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सिर्फ पीने की चीज़ नहीं है चाय! दुनिया को क्या संदेश देना चाहता है यह दिन? चाय दिवस पीछे की पूरी कहानी जाने... सिर्फ यहां!
International Tea Day 2025: भारत में लगभग हर घर में लोगों की दिन की शुरुआत सुबह की पहली चाय की चुस्की से होती है। चाय हमारे जीवन का एक ऐसा हिस्सा बन चुकी है, जिसे हम केवल पीने के लिए नहीं बल्कि एक भावनात्मक रूप से भी जोड़ कर देखते हैं।
International Tea Day 2025 (photo: social media)
International Tea Day 2025: भारत में लगभग हर घर में लोगों की दिन की शुरुआत सुबह की पहली चाय की चुस्की से होती है। चाय हमारे जीवन का एक ऐसा हिस्सा बन चुकी है, जिसे हम केवल पीने के लिए नहीं बल्कि एक भावनात्मक रूप से भी जोड़ कर देखते हैं। परिवार में किसी की तबीयत ख़राब है तो चाय देते हैं, घर में कोई मेहमान आ जाए तो चाय के लिए पूछते हैं और बाहर भी जाना हुआ तो एक बार ज़रूर चाय ऑफर करते हैं।
यही कारण है कि चाय को विश्वभर में सम्मान देने के लिए हर साल 21 मई को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस (International Tea Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन न सिर्फ इस अद्भुत पेय को सम्मान देता है । बल्कि यह उन लाखों श्रमिकों और किसानों के अधिकारों की ओर भी ध्यान खींचता है जो कई सालों से चाय उत्पादन से जुड़े हुए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस कब और क्यों मनाया जाता है
चाय विश्व का पसंदीदा और सबसे अधिक पिया जाने वाला पेय पदार्थ है। इसकी खेती और व्यापार से करोड़ों लोग जुड़े हुए हैं। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य चाय के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्त्व को पहचान दिलाना और चाय उत्पादन से जुड़े हुए श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा करना है। साथ ही यह दिन लोगों को चाय की खेती, व्यापार और खपत से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दों की तरफ भी जागरूक करता है।
इसका उद्देश्य (Objectives of International Tea Day):
1. चाय उत्पादकों और श्रमिकों की स्थिति में सुधार: चाय उद्योग में काम कर रहे किसानों और मजदूरों के श्रम की प्रशंसा करना तथा उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए नीतियां बनाना।
2. चाय की खेती को सतत (Sustainable) बनाना: चाय उत्पादन के पर्यावरणीय रूप पर ध्यान देना और जैविक तथा हरित चाय उत्पादन को बढ़ावा देना है।
3. चाय की दुनियाभर में महत्ता को बताना: यह दिन चाय के सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से दिए गए योगदान को पहचान दिलाता है।
4. व्यापार में बढ़ोतरी होना: छोटे चाय उत्पादकों और व्यापारियों को और मजबूत बनाने की दिशा में काम करना।
अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस का इतिहास (History of International Tea Day)
अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस की शुरुआत सबसे पहले साल 2005 में भारत और श्रीलंका में हुई थी। उस वक़्त यह दिन 15 दिसंबर को मनाया जाता था। साल 2005, 15 दिसंबर को दिल्ली में यह दिवस बड़े धूमधाम से पहली बार मनाया गया था। इसका आयोजन ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य चाय उद्योग में श्रमिकों के अधिकारों, वेतन, कार्य परिस्थितियों और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों को उजागर करना था।
संयुक्त राष्ट्र की मान्यता:
साल 2019 में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने इस दिवस को वैश्विक मान्यता दी और इसका दिन 21 मई तय किया। साल 2020 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस 21 मई को मनाया गया था।
कैसे हुई विश्व में इसकी शुरुआत
विश्व में चाय दिवस की शुरुआत एक सामाजिक आंदोलन के रूप में हुई थी जिसमें भारत, श्रीलंका, नेपाल, वियतनाम, बांग्लादेश, इंडोनेशिया और केन्या जैसे देशों ने इस पर मिलकर काम किया था। चाय उत्पादन से जुड़े संगठनों, ट्रेड यूनियनों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने इसे एक वैश्विक मुद्दा (global issue) बना दिया।
FAO के मुताबिक, चाय सिर्फ एक आर्थिक उत्पाद नहीं है बल्कि यह सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) से भी बड़ा सम्बन्ध रखता हुआ है। इसीलिए इसका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार बेहद आवश्यक माना गया।
