Maharashtra History Wikipedia: क्या आपको पता है महाराष्ट्र का इतिहास? एक नजर इस महान भूमि की कहानी पर

Maharashtra History Wikipedia: यह लेख महाराष्ट्र के इतिहास, संस्कृति और महान व्यक्तित्वों की यात्रा को संक्षेप में प्रस्तुत करता है।

Shivani Jawanjal
Published on: 26 July 2025 8:00 AM IST (Updated on: 26 July 2025 8:00 AM IST)
Maharashtra History Wikipedia: क्या आपको पता है महाराष्ट्र का इतिहास? एक नजर इस महान भूमि की कहानी पर
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Maharashtra History Wikipedia: भारत के पश्चिमी भाग में स्थित महाराष्ट्र(Maharashtra) केवल एक भौगोलिक इकाई नहीं बल्कि भारतीय सभ्यता, संस्कृति और संघर्षशील चेतना का जीवंत प्रतीक है। यह वह भूमि है जहाँ प्राचीन इतिहास की जड़ें गहराई से जुड़ी हैं और आधुनिक भारत के निर्माण में जिसकी भूमिका निर्णायक रही है। शिलालेखों से लेकर प्राचीन गुफाओं तक, दुर्गों से लेकर संतों की परंपरा तक महाराष्ट्र का इतिहास वीरता, दर्शन, सुधार और सांस्कृतिक चेतना की अद्भुत यात्रा प्रस्तुत करता है। यह राज्य न केवल मराठा साम्राज्य की गौरवगाथा का केंद्र रहा बल्कि सामाजिक सुधार आंदोलनों, शिक्षा, कला और साहित्य के क्षेत्र में भी मार्गदर्शक बना रहा। महाराष्ट्र का इतिहास भारत के आत्मबोध, संघर्ष और नवजागरण का सार है।

भौगोलिक स्थिति और प्रशासनिक संरचना


महाराष्ट्र भारत का एक प्रमुख और विशाल राज्य है, जिसकी राजधानी मुंबई है। मुंबई न केवल महाराष्ट्र की प्रशासनिक राजधानी है बल्कि इसे देश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है। वहीं नागपुर को 'उप-राजधानी' का दर्जा प्राप्त है क्योंकि यहां महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र नियमित रूप से आयोजित होता है। राज्य का कुल क्षेत्रफल लगभग 3,07,713 वर्ग किलोमीटर है, जो इसे भारत का तीसरा सबसे बड़ा राज्य बनाता है। महाराष्ट्र में कुल 36 जिले हैं और 2021 के अनुमान के अनुसार इसकी जनसंख्या 12.5 करोड़ से अधिक हो चुकी है। जो 2011 की जनगणना में लगभग 11.2 करोड़ थी। मराठी राज्य की आधिकारिक भाषा है लेकिन यहां हिंदी, उर्दू, गुजराती, कोंकणी और कन्नड़ जैसी भाषाएं भी बोली जाती हैं। मुंबई, पुणे, नागपुर, नासिक, औरंगाबाद, ठाणे, कोल्हापुर और सोलापुर जैसे शहर महाराष्ट्र के प्रमुख और विकसित शहरों में गिने जाते हैं।

महाराष्ट्र का नाम और ह्वेन त्सांग का वर्णन


महाराष्ट्र की ऐतिहासिक पहचान को सबसे पहले चीनी यात्री ह्वेन त्सांग के यात्रा विवरणों में विस्तार से देखा जा सकता है। 7वीं शताब्दी में भारत भ्रमण के दौरान उन्होंने 'महाराष्ट्र देश' का उल्लेख किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही एक संगठित और पहचान वाला भूभाग था। 'महाराष्ट्र' शब्द का अर्थ 'महान राष्ट्र' या 'महान प्रदेश' माना जाता है। जो इस क्षेत्र की ऐतिहासिक, भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाता है। ह्वेन त्सांग के विवरण इस बात के प्रमाण हैं कि महाराष्ट्र न केवल राजनीतिक दृष्टि से संगठित था बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी समृद्ध था।

