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Radio Man of India Story: इनके पास है सबसे अनोखा रिकार्ड, जानिए क्या है भारत के रेडियो मैन कहे जाने वाले राम सिंह बौद्ध की दिलचस्प कहानी
Radio Man of India: उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के एक छोटे से गाँव से आने वाले राम सिंह को "रेडियो मैन ऑफ इंडिया" कहा जाता है, आइये जानते हैं क्या है इनकी कहानी।
Radio Man of India (Image Credit-Social Media)
Radio Man of India: भारत में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो अपने जुनून से सबका दिल जीत लेते हैं। ऐसा ही एक नाम है राम सिंह बौद्ध का। जिन्हें प्यार से "रेडियो मैन ऑफ इंडिया" बुलाया जाता है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के एक छोटे से गाँव से आने वाले राम सिंह ने रेडियो के लिए अपने प्यार को इतना बड़ा कर दिया कि आज उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में चमक रहा है। उनके पास दुनिया का सबसे बड़ा रेडियो कलेक्शन है! लेकिन ये रेडियो मैन हैं कौन? उनके पास कितने रेडियो हैं? और उनकी यह कहानी शुरू कैसे हुई?
रेडियो मैन कौन हैं?
राम सिंह बौद्ध एक आम इंसान हैं, जिनका दिल रेडियो की धुन पर धड़कता है। जौनपुर के एक साधारण गाँव में उनका जन्म हुआ। उनके घर की हालत ऐसी थी कि न ज्यादा पैसे थे, न ही कोई बड़ी सुविधाएँ। लेकिन उनके पास था एक पुराना रेडियो, जो उनके पिताजी का था। वह रेडियो उनके लिए जादू का पिटारा था। बचपन में वो उस रेडियो पर गाने सुनते, खबरें सुनते और नाटकों की दुनिया में खो जाते। उस समय टेलीविजन तो था ही नहीं। रेडियो ही हर घर का सबसे बड़ा मनोरंजन था।
राम सिंह बताते हैं कि उनके पिताजी का वो पुराना मर्फी रेडियो उनकी जिंदगी का पहला प्यार था। उसकी आवाज में कुछ ऐसा जादू था कि वो घंटों उसे सुनते रहते। विविध भारती के गाने, समाचार, और कहानियाँ उन्हें एक अलग ही दुनिया में ले जाती थीं। बस, यहीं से उनके दिल में रेडियो के लिए प्यार जागा। धीरे-धीरे ये प्यार इतना बढ़ गया कि उन्होंने सोच लिया,रेडियो को सिर्फ सुनना ही नहीं, बल्कि उन्हें इकट्ठा करना है, उनकी कहानियाँ सहेजना है।
कितने रेडियो हैं उनके पास?
अब बात करते हैं उनके कलेक्शन की, जो वाकई में कमाल का है।फरवरी 2024 तक राम सिंह के पास 1,257 रेडियो हैं। हाँ, आपने सही सुना, एक हजार से भी ज्यादा रेडियो! यह दुनिया का सबसे बड़ा रेडियो कलेक्शन है और इसकी वजह से उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। इससे पहले यह रिकॉर्ड एम. प्रकाश नाम के एक शख्स के पास था, जिनके पास 625 रेडियो थे। लेकिन राम सिंह ने तो कमाल ही कर दिया—उन्होंने इस रिकॉर्ड को तोड़ा और इसे दोगुने से भी ज्यादा रेडियो के साथ नया मुकाम दिया।
उनके कलेक्शन में हर तरह के रेडियो हैं, पुराने जमाने के वाल्व रेडियो से लेकर 2010 के दौर के मॉडर्न रेडियो तक। उनके पास मशहूर ब्रांड्स जैसे मर्फी, फिलिप्स, बुश और टेसला के रेडियो हैं। कुछ रेडियो तो इतने पुराने हैं कि अब वो बनते ही नहीं। एक खास रेडियो उनके पास है, जो मार्कोनी मॉडल का है।यह वही मार्कोनी है, जिसने रेडियो की खोज में बड़ा योगदान दिया था। उनके कलेक्शन में कई रेडियो ऐसे भी हैं, जो भारत के इतिहास से जुड़े हैं, जैसे कि आजादी की लड़ाई के दौरान आजाद हिंद रेडियो के लिए इस्तेमाल हुआ एक रेडियो।
कैसे बने रेडियो मैन?
