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Politician Dulu Mahato : झारखंड के जुझारू जनप्रतिनिधि से संसद के सशक्त स्वर बन कर उभरे हैं दुलु महतो
Politician Dulu Mahato: भारतीय जनता पार्टी के नेता दुलु महतो बाघमारा विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके हैं और अब धनबाद लोकसभा सीट से निर्वाचित सांसद हैं।
Politician Dulu Mahato (Image Credit-Social Media)
Politician Dulu Mahato: झारखंड की खनिज संपदा से भरपूर ज़मीन ने जहां भारत को ऊर्जा दी है, वहीं इस धरती ने कई जनप्रतिनिधियों को भी जन्म दिया है, जिन्होंने आम जनता की आवाज़ को लोकतंत्र के मंच पर बुलंदी दी। ऐसे ही जननेता हैं दुलु महतो, जो बाघमारा विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके हैं और अब धनबाद लोकसभा सीट से निर्वाचित सांसद के रूप में देश की संसद में जनमत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
दुलु महतो न केवल एक राजनेता हैं, बल्कि ज़मीन से जुड़े हुए संघर्षशील नेता भी हैं, जिन्होंने शिक्षा, श्रमिक कल्याण और खनन क्षेत्र के श्रमिकों के अधिकारों की लड़ाई को अपनी राजनीति का आधार बनाया है। दुलु महतो वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं ।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
दुलु महतो का जन्म 12 मई, 1975 को झारखंड के बाघमारा क्षेत्र में हुआ था। उनके पिता स्वर्गीय पुना महतो एक सामान्य कृषक थे, जिनकी सादगी, परिश्रम और सामाजिक मूल्यों की छाप दुलु महतो के व्यक्तित्व में आज भी साफ झलकती है। संसाधनों की सीमितता के बावजूद उन्होंने शिक्षा को महत्व दिया और वर्ष 1994 में डीएवी हाई स्कूल, कतरासगढ़, धनबाद से इंटरमीडिएट (कला संकाय) की पढ़ाई पूरी की।
दुलु महतो का युवावस्था से ही सामाजिक मुद्दों में सक्रिय रहना, क्षेत्रीय समस्याओं को समझना और स्थानीय आंदोलनों में भाग लेना, उनके जनसेवा के भाव को प्रबल करता गया। एक सामान्य पृष्ठभूमि से निकलकर उन्होंने जिस तरह राजनीति में जगह बनाई, वह संघर्षशील युवाओं के लिए प्रेरणास्पद है।
राजनीतिक जीवन की शुरुआत
दुलु महतो ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक जुझारू सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में की। उन्होंने श्रमिकों, खासकर कोयला खनन क्षेत्र में कार्यरत मजदूरों के अधिकारों और कल्याण के लिए कई आंदोलनों में हिस्सा लिया। इसी संघर्ष की ज़मीन पर उन्होंने वर्ष 2009 में पहली बार बाघमारा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। उन्हें जनता का भरपूर समर्थन मिला और वे झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के टिकट पर विधायक चुने गए। इस चुनाव में उन्होंने 19,960 मतों के अंतर से जीत हासिल की, जो उनके लिए एक बड़ी राजनीतिक जीत और जनस्वीकृति का प्रमाण था।
राजनीतिक दलों के बदलाव और लगातार जीत की कहानी
2014 में उन्होंने झारखंड विकास मोर्चा छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थामा। यह बदलाव केवल राजनीतिक रणनीति नहीं, बल्कि उस विचारधारा के साथ जुड़ने की पहल थी जो "विकास" को प्राथमिकता देती है। भाजपा के प्रत्याशी के रूप में उन्होंने 2014 के विधानसभा चुनाव में 29,623 वोटों के अंतर से शानदार जीत दर्ज की।
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में, हालांकि उनकी जीत का अंतर कम था (सिर्फ 824 वोट), लेकिन इस चुनाव ने यह सिद्ध किया कि उनका जनाधार स्थिर और प्रभावशाली है। लगातार तीन बार विधायक चुना जाना अपने-आप में यह बताता है कि जनता उनके कार्यों से संतुष्ट थी और उन्हें जनसेवक मानती रही।
सांसद बनने की राह और 2024 की ऐतिहासिक जीत
दुलु महतो का अगला लक्ष्य बड़ा था वो था संसद का सफर तय करना। उन्होंने 2024 के भारतीय आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में धनबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। यह चुनाव झारखंड के सबसे प्रतिष्ठित और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीटों में से एक माना गया।