प्राचीन महाराष्ट्र का अद्भुत इतिहास


महाराष्ट्र का इतिहास सांस्कृतिक और प्रशासनिक दृष्टि से अत्यधिक समृद्ध रहा है और इस विकास में सतीवाहन वंश का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण था। 230 ईसा पूर्व से 220 ईस्वी तक शासन करने वाले सतीवाहन वंश का मुख्यालय प्रतिष्ठान (वर्तमान पैठण) था। जो व्यापार और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में प्रसिद्ध था। उनके शासनकाल में राजनीतिक स्थिरता के साथ-साथ बौद्ध धर्म का प्रचुर प्रचार हुआ और इस समय की कला व स्थापत्य का उदाहरण अजंता की गुफाएं हैं। जो आज भी वैश्विक धरोहर के रूप में देखी जाती हैं। इसके बाद वाकाटक, चालुक्य, राष्ट्रकूट और यादव वंशों ने महाराष्ट्र पर शासन किया और इन राजवंशों ने साहित्य, प्रशासन, धर्म और कला में अद्वितीय योगदान दिया। वाकाटकों के समय में बौद्ध कला का उत्कर्ष हुआ, वहीं चालुक्यों और राष्ट्रकूटों ने मंदिर निर्माण और प्रशासनिक ढांचे में महत्वपूर्ण कार्य किए। यादव वंश के दौरान मराठी भाषा और संस्कृति को शासकीय संरक्षण प्राप्त हुआ जिससे यह जनमानस की भाषा बन गई। अजंता और एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा हैं। जिन्हें यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। इन गुफाओं में बौद्ध, जैन और हिन्दू धर्मों की कला और स्थापत्य का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। जो महाराष्ट्र की विविध धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है।

मध्यकालीन महाराष्ट्र - सत्ता संघर्ष और आध्यात्मिक जागरण

13वीं से 16वीं शताब्दी का महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष, मुस्लिम शासन और सामाजिक परिवर्तन का काल रहा, जब बहमनी, निज़ामशाही और आदिलशाही सुल्तानों का वर्चस्व रहा। राजनीतिक अस्थिरता और युद्धों के बीच एक गहरा सामाजिक-सांस्कृतिक आंदोलन भी उभरा - भक्ति आंदोलन। इस आंदोलन ने समाज में आध्यात्मिक जागरण, सामाजिक समानता और जातिवाद के विरोध की लहर पैदा की। संत ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ और तुकाराम जैसे महान संतों ने अपने विचार, कविता और भक्ति के माध्यम से लोगों को नैतिकता, करुणा और ईश्वर से जोड़ने का कार्य किया। इस संत परंपरा ने महाराष्ट्र के जनमानस को गहराई से प्रभावित किया और आगे चलकर छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे महानायक के नेतृत्व में स्वराज्य, युद्धनीति और प्रशासनिक क्रांति की भूमि तैयार की।

छत्रपति शिवाजी महाराज का शासनकाल


17वीं शताब्दी में छत्रपति शिवाजी महाराज ने विदेशी आक्रांताओं के विरुद्ध मराठा साम्राज्य की स्थापना कर स्वराज्य का सपना साकार किया। उन्होंने अपनी अनोखी 'गनिमी कावा' युद्ध नीति, मजबूत दुर्गों और दूरदर्शी प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से एक न्यायपूर्ण, धर्मनिरपेक्ष और जनहितकारी शासन की नींव रखी। उनकी नेतृत्व क्षमता, नौसेना गठन और समाज सुधारों ने उन्हें न केवल एक महान योद्धा बल्कि राष्ट्र निर्माता के रूप में स्थापित किया। शिवाजी महाराज आज भी स्वतंत्रता, स्वाभिमान और सुशासन के प्रतीक माने जाते हैं।

