मार्स मिशन की तैयारी: इंसान का अगला ठिकाना?

Preparation for Mars Mission: हर दिन हम उस पल के करीब पहुंच रहे हैं, जब एक इंसानी कदम मंगल की लाल मिट्टी पर पड़ेगा। ये सपना कई देश देख रहे हैं और इसको लेकर कई तरह की खोज भी चल रहीं हैं।

Sonal Girhepunje
Published on: 3 Jun 2025 12:38 PM IST
Preparation for Mars Mission
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Preparation for Mars Mission (Image Credit-Social Media)

Preparation for Mars Mission: क्या एक दिन ऐसा भी आएगा जब इंसान सिर्फ धरती तक सीमित नहीं रहेगा? जब हम किसी और ग्रह को भी अपना ‘घर’ कह सकेंगे? ये सवाल कभी एक ख्वाब थे, पर अब विज्ञान उन्हें हकीकत बनाने की तैयारी में है।

आज दुनिया के सबसे ताक़तवर देश – भारत, अमेरिका, चीन और यूरोप – अपने-अपने वैज्ञानिकों के ज़रिए एक नए मिशन की दौड़ में शामिल हैं, और वह मिशन है – ‘मार्स मिशन’, यानी मंगल ग्रह पर इंसान को बसाने का सपना। हर दिन हम उस पल के करीब पहुंच रहे हैं, जब एक इंसानी कदम मंगल की लाल मिट्टी पर पड़ेगा। वो दिन जब हम कह सकेंगे – "अब हम सिर्फ पृथ्वीवासी नहीं रहे, हम ब्रह्मांडवासी बन चुके हैं।" तो आइए, इस सफ़र की शुरुआत करते हैं –जानते हैं कि क्या है ये मंगल मिशन, क्यों है ये इंसान के भविष्य के लिए बेहद ज़रूरी, और किस तरह चल रही है इसकी ऐतिहासिक और रोमांचक तैयारी।

मंगल ग्रह: क्यों है ये खास?


सूर्य से चौथा ग्रह मंगल है। इसे ‘लाल ग्रह’ भी कहा जाता है क्योंकि इसका रंग लाल है। यह धरती से थोड़ा छोटा है, लेकिन वैज्ञानिकों को इसकी कई विशेषताएं आकर्षित करती हैं:

* धरती की विशेषताएँ : मंगल पर एक दिन लगभग 24.6 घंटे का होता है, जो लगभग धरती का दिन है।

* पानी के संकेत : उसकी सतह पर बर्फ के निशान और पुराने नदी-नालों के निशान बताते हैं कि यहाँ कभी पानी बहता था, और जहां पानी है, वहाँ जीवन की उम्मीद है।

* गुरुत्वाकर्षण को संतुलित करना : पृथ्वी के गुरुत्व से एक-तिहाई कम है— कम आवश्यक है, लेकिन इतना नहीं कि कोई खुद को सँभाल नहीं सकता।

* वातावरण का चित्रण : यहाँ पतला वातावरण है, लेकिन वैज्ञानिक उपकरण इसे बदल सकते हैं।

ये सभी बातें मंगल को इंसानों के लिए रहने लायक बनाने की संभावना को बढ़ा देती हैं।

क्यों ज़रूरी है मंगल मिशन?


मंगल मिशन एक आवश्यकता नहीं है, बल्कि एक शौक है। इसकी कई वजह हैं:

1. धरती पर बढ़ता बोझ :

जबकि संसाधन घट रहे हैं, जनसंख्या बढ़ रही है। ऐसे में, भविष्य में किसी दूसरे ग्रह पर ठिकाना पाने के लिए अब कुछ करना होगा।

2. आपदा बचाव:

पूरी मानवता खतरे में पड़ सकती है अगर कोई बड़ा संकट (जैसे ऐस्टरॉइडटक्कर या परमाणु युद्ध) हुआ। बस्ती मंगल पर सुरक्षित विकल्प हो सकता है।

1. विज्ञान की तरक्की :

अंतरिक्ष मिशनों से नई तकनीकें मिलती हैं – जैसे GPS और सेटलाइट – जो हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को बेहतर बनाती हैं।मंगल मिशन से भविष्य और भी उज्जवल हो सकता है।

मार्स मिशन: अब तक की प्रमुख उपलब्धियाँ


1.भारतीय सपना:

2013 का वर्ष मंगलयान (Mangalyaan—MOM) था। जब पूरी दुनिया सोच रही थी कि भारत अंतरिक्ष में पीछे हो सकता है, ISRO ने पहली बार में एक ऐसा काम किया जो दुनिया के सबसे बड़े देशों ने भी नहीं किया था। एक छोटे से यान, मंगलयान, ने एक बड़े लक्ष्य को लेकर उड़ान भरी और मंगल की कक्षा में सीधे पहुँच गया।

* एशिया में भारत ने पहली बार ऐसा किया था।

* इस मिशन को सिर्फ ₹450 करोड़ में पूरा किया गया— एक हॉलीवुड फिल्म की तुलना में बहुत कम।

* यह सिर्फ तकनीकी नवाचार नहीं था; इससे हर भारतीय गर्व करता था।

2. नासा के रोवर मिशन :

* अब तक, NASA ने Curiosity, Perseverance और Spirit जैसे कई सफल मंगल मिशन किए हैं।

* 2020 में शुरू हुआ ‘Perseverance Rover’ आज भी मंगल की सतह पर खोज करता है और पृथ्वी पर डेटा भेजता है।

3. स्पेसX की एंट्री :

* एलन मस्क की कंपनी SpaceX मंगल पर लोगों को भेजने की दिशा में सबसे आगे है।

* उनका लक्ष्य है कि 2030 के आसपास पहले लोगों को मंगल की सतह पर उतार दें।

* ‘Starship’ नामक रॉकेट को बार-बार प्रयोग में लाकर खर्च को कम करने की कोशिश की जा रही है।

इंसानों को मंगल पर भेजना: कितनी है तैयारी?


