मेजर ध्यानचंद की स्मृति मे ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय खेल दिवस? आइए विस्तार से जानते हैं

मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त को हुआ इसलिए इस दिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

Newstrack          -         Network
Published on: 29 Aug 2025 5:24 PM IST (Updated on: 30 Aug 2025 7:46 PM IST)
National Sports Day
X

National Sports Day (Image Credit-Social Media)

National Sports Day: भारत में 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस, मेजर ध्यानचंद की स्मृति में मनाया जाता है। भारत में खेल के प्रति उनके योगदानों को याद करते हुए सम्पूर्ण देशवासियों का मन गर्व से भर जाता है। मेजर ध्यानचंद को हॉकी के जादूगर के नाम से भी जाना जाता है और राष्ट्रीय खेल दिवस का ये अवसर उन्हें याद करने और श्रद्धांजलि देने का सर्वश्रेष्ठ समय है। मेजर ध्यानचंद सिर्फ एक खिलाड़ी मात्र नहीं थे। उन्होंने अपने खेल के जादू और देशभक्ति से कई पीढ़ियों को प्रेरणा भी दी है। आइये इस खास अवसर पर उनके बारे में जानते हैं।

मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज ) में हुआ था। उनका नाम न सिर्फ भारत बल्कि विश्व हॉकी के महानतम खिलाड़ियों में शुमार है। मेजर भारतीय हॉकी टीम के कप्तान भी रह चुके हैं। उनकी मौजूदगी में भारतीय हॉकी टीम को वैश्विक पहचान मिली, जब भारत ने ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। भारत ने पहला गोल्ड मेडल साल 1928 के एम्स्टर्डम के ओलंपिक, दूसरा लॉस एंजेलस के ओलंपिक और तीसरा 1936 के बर्लिन ओलंपिक में जीता था।

मेजर ध्यानचंद ने अपने हॉकी करियर के दौरान 1000 से अधिक गोल दागे। उन्हें 1956 में देश के सबसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। ध्यानचंद के नाम पर देश में खेल रत्न अवॉर्ड दिया जाता है। पहले इसका नाम राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड था, लेकिन 2021 में इस पुरस्कार का नाम बदला गया और भारत के महान खिलाड़ी ध्यानचंद के नाम पर रखा गया। अब इसे ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाता है। मेजर ध्यानचंद ने दिल्ली 1922 में भारत की पहली ब्राह्मण रेजीमेंट को एक साधारण सैनिक के तौर पर जॉइन किया था । रेजीमेंट में ही अपनी सेवा के दौरान उन्हें मेजर तिवारी ने हॉकी खेलने के लिए प्रेरित किया था,ध्यानचंद काफी अभ्यास किया करते थे। रात को उनके प्रैक्टिस सेशन को चांद निकलने से जोड़कर देखा जाता। इसलिए उनके साथी खिलाड़ियों ने उनके नाम के आगे 'चंद' लगा दिया था। असल मे उनका नाम ध्यान ही था। मेजर ध्यानचंद जब खेला करते थे तब लोग लोगों को लगता था कि उनके स्टिक में कहीं चुम्बक तो नहीं लगा है, जो इतने रफ्तार से दनादन गोल कर देते हैं। हिटलर ने खुद ध्यानचंद को जर्मन सेना में शामिल कर एक बड़ा पद देने की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने भारत में ही रहना पसंद किया।

1 / 10
Your Score0/ 10
Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!