Historical swords: महाराष्ट्र की ऐतिहासिक धरोहर-जानिए शिवाजी महाराज के लोकप्रिय तलवारों की विशेषताएं

Shivaji Maharaj Talwar: शिवाजी महाराज की यह तलवारें महाराष्ट्र की ऐतिहासिक संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।

Shivani Jawanjal
Published on: 2 Oct 2025 5:26 PM IST
Historical swords: महाराष्ट्र की ऐतिहासिक धरोहर-जानिए शिवाजी महाराज के लोकप्रिय तलवारों की विशेषताएं
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Pic Credit - Social Media

Shivaji Maharaj famous swords:छत्रपति शिवाजी महाराज, मराठा साम्राज्य के संस्थापक और महान योद्धा थे। वे अपने अद्भुत युद्ध कौशल और चालाक रणनीतियों के लिए प्रसिद्ध थे। उनके जीवन में तलवार का बहुत महत्व था। उनकी तलवार सिर्फ एक हथियार नहीं थी, बल्कि उनके साहस, न्याय और सम्मान का प्रतीक भी थी। शिवाजी महाराज की तलवारें उनकी वीरता की कहानी बताती हैं और आज भी इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। आइए जानते हैं शिवाजी महाराज की लोकप्रिय तलवारें और उनकी खासियतें।

भवानी तलवार (Bhavani Talwar)

भवानी तलवार छत्रपति शिवाजी महाराज की सबसे प्रसिद्ध और प्रिय तलवारों में से एक थी। यह तलवार हल्की, मजबूत और धारदार थी, जिसकी लंबाई लगभग 4 से 4.5 फुट थी। कहा जाता है कि इसे देवी तुळजाभवानी ने शिवाजी महाराज को दी थी। शिवाजी महाराज हर साल नवरात्रि में मां भवानी के सामने अपनी तलवार की पूजा करते थे और इसे बहुत महत्व देते थे। इतिहासकारों के अनुसार, भवानी तलवार स्पेन के तोलेडो शहर में बनी थी, जो उस समय अपनी बेहतरीन तलवारों के लिए मशहूर था। यह तलवार आज भी उनके वंशज उदयराजे भौसले के पास सुरक्षित मानी जाती है। हालांकि इसकी असली उत्पत्ति और विवरण को लेकर कुछ मतभेद हैं फिर भी इसे शिवाजी महाराज की महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित तलवार माना जाता है।

तुळजा तलवार

तुळजा तलवार शिवाजी महाराज को उनके पिता शाहजी राजे ने उपहार में दी थी। यह तलवार देवी तुळजा भवानी से जुड़ी मानी जाती है जो महाराष्ट्र के तुळजापूर में स्थित तुळजा भवानी मंदिर की मुख्य देवी हैं और महाराष्ट्र की प्रमुख शक्ति पूजा की देवी मानी जाती हैं। तुळजा तलवार केवल युद्ध का हथियार नहीं थी बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण थी। शिवाजी महाराज की कुलदैवी मां तुळजा भवानी थीं इसलिए इस तलवार का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।इस तलवार की वर्त्तमान स्थिति को लेकर भी भिन्न मत है कुछ इतिहासकार मानते है की यह तलवार सिंधुदुर्ग किले के मंदिर के पास सुरक्षित रखी गई थी। तो वही कुछ इतिहासकारों के अनुसार आज यह उदयनराजे भोसले के जल मंदिर महल या सातारा में संरक्षित है। इतिहासकारों के अनुसार, तुळजा तलवार शिवाजी महाराज के लिए बहुत मूल्यवान थी और उनकी शक्ति और धार्मिक विश्वास का प्रतीक मानी जाती है।

जगदंबा तलवार

जगदंबा तलवार शिवाजी महाराज की प्रमुख तलवारों में से एक थी और इसका नाम देवी जगदंबा से जुड़ा है। यह तलवार हीरे-माणिक से सजी हुई थी और इसकी म्यान सजावट बहुत भव्य थी। 1875-76 में ब्रिटेन के प्रिंस ऑफ वेल्स के भारत भ्रमण के दौरान, कोल्हापूर के शिवाजी वंशज ने यह तलवार प्रिंस को उपहार में दी थी। उस समय उनकी उम्र लगभग 11-12 वर्ष थी। बाद में यह तलवार इंग्लैंड ले जाई गई और आज लंदन के रॉयल कलेक्शन, मार्लबोरो हाउस के इंडिया हॉल में सुरक्षित है। महाराष्ट्र सरकार और सांस्कृतिक संस्थान इसे भारत वापस लाने के प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ब्रिटिश शाही संग्रहालय और कानूनों के कारण यह आसान नहीं है। यह तलवार मराठा साम्राज्य और छत्रपति शिवाजी महाराज की राजसी गरिमा का प्रतीक मानी जाती है।

तलवारों का समग्र महत्व

भवानी, तुळजा और जगदंबा तलवारों का शिवाजी महाराज के जीवन में बहुत महत्व था। इन तीनों तलवारों का नाम देवी शक्तियों से जुड़ा है और ये उनके साहस, धार्मिक विश्वास और मराठा साम्राज्य की शक्ति का प्रतीक थीं। इन तलवारों का इतिहास केवल युद्ध-कौशल का प्रमाण नहीं है बल्कि यह मराठा साम्राज्य की एकता और शक्ति को भी दर्शाता है। शिवाजी महाराज की सेना ने इन तलवारों और तलवारबाज़ी के कौशल का उपयोग करके अपनी सीमाओं का विस्तार किया और स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी। इन तलवारों से जुड़ी कथाएँ और ऐतिहासिक घटनाएँ आज भी महाराष्ट्र और भारत के सांस्कृतिक इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

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