भारत में इसकी शुरुआत और महत्त्व
19वीं सदी में भारत में चाय की शुरुआत हुई थी, जब अंग्रेजों ने 1834 में असम में चाय की खेती करना बंद शुरू किया था। 1823 में, रॉबर्ट ब्रूस ने असम में कैमेलिया साइनेंसिस (Camellia sinensis) पौधे की जंगली किस्म की खोज की जिसके बाद 1834 में, भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने असम में चाय की खेती करने के लिए एक समिति का गठन किया। इस प्रकार से भारत में चाय का आगमन अंग्रेजों के आने के बाद हुआ, लेकिन इससे पहले 1200 से 1600 के बीच भी भारत में चाय का सेवन किया जाता था।
भारत चाय का विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है। यहां असम, पश्चिम बंगाल (दार्जिलिंग), केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में चाय की बड़े स्तर पर खेती होती है। भारत के करोड़ों लोगों का जीवन इसी पर आधारित है।
- भारत में चाय का आर्थिक महत्व: चाय भारत की एक आवश्यक निर्यात वस्तु है जो भारत में लाखों लोगों को आर्थिक रूप से मदद करता है।
- भारत में चाय का सामाजिक महत्व: चाय भारत में सभी सामाजिक श्रेणी के लोगों के लिए एक सामान्य रूप से पेय है। यह भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। चाय खासतौर से भारतीयों के लिए एक सामाजिक गतिविधि है और यह अक्सर परिवार और दोस्तों के साथ साझा की जाती है।
- भारत में चाय का सांस्कृतिक महत्व: चाय भारत में एक पारंपरिक (पारंपरिक) पेय है और इसका सांस्कृतिक महत्व भी बड़ा है। चाय भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी बेहद ज़रूरी हुआ करती थी। गांधी जी ने लोगों से चाय समेत ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार करने पर ज़ोर दिया था।
महत्त्वपूर्ण बिंदु:
- भारत में तकरीबन 10 लाख से ज्यादा श्रमिक चाय बागानों में काम करते हैं।
- भारत हर साल लगभग 1300 मिलियन किलोग्राम से ज्यादा चाय का उत्पादन करता है।
- दार्जिलिंग, नीलगिरी और असम की चाय को विश्वभर में प्रीमियम वर्ग में सम्मिलित किया जाता है।
चाय दिवस मानना क्यों आवश्यक है
1. श्रमिकों को सम्मान देने के लिए: चाय उत्पादन का काम बेहद मेहनतभरा होता है, जिसे किसान और श्रमिक बहुत कठिन परिस्थितियों में अंजाम देते हैं।
2. चाय उद्योग को सहरा देने के लिए: यह दिवस चाय से जुड़े उद्योगों, खासकर छोटे उत्पादकों को आर्थिक सहारे और नीति-निर्माण में भागीदारी का मौका देता है।
3. सांस्कृतिक विरासत को रक्षा करने के लिए: चाय न सिर्फ एक पेय है बल्कि यह हमारे सामाजिक जीवन का अहम हिस्सा है।
4. पर्यावरणीय जागरूकता: चाय की जैविक खेती को बढ़ाने के के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है।
5. सतत विकास के लिए: यह दिवस गरीबी उन्मूलन, भूख से मुक्ति और लैंगिक समानता जैसे लक्ष्यों में योगदान देता है।
अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस 2025 की थीम (Theme of International Tea Day 2025)
संयुक्त राष्ट्र हर साल इस दिवस की एक खास थीम घोषित करता है। 2025 में अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस की थीम "चाय और निष्पक्ष व्यापार" है। यह थीम चाय के आर्थिक महत्व को बढ़ावा देती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां इसे उगाया जाता है। जिसका उद्देश्य निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को उजागर करना है जो गरीबी से लड़ने में सहायता करते हैं। यह दिन चाय उद्योग में महिलाओं की बड़ी भूमिका पर भी ध्यान खींचता है और उनके योगदान को सम्मान देने के साथ उन्हें शोषण से बचाता है।
अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस मात्र एक प्रतीकात्मक उत्सव नहीं है बल्कि यह एक ऐसा मंच है जो विश्वभर के चाय उत्पादकों, श्रमिकों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं को एकत्रित करता है। भारत जैसे देश में जहां चाय सिर्फ एक पेय नहीं बल्कि संस्कृति का एक अहम हिस्सा है, इस दिन को जागरूकता, समानता और सम्मान का उत्सव के रूप में जानना चाहिए। आज ये बेहद ज़रूरी है कि हम सिर्फ चाय पीकर ही नहीं बल्कि इसके पीछे मेहनत कर रहे लोगों को भी सराहें और उनके लिए न्यायसंगत नीतियों की मांग करें।
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