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Premanand Ji Maharaj Paidal Yatra: संत प्रेमानंद महाराज ने क्यों रोक दी अपनी पैदल यात्रा? श्रद्धालुओं को लगा झटका, जानिए इसके पीछे की सच्चाई

Premanand Ji Maharaj Paidal Yatra: प्रेमानंद जी महाराज की पैदल यात्रा पर अब रोक लगा दी गयी है आइये जानते हैं क्या है उनकी इस पैदल यात्रा का महत्त्व और आखिर क्यों लग गयी इसपर रोक।

Jyotsna Singh
Published on: 13 Jun 2025 2:34 PM IST
Premanand Ji Maharaj Paidal Yatra Stopped Reason
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Premanand Ji Maharaj Paidal Yatra Stopped Reason

Premanand Ji Maharaj: वृंदावन की पवित्र भूमि पर संत प्रेमानंद जी महाराज की आध्यात्मिक उपस्थिति लाखों भक्तों के लिए एक प्रेरणा रही है। उनकी पैदल यात्राएं न सिर्फ साधना का प्रतीक मानी जाती हैं, बल्कि जन-जन को भक्ति और अनुशासन का मार्ग दिखाने वाली चलती-फिरती पाठशाला भी थीं। लेकिन हाल ही में प्रेमानंद महाराज द्वारा अपनी पैदल यात्रा को अनिश्चितकालीन के लिए रोक देने का फैसला सामने आया है। जिसने उनके श्रद्धालुओं के बीच हलचल मचा दी है। क्या इसका मतलब है कि अब वे कभी दर्शन नहीं देंगे? या इसके पीछे कोई गहरी सामाजिक, भौगोलिक और आध्यात्मिक विवशता है? आइए, इस पूरे घटनाक्रम को समझते हैं-

प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन स्थित श्री हित राधा केली कुंज आश्रम के प्रमुख संत हैं। जिनकी आध्यात्मिक शक्ति, सरल जीवन शैली और भक्ति से ओतप्रोत सत्संग देशभर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। उनके प्रवचनों में श्री राधा-कृष्ण प्रेम, साधना, वैराग्य और सामाजिक चेतना की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। मानवता, सच्चाई और ईमानदारी की सीख देते इनके प्रवचनों को सुनने लाखों श्रद्धालु देश के कोने-कोने से उनके दर्शनों के लिए आते हैं और उनके सत्संग को सुनते हैं।

क्या है पैदल यात्रा का महत्त्व


प्रेमानंद महाराज की पैदल यात्रा एक परंपरा बन चुकी थी। वे श्रद्धालुओं के बीच से होकर नंगे पांव निकलते, जिनके दर्शन मात्र से लोग धन्य हो जाते। यह यात्रा साधना, सेवा और समर्पण का प्रतीक थी। प्रतिदिन करीब 10,000 से अधिक श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेते थे। विशेषकर वीकेंड पर यह संख्या कई गुना बढ़ जाती थी। यह यात्रा न सिर्फ धार्मिक, बल्कि मानसिक और सामाजिक शांति का अनुभव कराने वाली मानी जाती थी।

यात्रा रोकने के पीछे का निर्णय

हाल ही में प्रेमानंद जी के सेवक मंडल द्वारा यह जानकारी दी गई कि संत की पैदल यात्रा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जा रहा है। यह फैसला अचानक नहीं लिया गया, बल्कि इसके पीछे कई व्यावहारिक और मानवीय कारण हैं। भीड़ का नियंत्रण असंभव होता जा रहा था

  • हर शनिवार और रविवार को वृंदावन में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।
  • बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर और राधा केली कुंज आश्रम की ओर जाने वाले मार्गों पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा था।
  • सड़कें जाम, दुर्घटनाओं का खतरा और सुरक्षा में खामियों की रिपोर्टें भी आने लगी थीं।

तापमान और गर्मी के चलते स्वास्थ्य संकट


उत्तर भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है। कई श्रद्धालु पैदल यात्रा के दौरान हीट स्ट्रोक, चक्कर, डिहाइड्रेशन जैसी समस्याओं से ग्रस्त हो रहे थे। प्रेमानंद महाराज ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए यह फैसला लिया। महाराज जी मानते हैं कि जब कोई आध्यात्मिक कार्य भीड़ प्रबंधन या व्यवस्थागत अराजकता की वजह से अपने उद्देश्य से भटकने लगे, तो उसे विराम देना बेहतर होता है। यह भी देखा गया कि कई लोग केवल ‘दर्शन’ के नाम पर आ रहे थे लेकिन आध्यात्मिक अनुशासन और मूल भावना का पालन नहीं कर पा रहे थे।

