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Premanand Maharaj Controversy: अनिरुद्धाचार्य के बाद प्रेमानंद महाराज भी विवादों में, महिलाओं पर टिप्पणी से मचा बवाल
Premanand Maharaj Controversy: प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसकी वजह से काफी विवाद उठ खड़ा हुआ है।
Premanand Ji Maharaj (Image Credit-Social Media)
Premanand Ji Maharaj Controversy: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है, जिसमें वे कहते नजर आ रहे हैं कि 'आजकल 100 में से 2-4 लड़कियां ही पवित्र रही हैं, बाकी सब बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के चक्कर में पड़ी हैं।' यह बयान एकांत वार्तालाप का हिस्सा था, लेकिन किसी ने उसका वीडियो रिकॉर्ड कर लिया और अब वह क्लिप पूरे देश में बहस का मुद्दा बन चुकी है।
अनिरुद्धाचार्य के बयान से शुरू हुआ सिलसिला, अब प्रेमानंद भी चर्चा में
इस विवाद की जड़ें अनिरुद्धाचार्य के उस बयान से शुरू होती हैं जिसमें उन्होंने महिला उपस्थिति को 'शो-पीस' की तरह कम समय तक मंच पर रहने लायक बताया था। जिसके बाद महिलाओं में भारी असंतोष देखा गया था।
उनके इस कथन ने पूरे देश में आक्रोश फैलाया। महिला आयोग तक ने स्वत: संज्ञान लेते हुए उन्हें नोटिस भेजा। और अब, प्रेमानंद महाराज के विवादास्पद बयान ने आग में घी डालने का काम किया है।
सोशल मीडिया पर भारी विरोध, संतों की सोच पर उठे सवाल
जैसे ही प्रेमानंद महाराज का वीडियो सामने आया, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर #RespectWomen, #SantsGoneWrong जैसे ट्रेंड चलने लगे। लोग यह सवाल करने लगे हैं कि आखिर इन संतों को महिलाओं पर बयान देने की इतनी ज़रूरत क्यों महसूस हो रही है। कुछ ने इसे 'डिजिटल वायरलिटी की लालसा' बताया, तो कुछ ने इसे सीधे-सीधे स्त्री विरोधी मानसिकता करार दिया।
जिनसे जन्म लेते हैं, उन्हीं पर आरोप?' समाज का तीखा प्रतिरोध
वृंदावन के ही कारोबारी रवि चौहान ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संतों को यह याद रखना चाहिए कि वे जिन नारियों को पवित्र न बताकर कलंकित कर रहे हैं, उन्हीं की कोख से जन्म लेकर संसार में आए हैं। उन्होंने कहा कि नारी सबसे पवित्र है, और उसे बार-बार सार्वजनिक रूप से अपमानित करना एक शर्मनाक प्रवृत्ति है जो सनातन धर्म की गरिमा को ठेस पहुंचा रही है।
यह धर्म का नहीं, ढोंग का प्रचार है'- कथावाचक कौशल ठाकुर की राय
कथावाचक कौशल ठाकुर ने भी इस पूरे घटनाक्रम पर नाराज़गी जताई। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि संतों को इस तरह की भाषा और मानसिकता से दूर रहना चाहिए क्योंकि वे समाज के लिए एक आदर्श होते हैं। जब आदर्श ही भ्रमित संदेश देने लगें, तो समाज किससे प्रेरणा लेगा? उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसे बयानों से सनातन धर्म की आत्मा को गहरी चोट पहुंचती है।
कानूनी कार्रवाई की भी शुरुआत, अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ तहरीर
इस मामले ने अब कानूनी मोड़ भी ले लिया है। कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ वृंदावन कोतवाली में तहरीर दी गई है। ई-रिक्शा संचालन समिति के प्रमुख ताराचंद गोस्वामी ने पुलिस को प्रार्थना पत्र देते हुए कार्रवाई की मांग की है। आने वाले समय में प्रेमानंद महाराज के खिलाफ भी ऐसा ही कदम उठाया जा सकता है।
संतों की छवि पर संकट- क्या यह ध्यानाकर्षण की होड़ है?
विशेषज्ञों का मानना है कि, आजकल कुछ संत सोशल मीडिया पर वायरल होने के लिए ‘कंट्रोवर्शियल’ बातों का सहारा ले रहे हैं। यह एक खतरनाक ट्रेंड बनता जा रहा है, जिसमें आत्मप्रचार के लिए धर्म और समाज दोनों की मर्यादा को ताक पर रख दिया जाता है। अगर यह चलन नहीं रुका, तो आने वाली पीढ़ियों की धार्मिक आस्था पर इसका गहरा असर हो सकता है।
धार्मिक संगठनों को अब गंभीरता से विचार करना चाहिए कि उनके प्रतिनिधि इस तरह की बयानबाजी से समाज में कैसा संदेश दे रहे हैं। उनका कहना है कि एक आचार संहिता बनाई जानी चाहिए जिसमें संतों को संवेदनशील मुद्दों पर बोलने से पहले आत्ममंथन की सलाह दी जाए। साथ ही, महिला सम्मान को लेकर आध्यात्मिक सत्संगों में विशेष शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि समाज सही दिशा में आगे बढ़ सके।
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