पेशवाओं का काल - विस्तार और द्वंद्व


छत्रपति शिवाजी महाराज के बाद मराठा साम्राज्य का नेतृत्व उनके उत्तराधिकारियों और विशेष रूप से पेशवाओं ने संभाला। इस दौर में पुणे मराठा शासन का केंद्र बना और बाजीराव प्रथम जैसे महान पेशवा ने साम्राज्य को उत्तर भारत तक फैलाया। हालांकि 1761 की तीसरी पानीपत की युद्ध में अहमद शाह अब्दाली से मिली हार ने मराठों को कमजोर कर दिया। इसके बाद आंतरिक संघर्षों और अंग्रेज़ों की बढ़ती ताकत के चलते मराठा शक्ति धीरे-धीरे क्षीण हो गई और 1818 में पेशवा बाजीराव द्वितीय के आत्मसमर्पण के साथ मराठा साम्राज्य का अंत हुआ। यह गौरवशाली साम्राज्य भारतीय इतिहास में साहस, स्वतंत्रता और राष्ट्रभक्ति की प्रतीक बन गया।

ब्रिटिश काल और सामाजिक सुधार

ब्रिटिश शासनकाल में महाराष्ट्र का बड़ा भाग बॉम्बे प्रेसीडेंसी में शामिल था जहाँ आधुनिक प्रशासन, न्यायालय, रेलवे और शिक्षा व्यवस्था की नींव रखी गई। इन बदलावों ने सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा तो दिखाई, लेकिन औपनिवेशिक शोषण के खिलाफ स्वराज्य की भावना भी यहीं पनपी। बाल गंगाधर तिलक ने 'स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है' का नारा देकर आंदोलन को गति दी। इस काल में महाराष्ट्र समाज सुधारकों की भूमि बना - ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, रानाडे और आगरकर जैसे नेताओं ने जातिवाद, अंधविश्वास और महिला शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कार्य किए। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ने दलितों के अधिकारों की रक्षा की और भारतीय संविधान का निर्माण किया। इस प्रकार महाराष्ट्र ब्रिटिश काल में एक ओर जहां संघर्ष का केंद्र रहा, वहीं सामाजिक नवजागरण और राष्ट्रीय चेतना का भी प्रेरणास्रोत बना।

स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

महाराष्ट्र ने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में शुरुआती दौर से ही महत्वपूर्ण और वीरतापूर्ण भूमिका निभाई। 1857 के विद्रोह में महाराष्ट्र के नागरिकों और सैनिकों ने सक्रिय भागीदारी की जिसमें देवराव किसान, वामनराव किसान और बाबा पुराणिक जैसे क्रांतिकारियों ने साहस दिखाया। वासुदेव बलवंत फड़के को पहले सशस्त्र क्रांतिकारी के रूप में मान्यता मिली। जबकि चापेकर बंधुओं और वीर सावरकर ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांति को वैचारिक और रणनीतिक गति दी। साथ ही महाराष्ट्र ने केवल हथियारों के बल पर ही नहीं बल्कि राजनीतिक आंदोलनों और कांग्रेस के मंचों के माध्यम से भी स्वतंत्रता की दिशा तय की। इस प्रकार, महाराष्ट्र क्रांतिकारी ऊर्जा और राजनीतिक नेतृत्व का सशक्त केंद्र बना रहा।

स्वतंत्रता के बाद - महाराष्ट्र की पुनर्रचना


1947 के बाद बॉम्बे राज्य में मराठी और गुजराती भाषी क्षेत्रों को मिलाने से भाषाई असंतुलन उत्पन्न हुआ। जिससे मराठी जनता को अपनी पहचान और अधिकारों के दबने का अनुभव हुआ। यह असंतोष जल्द ही संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन में बदल गया, जो केवल भाषाई नहीं बल्कि सांस्कृतिक अस्मिता और आत्मसम्मान की लड़ाई बन गया। आंदोलन में हजारों लोगों ने भाग लिया और 100 से अधिक लोगों ने बलिदान दिया। इसके परिणामस्वरूप 1 मई 1960 को महाराष्ट्र और गुजरात दो अलग राज्यों के रूप में अस्तित्व में आए और मुंबई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाया गया। यह आंदोलन लोकतांत्रिक तरीके से हुए एक ऐतिहासिक परिवर्तन का प्रतीक बन गया।

