Premanand Ji Maharaj Satsang: सिंह की तरह जियो, क्योंकि हम शरीर नहीं हैं-हम अविनाशी हैं

Premanand Ji Maharaj Pravachan: एक नज़र डालते हैं प्रेमानंद महाराज के अमृत वचनों पर जो आपके जीवन की दिशा बदल सकते हैं।

Jyotsna Singh
Published on: 25 July 2025 12:05 PM IST
Premanand Ji Maharaj Satsang: सिंह की तरह जियो, क्योंकि हम शरीर नहीं हैं-हम अविनाशी हैं
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Premanand Ji Maharaj Satsang: जिंदगी महज सांसों की गिनती नहीं है, बल्कि यह अवसर है अपने भीतर छिपे आत्मबल को पहचानने का। प्रेमानंद महाराज जी का संदेश हम शरीर नहीं हैं, अविनाशी हैं… मौज से जियो, सिंह की तरह जियो' एक ऐसा मंत्र है, जो हमारे भीतर दबी हुई चेतना को जगाने का आह्वान करता है। ये संदेश न केवल हिम्मत और विश्वास से जीने की प्रेरणा देता है, बल्कि जीवन को सही मायनों में उत्सव की तरह जीने का मार्ग भी दिखाता है। प्रेमानंद महाराज के प्रेरक विचारों को सहज भाषा में सामने रखता है, ताकि हम अपने जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ा सकें।आइए इस संदेश के पीछे छिपे गूढ़ अर्थ को समझते हैं -

हम शरीर नहीं हैं-हम अविनाशी आत्मा हैं

प्रेमानंद महाराज जी का स्पष्ट कहना है कि मनुष्य तब तक डर और चिंता में जकड़ा रहता है, जब तक वह खुद को केवल शरीर समझता है। जैसे ही वह इस सत्य को जान लेता है कि उसका असली स्वरूप आत्मा है। जो न पैदा होती है, न मरती है। उसके भीतर से हर डर खत्म हो जाता है। शरीर तो समय की धारा में बहने वाला एक साधन मात्र है, लेकिन आत्मा सदा के लिए स्थायी है। यह जानकर मनुष्य में ऐसी निर्भीकता जागती है कि फिर वह किसी भी परिस्थिति का सामना डटकर कर सकता है।

सिंह की तरह जियो निर्भय होकर जियो


सिंह इसलिए जंगल का राजा कहलाता है क्योंकि वह अपने सामर्थ्य को जानता है। प्रेमानंद महाराज जी का संदेश भी यही है कि, जब तक हम अपने सामर्थ्य को नहीं पहचानेंगे, तब तक हालात और लोग हमें दबाते रहेंगे। लेकिन जिस दिन हम अपने भीतर के सिंह को जागृत कर लेंगे, उसी दिन से हमारा जीवन बदल जाएगा। निर्भय होकर जीने का मतलब है कि हम अपने फैसलों में आत्मविश्वास रखें और किसी भी चुनौती से घबराएं नहीं। संसार उन्हीं का सम्मान करता है, जो खुद पर विश्वास रखते हैं और अपने रास्ते पर दृढ़ता से चलते हैं।

गीदड़ की तरह जीना छोड़ो-हीन भावना से मुक्त हो जाओ

हीन भावना से ग्रस्त व्यक्ति हमेशा इस चिंता में रहता है कि लोग उसके बारे में क्या कहेंगे। यह सोच उसे हर कदम पर पीछे खींचती है। प्रेमानंद महाराज जी बार-बार इस बात पर जोर देते हैं कि यह ‘गीदड़’ वाली मानसिकता है। जिससे बाहर आना ही असली आजादी है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए जरूरी है कि हम भीड़ से अलग अपनी पहचान बनाएं और दूसरों की राय से डरे बिना अपने रास्ते पर आगे बढ़ें। जब हम खुद को कमजोर मानना छोड़ देते हैं, तभी असली आत्मबल हमारे भीतर प्रकट होता है।

मौज से जियो-क्योंकि जीवन एक उत्सव है

जो व्यक्ति जीवन को बोझ समझता है, वह हर समय दुखी रहता है। लेकिन जो इसे उत्सव मानकर जीता है, वही असली आनंद का अनुभव करता है। प्रेमानंद महाराज जी सिखाते हैं कि जीवन को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसे सहजता और आनंद के साथ जियो। हर दिन को एक नए अवसर की तरह देखो। छोटी-छोटी बातों में खुशी ढूंढो और हर स्थिति में सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखो। जीवन में अगर हम मुस्कुराना सीख जाएं तो हर कठिनाई भी आसान लगने लगती है।

डर को जीत लो- यही असली विजय है


डर, हमारी कल्पना का सबसे बड़ा दुश्मन है। यह हमारे भीतर बैठे भ्रम से जन्म लेता है। प्रेमानंद महाराज जी का कहना है कि डर से जीतने का एकमात्र उपाय है, उसका सामना करना। जब तक हम डर से भागते रहेंगे, वह और मजबूत होता जाएगा। लेकिन जिस दिन हम उसका सामना करेंगे, वह खुद ही कमजोर पड़ जाएगा। इसीलिए जीवन में चाहे कैसी भी स्थिति आए, डर को कभी अपने ऊपर हावी न होने दें।

