Jalandhar Shiva in Hindi जलंधर कौन था, भगवान शिव का पुत्र या कौई और, जानिए शिवपुराण की कथा..

Jalandhar Shiva in Hindi: कौन था जलंधर ,क्यों शिव ने किया वध और उसकी पत्नी कैसे छली गई? जाने कथा

Suman  Mishra
Published on: 2 Sept 2025 7:58 AM IST
jalandhar shiva in hindi,SOCIAL MEDIA
X

Jalandhar Shiva full story: भगवान शिव ने सृष्टि कल्याण के लिए संहार की भूमिका भी निभाई है। इसी क्रम में कई असुरों का नाश किया है। शिव पुराण में जलंधर और भगवान शिव के बीच युद्ध की कथा है, जो भक्ति, शक्ति और धर्म की विजय का प्रतीक है। यह कथा शिव पुराण और पद्म पुराण और कई पौराणिक ग्रंथों में है। जलंधर शिव का अंश था जो एक पराक्रमी राक्षस था। उसे ब्रह्मा जी का वरदान प्राप्त था, जिस कारण वह अजेय था, लेकिन उसके अहंकार के कारण शिव और जालंधर के बीच एक बार भीषण युद्ध हुआ। जानते हैं शिव और जलंधर के बीच हुए युद्ध की कथा

जलंधर का जन्म

जलंधर का जन्म रहस्यमयी घटना थी। धर्म ग्रंथो में कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने इंद्र की नासमझी और गलती पर क्रोध में आकर अपनी तीसरी आंख खोल दी, जिससे निकली ज्वाला समुद्र में जा गिरी। इस ज्वाला से समुद्र में उथल-पुथल मच गई और उसी से एक शक्तिशाली बालक का जन्म हुआ, जिसे जलंधर नाम दिया गया। 'जल' का अर्थ पानी और 'धर' का अर्थ धारण करने वाला, इस प्रकार जलंधर का अर्थ है 'जल को धारण करने वाला'।

जलंधर के पराक्रम में पत्नी का हाथ

जलंधर को समुद्र देव ने पाला और एक पराक्रमी राक्षस बनाया, उसे शुक्राचार्य नें शिक्षा दी। उसने देवी वृंदा से विवाह किया, जो एक परम पवित्र और शिव की भक्त थी। वृंदा का पतिव्रत धर्म जलंधर की शक्ति का आधार था। जलंधर ने अपनी शक्ति और वीरता के बल पर तीनों लोकों पर आधिपत्य स्थापित करने का फैसला लिया। उसने इंद्र सहित कई देवताओं को पराजित किया और स्वर्ग पर कब्जा कर लिया। उसकी बढ़ती शक्ति और अहंकार ने देवताओं को चिंतित कर दिया।

जलंधर ने अपनी तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे कई वरदान प्राप्त किए। ब्रह्मा जी ने उसे वरदान दिया कि वह किसी भी देवता, मनुष्य या राक्षस द्वारा पराजित नहीं होगा। इसके अलावा उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रत धर्म उसे और भी अजेय बनायेगा। जब तक वृंदा का पतिव्रत धर्म अखंड रहेगा, जलंधर को कोई हरा नहीं सकेगा। इस वरदान के कारण जलंधर का अहंकार और भी बढ़ गया और उसने तीनों लोकों में आतंक मचाना शुरू कर दिया।

उसने देवताओं को पराजित करने के बाद स्वर्ग पर कब्जा कर लिया और अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने लगा। उसने ऋषि-मुनियों को तपस्या करने से रोका और धर्म के मार्ग को बाधित किया। जलंधर का अहंकार इतना बढ़ गया कि उसने भगवान शिव की पत्नी, माता पार्वती को भी पाने की इच्छा जताई, जो उसके पतन का कारण बना।

जलंधर और शिव के बीच युद्ध

जलंधर के बढ़ते पराक्रम से देवताओं ने भगवान शिव से सहायता मांगी। शिव ने जलंधर को रोकने का निर्णय लिया। इस प्रकार कैलाश पर्वत के निकट एक भयंकर युद्ध शुरू हुआ। यह युद्ध इतना भीषण था कि तीनों लोक कांप उठे। जलंधर अपनी शक्ति और वरदानों के बल पर शिव के साथ बराबरी से युद्ध लड़ रहा था। उसने अपनी मायावी शक्तियों का उपयोग कर कई बार शिव को भ्रमित करने की कोशिश की। उसने शिव के गणों और अन्य देवताओं को भी कठिनाई में डाला। युद्ध में जलंधर ने शिव के सामने अपनी मायावी सेना और शस्त्रों का प्रदर्शन किया, लेकिन शिव ने अपने त्रिशूल, नंदी और गणों के साथ उसका सामना किया।

जलंधर की अजेयता का रहस्य उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रत धर्म था। जब तक वृंदा का पतिव्रत अखंड था, जलंधर को कोई हरा नहीं सकता था। भगवान शिव ने इस स्थिति को समझा और भगवान विष्णु को आदेश दिया। विष्णु ने जलंधर के रूप में वृंदा के सामने प्रकट होकर उसके पतिव्रत धर्म को भंग कर दिया। जैसे ही वृंदा का पतिव्रत टूटा, जलंधर की शक्ति कमजोर पड़ने लगी।

जब वृंदा को इस छल का पता चला तो उसने क्रोधित होकर भगवान विष्णु को श्राप दिया कि वह पत्थर बन जाएंगे। वृंदा की भक्ति और पवित्रता को देखते हुए विष्णु ने उसे आशीर्वाद दिया कि वह तुलसी के रूप में पूजी जाएंगी और उनका स्थान विष्णु के हृदय में होगा। इस घटना के बाद जलंधर की शक्ति पूरी तरह से क्षीण हो गई।

जलंधर का वध

वृंदा के पतिव्रत के टूटने के बाद जलंधर को भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से वध कर दिया।देवता और धर्म की जीत हुई। जलंधर का वध होने के बाद देवताओं ने स्वर्ग पर फिर से नियंत्रण स्थापित किया और तीनों लोकों में शांति स्थापित हुई। कहा जाता है कि जलंधर के शरीर से निकले रक्त और मांस से समुद्र में कई रत्नों और औषधियों का जन्म हुआ। यह भी माना जाता है कि जलंधर का सिर शिव के त्रिशूल से कटकर गिरा था, जो आज भी कुछ पौराणिक स्थानों पर पूजा जाता है। शिव अंश होकर भी जलंधर शिव नहीं बन सका अभिमान ही उसका काल बना

नोट : ये जानकारी ज्योतिष और धर्म पर आधारित है जो सामान्य सूचना के लिए दी गई है। Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। सही जानकारी के लिए आस पास के विद्वानों से भी संपर्क कर लें।

1 / 7
Your Score0/ 7
Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!