सांस्कृतिक विविधता


लोककला - महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान उसकी जीवंत लोककलाओं में छिपी है, जिनमें लावणी और तमाशा प्रमुख हैं।इसके अलावा वारली चित्रकला (Warli Painting) यह महाराष्ट्र की सबसे प्राचीन और विश्वसनीय जनजातीय कला है

नृत्य-संगीत परंपराएं - महाराष्ट्र के धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भारूड, गोंधळ और कीर्तन जैसी पारंपरिक नृत्य-संगीत शैलियाँ प्रमुख भूमिका निभाती हैं।

त्योहारों की विविधता - महाराष्ट्र का त्योहारों से गहरा नाता है। गणेशोत्सव राज्य का सबसे भव्य और उत्साहपूर्ण पर्व माना जाता है, जिसमें गांव से लेकर शहर तक भक्तिभाव उमड़ता है। गुढीपड़वा मराठी नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, जबकि नवरात्रि में भी देवी की आराधना रंग-बिरंगे सांस्कृतिक आयोजनों के साथ की जाती है।

प्रमुख मंदिर - धार्मिक दृष्टि से भी महाराष्ट्र अत्यंत समृद्ध है। नासिक का त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, मुंबई का सिद्धिविनायक गणपति मंदिर और कोल्हापुर का महालक्ष्मी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था के प्रमुख केंद्र हैं।

खास मराठी भोजन - महाराष्ट्र के स्वादिष्ट व्यंजन भी इसकी संस्कृति का अहम हिस्सा हैं। पाव भाजी, मिसल पाव, पूरण पोली, वड़ा पाव, भाकरी-पिठला, ठेचा और मटकी उसळ जैसे पारंपरिक भोजन देशभर में लोकप्रिय हैं।

महाराष्ट्र की राजनीति

महाराष्ट्र की राजनीति हमेशा से ही देश की राष्ट्रीय राजनीति में एक निर्णायक भूमिका निभाती आई है। वर्तमान में यहां प्रमुख राजनीतिक दलों में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), कांग्रेस पार्टी और शिवसेना शामिल हैं। शिवसेना अब दो मुख्य गुटों में बंटी हुई है - एक का नेतृत्व उद्धव ठाकरे (UBT) कर रहे हैं, जबकि दूसरे धड़े का नेतृत्व एकनाथ शिंदे के हाथों में है। ये सभी दल राज्य के सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक दिशा को तय करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। महाराष्ट्र अक्सर राजनीतिक गठबंधनों और बदलावों का केंद्र बनता रहा है। जिससे न केवल राज्य, बल्कि केंद्र की राजनीति पर भी इसका व्यापक असर पड़ता है।

आधुनिक महाराष्ट्र


महाराष्ट्र भारत की आर्थिक और शैक्षिक प्रगति का प्रमुख स्तंभ है। 2024-25 में इसका अनुमानित सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) ₹45.31 लाख करोड़ है, जो इसे देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाता है। मुंबई, जिसे भारत की आर्थिक राजधानी कहा जाता है, में BSE, NSE जैसे प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज, कॉर्पोरेट मुख्यालय, बैंकिंग संस्थान और बंदरगाह मौजूद हैं। जो इसे राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि वैश्विक वित्तीय मानचित्र पर भी एक महत्वपूर्ण स्थान देते हैं। वहीं, पुणे को ‘ऑक्सफोर्ड ऑफ द ईस्ट’ कहा जाता है जो शैक्षणिक और तकनीकी क्षेत्र में राज्य की पहचान को मजबूती देता है। यहाँ के प्रमुख इंजीनियरिंग, मेडिकल और मैनेजमेंट संस्थान महाराष्ट्र को शिक्षा और तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी बनाते हैं।

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