चुनाव परिणामों ने राजनीति के समीकरणों को स्पष्ट कर दिया। दुलू महतो ने 789,172 वोट हासिल कर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अनुपमा सिंह को 331,583 मतों के भारी अंतर से पराजित किया। यह न केवल उनकी लोकप्रियता का प्रमाण था, बल्कि यह संदेश भी कि एक जमीनी नेता जब संसद में जाता है, तो वह केवल अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व नहीं करता कि वह जनआकांक्षाओं की आवाज़ बनकर जाता है।
लोकप्रियता के कारण
दुलु महतो की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है—उनकी जमीनी पकड़, स्पष्ट संवाद और निरंतर जनसंपर्क। वे चुनाव के बाद भी अपने क्षेत्र में उतनी ही नियमितता से जाते हैं, जितना पहले जाते थे। उनका मोबाइल नंबर जनता के पास होता है, वे सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से जुड़े रहते हैं और कोई भी समस्या सीधे सुनते और हल करते हैं। उनकी कार्यशैली में दिखावे से ज़्यादा वास्तविकता है चाहे वह बिजली, पानी, सड़क और शिक्षा की समस्याएं हों या खनन क्षेत्र में सुरक्षा और मुआवज़े से जुड़ी जटिलताएं।
विधानसभा में उल्लेखनीय पहल
विधायक रहते हुए दुलु महतो ने बाघमारा क्षेत्र में कई आधारभूत सुधारों की पहल की है जिसमें, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति में सुधार, कई गांवों में शुद्ध पेयजल योजनाओं का संचालन, कतरासगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में सड़कों का चौड़ीकरण और मरम्मत कार्य, शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी विद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं की बहाली, उन्होंने क्षेत्रीय विश्वविद्यालय की मांग को भी मजबूती से उठाया और रोजगार केंद्र खोलने की दिशा में राज्य सरकार से पहल की।
सांसद के रूप में प्राथमिकताएं
अब सांसद बनने के बाद दुलु महतो की प्राथमिकताओं में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां शामिल हैं जिनमें मुख्य रूप से धनबाद में एम्स स्तर की चिकित्सा सुविधा का प्रस्ताव लाना, रेल कनेक्टिविटी को बेहतर करना (खासकर कतरास–धनबाद सेक्टर में) कोयला खनन क्षेत्र में कार्यरत अस्थायी श्रमिकों के लिए बीमा और स्थायी रोजगार का ढांचा बनाना, एनटीपीसी और बीसीसीएल जैसी सार्वजनिक कंपनियों के क्षेत्रीय दफ्तरों में पारदर्शिता और स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देना आदि।
सामाजिक सरोकारों से जुड़ाव
राजनीति से इतर भी दुलु महतो का सामाजिक जुड़ाव उल्लेखनीय है। वे कई स्वयंसेवी संगठनों और ग्रामीण विकास समितियों से जुड़े हैं। उनके द्वारा संचालित "जन सेवा मंच" नामक संगठन शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सक्रिय है। वह बालिका शिक्षा, ग्रामीण महिलाओं के कौशल विकास, और बेरोजगार युवाओं के लिए आईटीआई ट्रेनिंग और कोचिंग सुविधाओं की शुरुआत पर बल देते रहे हैं।
विवादों से दूरी, एक स्वच्छ और स्पष्ट छवि
एक जननेता की सबसे बड़ी पूंजी होती है उसकी छवि। दुलु महतो ने अब तक अपने राजनीतिक करियर को किसी बड़े विवाद से दूर रखा है। वे अपनी बात संयम और तथ्यों के साथ रखते हैं, जिससे राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के लिए भी उनके खिलाफ बोलना मुश्किल होता है। दुलु महतो का सफर केवल एक नेता का नहीं, बल्कि एक आम आदमी के विशेष बनने की कहानी है। एक ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकलकर विधायक और फिर सांसद बनना, बिना किसी वंशवादी या सत्ता-सहारे के, उनके संघर्ष और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
झारखंड जैसे राज्य में, जहां चुनौतिया जटिल हैं और जनता की अपेक्षाएं व्यापक, वहां दुलु महतो जैसे नेताओं की मौजूदगी लोकतंत्र की आशा को और मजबूत करती है। संसद में उनकी आवाज़, क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं की प्रतिध्वनि होगी, ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए।
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