राम सिंह की यह यात्रा इतनी आसान नहीं थी। उनके पास ज्यादा पैसे नहीं थे, फिर भी उन्होंने अपने शौक को जिंदगी का मकसद बना लिया। वो पुराने बाजारों में जाते, कबाड़ की दुकानों में घूमते और नीलामियों में हिस्सा लेते। वहाँ से उन्हें टूटे-फूटे रेडियो मिलते, जिन्हें वो बड़े प्यार से ठीक करते। रेडियो की मरम्मत का हुनर उन्होंने खुद सीखा। उनके लिए हर रेडियो की अपनी एक कहानी है,कुछ रेडियो उस दौर के हैं, जब भारत आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तो कुछ उस समय के, जब लोग रेडियो पर ‘बिनाका गीतमाला’ सुनने के लिए इकट्ठा होते थे।
उनके इस जुनून को देखकर उनके परिवार और गाँव वालों ने भी उनका साथ दिया। कई बार पैसे की तंगी आई, लेकिन राम सिंह ने हार नहीं मानी। वो कहते हैं, “रेडियो मेरे लिए सिर्फ एक मशीन नहीं, ये मेरी जिंदगी का हिस्सा है। हर रेडियो की अपनी आवाज है, अपनी कहानी है।” उनके इस प्यार को देश ने भी सराहा। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने "मन की बात" कार्यक्रम में राम सिंह की तारीफ की और कहा कि उन्होंने रेडियो को फिर से जिंदा कर दिया। यह उनके लिए बहुत बड़ा सम्मान था।
रेडियो का भारत में क्या मतलब है?
भारत में रेडियो का रिश्ता बहुत गहरा है। 1920 के दशक में जब रेडियो भारत आया, तो ये लोगों के लिए जादू की तरह था। उस समय न टीवी था, न इंटरनेट। रेडियो ही खबरें, गाने और कहानियाँ घर-घर तक पहुँचाता था। 1947 में जब भारत आजाद हुआ, तब ऑल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) के सिर्फ छह स्टेशन थे, और ये देश के 11% लोगों तक पहुँचता था। लेकिन आज आकाशवाणी के 223 स्टेशन हैं, और ये 99% से ज्यादा भारतीयों तक अपनी आवाज पहुँचाता है।
राम सिंह का कलेक्शन इस इतिहास को सहेजने का एक शानदार तरीका है। उनके रेडियो उस दौर की याद दिलाते हैं, जब लोग रेडियो के इर्द-गिर्द बैठकर अमीन सयानी की आवाज में गाने सुनते थे। उनके कलेक्शन में कई रेडियो ऐसे हैं, जो भारत की आजादी की लड़ाई का हिस्सा रहे। ये सिर्फ मशीनें नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं।
रेडियो मैन का सपना
राम सिंह का कहना है कि रेडियो आज भी उतना ही जरूरी है, जितना पहले था। भले ही इंटरनेट और स्मार्टफोन ने दुनिया बदल दी हो। लेकिन गाँवों में आज भी रेडियो लोगों का सबसे बड़ा साथी है। भारत में 450 से ज्यादा सामुदायिक रेडियो स्टेशन हैं, जो लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और जागरूकता की जानकारी देते हैं। राम सिंह चाहते हैं कि उनकी मेहनत से रेडियो की इस विरासत को नई पीढ़ी तक पहुँचाया जाए।
उनका सबसे बड़ा सपना है एक रेडियो म्यूजियम बनाना, जहाँ लोग उनके कलेक्शन को देख सकें। वो चाहते हैं कि बच्चे और युवा रेडियो की कहानी को समझें, ये जानें कि कैसे ये छोटा सा यंत्र भारत को जोड़ने का काम करता था। वो कहते हैं, “रेडियो ने हमें एकजुट किया। इसकी आवाज में वो ताकत है, जो दिलों को जोड़ती है।”
क्या-क्या मुश्किलें आईं?
राम सिंह की राह में कई मुश्किलें आईं। पुराने रेडियो ढूंढना, उन्हें ठीक करना और उनकी देखभाल करना आसान नहीं है। यह काम पैसे और वक्त दोनों माँगता है। कई बार उन्हें टूटे हुए रेडियो मिले, जिन्हें ठीक करने में घंटों लग जाते। फिर भी, वो हर रेडियो को अपने बच्चे की तरह मानते हैं। उनके परिवार ने भी उनकी इस सनक को समझा और उनका हौसला बढ़ाया।
राम सिंह रुकने वालों में से नहीं हैं। वो अपने कलेक्शन को और बड़ा करना चाहते हैं। उनका अगला लक्ष्य है और भी दुर्लभ रेडियो ढूंढना और अपने म्यूजियम का सपना पूरा करना। वो चाहते हैं कि स्कूल-कॉलेज के बच्चे उनके पास आएँ और रेडियो की कहानी को जानें। वो ये भी चाहते हैं कि लोग रेडियो की तकनीक को समझें और इसके इतिहास को सराहें।
राम सिंह बौद्ध, यानी भारत के रेडियो मैन, एक ऐसे इंसान हैं, जिन्होंने अपने छोटे से गाँव से निकलकर दुनिया में अपनी छाप छोड़ी। उनके 1,257 रेडियो का कलेक्शन सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल हिस्सा है। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि अगर दिल में जुनून हो, तो कोई भी सपना नामुमकिन नहीं। राम सिंह की मेहनत और प्यार ने रेडियो को फिर से जिंदा कर दिया, और उनकी यह कहानी हर उस इंसान को प्रेरित करती है, जो अपने सपनों को सच करना चाहता है। तो अगली बार जब आप रेडियो की आवाज सुनें, तो जरा राम सिंह को भी याद कर लें, वो शख्स, जिसने रेडियो को अपनी जिंदगी बना लिया!
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