सामाजिक पहलू और जनसंचार का असर

प्रेमानंद महाराज की लोकप्रियता आज सिर्फ भक्तों तक सीमित नहीं है। सोशल मीडिया, यूट्यूब चैनल्स और व्हाट्सएप ग्रुप्स के जरिए उनकी हर बात देशभर में गूंजती है। लेकिन इससे एक और चुनौती भी सामने आई है। वो है अचानक और अनियंत्रित भीड़ का आगमन। प्रेमानंद जी के हर वीडियो क्लिप के वायरल होते ही हजारों लोग बिना तैयारी के वृंदावन पहुंच जाते हैं। उनमें से कई आध्यात्मिक श्रद्धा की बजाय ‘सेल्फी और वायरल मोमेंट’ के इरादे से आते हैं, जिससे भीड़ का दबाव बढ़ने के साथ ही आश्रम की गरिमा को ठेस पहुंचती है।

प्रशासनिक दबाव


वृंदावन प्रशासन को सप्ताहांत में अतिरिक्त सुरक्षा बल, ट्रैफिक कंट्रोल, मेडिकल सपोर्ट जुटाना पड़ता है। आश्रम की ओर से सरकार से बार-बार आग्रह किया गया कि स्थायी समाधान निकाला जाए लेकिन अस्थायी व्यवस्थाएं ही की जा सकीं।

सोशल मीडिया पर श्रद्धालुओं की भावनाएं और प्रतिक्रियाएं

प्रेमानंद महाराज की यात्रा बंद होने की खबर से हजारों श्रद्धालु भावुक हो गए। सोशल मीडिया पर श्रद्धालुओं ने अपने अनुभव, भावनाएं और अपील साझा की है -

  • 'हम तो सिर्फ दर्शन के लिए वृंदावन आते हैं, अब क्या कभी मिल नहीं पाएंगे?'
  • 'महाराज जी का यह निर्णय समझ आता है, लेकिन बहुत दुःख भी होता है।'

हालांकि कई भक्तों ने यह भी समझा कि ये फैसला एक अस्थायी विराम है और महाराज जी की ओर से जो भी कदम उठाए जा रहे हैं, वे सभी जनहित में हैं।

क्या अब कभी नहीं देंगे दर्शन

प्रेमानंद महाराज ने अपने सत्संगों में स्पष्ट किया है कि वे अपने भक्तों से दूर नहीं हो सकते। उनकी आध्यात्मिक उपस्थिति हर जगह है। भविष्य में यदि परिस्थितियां अनुकूल होंगी, प्रशासनिक समर्थन बेहतर होगा और भक्त अनुशासन में रहेंगे, तो यात्रा पुनः प्रारंभ हो सकती है। हालांकि नियमित सत्संग यूट्यूब और फेसबुक पर लाइव जारी रहेंगे। आश्रम परिसर में दर्शन हेतु समय-सारणी तैयार की जा रही है ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।

दर्शन व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए भविष्य की योजना


दर्शन व्यवस्था को सुगम और सुचारू रूप से संचालित करने के लिए प्रबंधन, डिजिटल सुविधा और नियमावली में कई परिवर्तन किए जाने की तैयारियां की जा रहीं हैं। प्रेमानंद महाराज के सेवादार अब दर्शन के लिए एक 'ई-रजिस्ट्रेशन सिस्टम' की योजना बना रहे हैं, जिससे हर दिन सीमित संख्या में ही भक्तों को प्रवेश मिलेगा।

  • वहीं टोकन आधारित दर्शन प्रणाली
  • सीसीटीवी आधारित निगरानी व्यवस्था
  • स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों की व्यवस्था आदि को भी शामिल किया जाएगा।

प्रेमानंद महाराज द्वारा पैदल यात्रा को रोकने का निर्णय भक्तों के लिए भले ही दुखद हो, लेकिन यह एक व्यावहारिक, विवेकपूर्ण और दूरदर्शी कदम है।

यह निर्णय भी उनकी सेवा भावना और भक्तों की सुरक्षा के लिए समर्पण को दर्शाता है। जहां भक्तों को दर्शन की लालसा है, वहीं उन्हें यह समझना होगा कि 'सच्चा दर्शन शरीर के सामने खड़े संत से नहीं, बल्कि उनकी वाणी और शिक्षाओं को जीवन में उतारने से होता है।'

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