अपने जीवन के नायक खुद बनो - भीड़ के पीछे मत चलो

दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। एक वो जो भीड़ के पीछे चलते हैं और दूसरे वो जो भीड़ से अलग अपनी राह बनाते हैं। प्रेमानंद महाराज जी का यहां स्पष्ट संदेश है कि अगर हम भीड़ के पीछे चलते रहेंगे, तो जीवन में कभी अपनी पहचान नहीं बना पाएंगे। हमें अपने निर्णय खुद लेने चाहिए और अपने रास्ते खुद तय करने चाहिए। तभी हम जीवन में आगे बढ़ पाएंगे और सच्चे अर्थों में सफल कहलाएंगे।

आत्मज्ञान ही असली संपत्ति है

इस संसार में धन-दौलत और शोहरत सब क्षणिक हैं, लेकिन आत्मज्ञान अमर है। प्रेमानंद महाराज जी हमेशा कहते हैं कि बाहरी दुनिया में भटकने से अच्छा है कि हम अपने भीतर झांके और खुद को जाने। जिसने खुद को जान लिया, उसके लिए यह संसार मायावी नहीं रह जाता। आत्मज्ञान से ही मन में स्थिरता आती है और हम हर परिस्थिति में संतुलन बनाए रखने में सक्षम हो जाते हैं।

सकारात्मक सोच बनाओ यही सफलता की असली चाबी है

जैसा हम सोचते हैं, वैसा ही हमारा जीवन बनता है। अगर हम सकारात्मक सोचेंगे, तो हमारा दृष्टिकोण भी सकारात्मक होगा और हम हर समस्या में अवसर ढूंढ पाएंगे। प्रेमानंद महाराज जी हमेशा इस बात पर जोर देते हैं कि सकारात्मक सोच न केवल हमें आगे बढ़ाती है, बल्कि हमारे जीवन को भी संवारती है। इसलिए हर परिस्थिति में अच्छे विचारों के साथ आगे बढ़ें और अपने मन को नकारात्मकता से दूर रखें।

सेवा का भाव रखो-यही सच्चे आनंद का रास्ता है

सेवा करना केवल किसी की मदद करना नहीं, बल्कि खुद को भी धन्य करना है। प्रेमानंद महाराज जी का कहना है कि सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। सेवा भाव से ही मन में विनम्रता और करुणा का विकास होता है। जब हम दूसरों के लिए कुछ करते हैं, तो हमारे भीतर का अहंकार समाप्त होता है और हम सच्चे आनंद की अनुभूति करते हैं। इसलिए सेवा को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।

हर परिस्थिति में ईश्वर पर विश्वास रखो


कठिन समय में अक्सर लोग हिम्मत हार जाते हैं, लेकिन प्रेमानंद महाराज जी सिखाते हैं कि ऐसे समय में ही ईश्वर पर सबसे ज्यादा विश्वास करना चाहिए। ईश्वर की कृपा पर विश्वास रखने से हमें मानसिक बल मिलता है और हम मुश्किल परिस्थितियों में भी डगमगाते नहीं हैं। ईश्वर हमेशा हमारे साथ हैं, बस हमें अपने विश्वास को अडिग रखना चाहिए।

मृत्यु से मत डरो - यह जीवन का ही हिस्सा है

मृत्यु को लेकर भय रखना हमारी अज्ञानता का परिणाम है। प्रेमानंद महाराज जी कहते हैं कि मृत्यु जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। आत्मा कभी नहीं मरती, वह केवल अपने आवरण बदलती है। इस सत्य को समझ लेने के बाद मृत्यु से डरने का कोई कारण नहीं रह जाता। इसके बजाय हमें अपने जीवन को पूरी तरह से जीने का प्रयास करना चाहिए।

जागो- अभी नहीं तो कभी नहीं

प्रेमानंद महाराज जी का संदेश है कि जागरूक होकर जीना ही असली जीवन है। आलस्य, मोह और अज्ञानता में डूबे रहना जीवन को व्यर्थ करना है। समय निकलता जा रहा है, इसलिए अभी से जागो, अपने जीवन को सही दिशा दो और उसे सार्थक बनाओ। जीवन में जो समय अभी है, वही सबसे बड़ा अवसर है।

प्रेमानंद महाराज जी का संदेश 'हम शरीर नहीं हैं, अविनाशी हैं… मौज से जियो, सिंह की तरह जियो' सिर्फ उपदेश नहीं है, बल्कि जीवन का सार है। ये संदेश हमें हमारी असली पहचान दिलाता है और हमें सिखाता है कि जीवन को डर, चिंता और हीनता के साथ नहीं, बल्कि हिम्मत, आत्मबल और आनंद के साथ जीना चाहिए। तो आइए, इस संदेश को सिर्फ पढ़ें ही नहीं, बल्कि अपने जीवन में उतारें। क्योंकि यही वह मंत्र है, जो आपको भीड़ से अलग खड़ा कर सकता है और आपके जीवन को नया अर्थ दे सकता है।

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