मंगल तक पहुंचना एक बात है, लेकिन वहां लोगों को जिंदा रखना और सुरक्षित लौटाना सबसे बड़ी चुनौती है। वैज्ञानिक इसके लिए कई चरणों में तैयारी कर रहे हैं:

1. अंतरिक्ष यान तैयार करना:

मंगल तक की यात्रा लगभग छह से आठ महीने लगते है।

* radiation (विकिरण) से बचाने के लिए यान की आवश्यकता होती है।

* खाना, पानी और ऑक्सीजन को लंबे समय तक दे सके

* टेक्नोलॉजिकल रूप से असफल

2. मंगल को रहने वाले "हैबिटैट्स":

मंगलवार को घर नहीं है। वैज्ञानिक वहाँ फूलने वाले घरों (Inflatable Habitats) और ‘3D Printed Shelters’ बना रहे हैं जो मंगल को ठंड, धूल और विकिरण से बचाएंगे।

3. भोजन और पानी की व्यवस्था :

हर बार धरती से खाना लाना खर्चीला और असंभव है। यही कारण है कि वैज्ञानिक मंगल की मिट्टी में पौधे उगाने और मंगल की बर्फ से पानी बनाने की प्रक्रियाओं पर काम कर रहे हैं।

4. स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति :

6 महीने की यात्रा और अलग माहौल इंसानों की सेहत पर असर डालते है। इसके लिए:

* व्यायाम के लिए अलग-अलग उपकरण बनाए जा रहे हैं।

* मानसिक तनाव से निपटने के लिए भी कृत्रिम बुद्धि पर आधारित मानसिक स्वास्थ्य सपोर्ट सिस्टम बनाए जा रहे हैं।

भारत की आगे की योजनाएँ :


अब इसरो ‘मंगलयान 2’ की योजना बना रहा है। यह मिशन मंगल की सतह और वातावरण को अधिक विकसित कैमरों और वैज्ञानिक उपकरणों से देखेगा। भारत, ISRO और SpaceX जैसे संस्थानों के साथ मिलकर मंगल पर लोगों को भेजने की दिशा में भी बढ़ सकता है।

मुख्य चुनौतियाँ:

मार्स मिशन के भी कई बड़े अवरोध हैं:

* विकिरण से जुड़ी समस्या: इंसानों को कैंसर जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं क्योंकि मंगल पर धरती की चुंबकीय सुरक्षा कम है।

* बातचीत में देरी: मंगल और पृथ्वी के बीच सिग्नल आने-जाने मेंलगभग 20 मिनट लगते हैं, इसलिए तत्काल संपर्क संभव नहीं है।

* मनुष्य के जैविक बंधन: शरीर धरती पर बना हुआ है और बदलना संभव नहीं है। स्वास्थ्य के लिए अलग माहौल और कम गुरुत्व ख़तरनाक हो सकता है।

मंगल मिशन: भविष्य की कल्पना

कल्पना कीजिए — हम एक दिन टीवी पर देखेंगे कि मंगल की सतह पर पहला भारतीय अंतरिक्ष यात्री उतर चुका है। हमारे बच्चे मंगलवार को स्कूल में जीवन के बारे में पढ़ेंगे और भारतीय झंडा लहरा रहा होगा।

शायद वहां एक क्रिकेट मैदान, भारतीय खाना, मंदिर और एक ‘लाल ग्रह पर हिंदी सिनेमा’ भी होगा। अब यह सपना दूर नहीं है।

मंगल मिशन – सिर्फ विज्ञान नहीं, इंसानियत का भविष्य है

सोचिए, एक दिन जब कोई बच्चा स्कूल से घर लौटे और आसमान कीओर इशारा कर के कहे,
"मम्मी, पापा! मंगल पर रहने वाले दोस्त से आज बात हुई..."
क्या ये सपना लगता है? शायद हाँ, लेकिन विज्ञान की रफ़्तार देखकर यह सपना अब बहुत दूर नहीं। इन मिशनों का असर सिर्फ स्पेस तक सीमित नहीं है।

* इससे जुड़ी टेक्नोलॉजीज़ – जैसे सोलर पावर, AI, और रोबोटिक्स – धरती पर भी नए समाधान ला रही हैं।

* ये मिशन हमें सिखा रहे हैं कि जब इंसान मिलकर, सीमाएं भूलकर, एक मकसद के लिए काम करता है – तो असंभव भी मुमकिन होजाता है।

और सबसे बड़ी बात —
मंगल पर जाना केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं होगी, यह मानव इतिहास का नया अध्याय होगा, जहां धरती के बाहर भी ज़िंदगी सांस लेगी।

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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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