछ भी हो।

महत्वपूर्ण यह है कि टर्नओवर के साथ-साथ व्यापार की प्रकृति भी यह निर्धारित करती है कि किस प्रकार का लाइसेंस आवश्यक है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यवसाय खाद्य आयात करता है, तो उसे टर्नओवर की परवाह किए बिना केंद्रीय लाइसेंस लेना अनिवार्य होता है।

FSSAI लोगो और लाइसेंस नंबर का महत्व

FSSAI द्वारा जारी किए गए हर लाइसेंस में एक 14 अंकों का यूनिक नंबर होता है, जो प्रत्येक लाइसेंसधारी खाद्य कारोबारी को अलग-अलग प्रदान किया जाता है। यह नंबर न केवल पहचान का माध्यम है, बल्कि खाद्य उत्पाद की गुणवत्ता और वैधता का प्रमाण भी है। FSSAI के नियमों के अनुसार, प्रत्येक पैकेज्ड खाद्य उत्पाद पर FSSAI का लोगो और यह 14 अंकों का लाइसेंस नंबर अंकित करना अनिवार्य है। इससे उपभोक्ताओं को यह भरोसा मिलता है कि संबंधित उत्पाद FSSAI के मानकों के अनुसार जांचा-परखा गया है और उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित की गई है। उपभोक्ता चाहें तो इस नंबर के माध्यम से FSSAI की आधिकारिक वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर जाकर उत्पाद से संबंधित लाइसेंस की वैधता और कारोबारी की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह उपभोक्ताओं के अधिकार और जागरूकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उन्हें सुरक्षित और सही जानकारी पर आधारित खरीदारी का अवसर प्रदान करता है।

FSSAI द्वारा निर्धारित मानक


भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने विभिन्न खाद्य श्रेणियों के लिए वैज्ञानिक मानकों की एक व्यापक रूपरेखा निर्धारित की है, जो उपभोक्ता स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ये मानक वैज्ञानिक पद्धतियों, अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों (विशेषकर CODEX Alimentarius) और भारत की भौगोलिक व सांस्कृतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं। CODEX Alimentarius एक अंतरराष्ट्रीय रूप से मान्यता प्राप्त गाइडलाइन है, जिसका अनुसरण विश्व के कई देश करते हैं, और FSSAI भी इसे अपने मानकों का आधार मानता है।

FSSAI द्वारा मानकीकृत प्रमुख खाद्य श्रेणियों में शामिल हैं:

दूध और दुग्ध उत्पाद (Milk & Milk Products)

तेल और वसा (Oils & Fats)

अनाज और आटा उत्पाद (Cereals & Cereal Products)

मीट, पोल्ट्री और मछली उत्पाद (Meat, Poultry & Fish Products)

फलों और सब्जियों से बने उत्पाद (Fruits & Vegetable Products)

पेय पदार्थ (Drinking Water, Juices, Carbonated Drinks, etc.)

पैकेज्ड फूड (Packaged Food Products)

इन सभी श्रेणियों के लिए FSSAI ने सुरक्षा, गुणवत्ता, लेबलिंग, एडिटिव्स, अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) आदि के स्पष्ट मानक निर्धारित किए हैं।

उपभोक्ताओं के लिए FSSAI की भूमिका

FSSAI का एक प्रमुख उद्देश्य उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है, ताकि उन्हें सुरक्षित, स्वच्छ और गुणवत्तायुक्त खाद्य उत्पाद उपलब्ध हो सकें। उपभोक्ता सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में FSSAI ने Food Safety Connect पोर्टल और मोबाइल ऐप शुरू किया है, जहाँ उपभोक्ता खाद्य उत्पादों से जुड़ी शिकायतें दर्ज कर सकते हैं और शिकायत की स्थिति को ऑनलाइन ट्रैक भी कर सकते हैं। यह सुविधा शिकायत निवारण की प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावी बनाती है। इसके अलावा, संस्था समय-समय पर "ईट राइट इंडिया" जैसे राष्ट्रीय अभियान भी चलाती है, जिनका उद्देश्य जनता को स्वस्थ भोजन, स्वच्छता, पोषण और संतुलित आहार के महत्व के प्रति जागरूक करना है। इस अभियान में स्कूल, कॉलेज, रेस्तरां, स्ट्रीट फूड वेंडर सहित समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है, जिससे सामूहिक स्वास्थ्य सुधार की दिशा में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

FSSAI की उपलब्धियां और योगदान

FSSAI ने पिछले वर्षों में खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं, जैसे:

Eat Right India Movement – ‘Eat Right India’ FSSAI का प्रमुख राष्ट्रीय अभियान है, जिसका उद्देश्य नागरिकों को पोषणयुक्त, स्वच्छ और सुरक्षित भोजन के लिए प्रेरित करना है। यह अभियान अब एक राष्ट्रीय आंदोलन बन चुका है और इसमें स्कूल, कॉलेज, रेस्तरां, स्ट्रीट फूड वेंडर आदि को भी शामिल किया गया है।

फूड टेस्टिंग लैब्स का नेटवर्क - FSSAI ने देशभर में अत्याधुनिक खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं (Food Testing Labs) का नेटवर्क विकसित किया है। ये लैब्स खाद्य नमूनों की वैज्ञानिक जांच करती हैं और खाद्य सुरक्षा मानकों के पालन को सुनिश्चित करती हैं।

खाद्य कारोबारियों के लिए प्रशिक्षण(FOSTAC) - FSSAI ने FOSTAC (Food Safety Training and Certification) पहल शुरू की है, जिसके तहत खाद्य कारोबारियों, हैंडलर्स और कर्मचारियों को खाद्य सुरक्षा, स्वच्छता और कानून संबंधी प्रशिक्षण दिया जाता है।

यह प्रशिक्षण खाद्य सुरक्षा के स्तर को जमीनी स्तर तक मजबूत करता है।

Fortification Program - FSSAI ने फोर्टिफिकेशन (Fortification) को बढ़ावा दिया है, जिसके तहत नमक, आटा, तेल, दूध आदि में आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व (जैसे आयोडीन, आयरन, विटामिन A और D) मिलाए जाते हैं। यह कुपोषण और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से लड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।

चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा


भारत में खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में FSSAI को कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता के प्रति जागरूकता की कमी उपभोक्ताओं और छोटे कारोबारियों दोनों के लिए चिंता का विषय है। साथ ही, बिना लाइसेंस वाले या नकली तथा मिलावटी खाद्य उत्पादों का बाजार में प्रचलन उपभोक्ता स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करता है। देश के कई हिस्सों में खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं की सीमित संख्या और उनकी पहुँच भी त्वरित एवं व्यापक जांच में बाधा डालती है। छोटे और असंगठित कारोबारियों के लिए FSSAI के तकनीकी मानकों का पालन कराना चुनौतीपूर्ण साबित होता है, क्योंकि उनके पास संसाधन और सही जानकारी का अभाव होता है।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए FSSAI ने डिजिटल लाइसेंसिंग, शिकायत पोर्टल, मोबाइल फूड टेस्टिंग वैन, व्यापक जागरूकता अभियान जैसे Eat Right India, प्रशिक्षण कार्यक्रम FOSTAC, तथा खाद्य फोर्टिफिकेशन और सख्त लेबलिंग नीतियों को अपनाया है। ये रणनीतियाँ खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने और सभी वर्गों तक गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में प्रभावी कदम साबित हो रही हैं।

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