TRENDING TAGS :
Raksha Bandhan 2025: राखी की तीन गांठों में छिपा है त्रिदेवों का आशीर्वाद, जाने धार्मिक रहस्य
Raksha Bandhan Importance: क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि राखी बांधते समय बहने अक्सर राखी में तीन गांठें क्यों लगाती हैं। आइये जानते हैं।
Raksha Bandhan Importance Hindu Dharam (Image Credit-Social Media)
Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन केवल एक त्यौहार नहीं बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की अटूट डोर है। हर साल सावन की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह पर्व भाई बहन जैसे खूबसूरत रिश्तों के बीच प्रेम विश्वास और रक्षा के संकल्प का प्रतीक होता है। लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि राखी बांधते समय बहने अक्सर राखी में तीन गांठें क्यों लगाती हैं। यह सिर्फ एक परंपरा नहीं बल्कि इसके पीछे गहरी ज्योतिषीय और आध्यात्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं। ब्रह्मा विष्णु और महादेव की ऊर्जा से जुड़ी इन तीन गांठों का संबंध केवल रक्षा से नहीं बल्कि दीर्घायु, समृद्धि और रिश्तो की पवित्रता से भी है। आईए जानते हैं कि रक्षाबंधन पर राखी बांधते समय लगाई जाने वाली तीन गांठों का आध्यात्मिक और वैदिक महत्व क्या है और यह परंपरा आज के समय में भी क्यों प्रासंगिक है -
रक्षाबंधन भावनाओं की डोर और धार्मिक महत्व
रक्षाबंधन की शुरुआत वैदिक काल से मानी जाती है यह पर्व केवल भाई की कलाई पर धागा बांधने का कार्य नहीं है बल्कि यह एक संस्कार है रक्षा का प्रेम का और कर्तव्य का। हमारे प्राचीन ग्रंथो में रक्षा सूत्र को बुरी शक्तियों से बचाने वाला और शुभता लाने वाला माना गया है। राखी को शुभ मुहूर्त में बांधना, गंगाजल से शुद्ध करना, मंत्रों के उच्चारण के साथ राखी की गांठों को बांधना, यह सब प्रक्रियाएं पर्व को धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी महत्व प्रदान करती हैं।
राखी में तीन गांठों की परंपरा और त्रिदेवों से जुड़ा रहस्य
राखी की तीन गांठे केवल एक रीति नहीं बल्कि त्रिदेवों ब्रह्मा-विष्णु और महादेव का प्रतिनिधित्व करती हैं।
First knot - symbol of Brahma; पहली गांठ -ब्रह्मा का प्रतीक
यह गांठ भाई की लंबी उम्र उत्तम स्वास्थ्य और जीवन में निरंतर वृद्धि की कामना के साथ लगाई जाती है। ब्रह्मा को सृष्टि के रचयिता माना जाता है बहन इस गांठ को बांधते हुए ब्रह्मा जी से प्रार्थना करती है कि उसका भाई दीर्घायु हो और उसे जीवन में कोई संकट छू न सके।
दूसरी गांठ- विष्णु का प्रतीक
यह गांठ रिश्तो में संतुलन मिठास और स्थायित्व की प्रतीक है। भगवान विष्णु जगत के पालनहार हैं और यह गांठ दर्शाती है कि भाई बहन का रिश्ता ईश्वर के आशीर्वाद से समय के हर मोड़ पर मजबूती से बना रहे यह गांठ रिश्ते में स्नेह और समाज को बढ़ाने में मददगार होती है।
तीसरी गांठ - शिव का प्रतीक
यह गांठ इस बात की प्रतीक है कि भाई बहन दोनों अपने कर्तव्य और धर्म के प्रति प्रतिबद्ध रहें। भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन निभाए और बहन अपने स्नेह प्रेम और विश्वास से भाई का जीवन संवारती रहे।
राखी की तीन गांठों का वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक महत्व
राखी से जुड़े आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ इन तीन गांठों का मनोवैज्ञानिक असर भी अत्यंत गहरा होता है। गांठे बांधने की प्रक्रिया से एकाग्रता बढ़ती है और संकल्प मजबूत होता है। बहन जब ध्यान से प्रेम पूर्वक राखी में गांठ लगाती है तो वह अपने अंदर की भावनाओं को साकार रूप देती है। जिसका प्रभाव भाई के मन पर भी सकारात्मक रूप से पड़ता है। यह गांठे न केवल रक्षा का वचन है बल्कि रिश्तों की जिम्मेदारी का भी भाव आपस में पैदा करती हैं।
धार्मिक ग्रंथो में मौजूद है राखी और गांठों का उल्लेख
स्कंद पुराण-
स्कंद पुराण में रक्षा सूत्र का महत्व इस मंत्र के माध्यम से बताया गया है- 'येन बद्धों बली राजा, दानवेंद्रो महाबल:, तेन त्वांग प्रतिबध्नामी रक्षे मा चल मा चल।' यह मंत्र रक्षा सूत्र बांधते समय बोला जाता है। स्कंद पुराण में मौजूद इस मंत्र में प्रबंधन अर्थात गांठ बांधना एक अत्यंत शुभ प्रक्रिया मानी गई है।
वामन पुराण-
यहां वामन अवतार के समय इंद्र की पत्नी शची द्वारा रक्षा सूत्र बांधने की कथा मिलती है जिसमें शची ने रक्षा सूत्र में गांठ लगाकर इंद्र की रक्षा की प्रार्थना की थी।
गंगाजल से राखी को शुद्ध करने का महत्व
राखी बांधने से पहले उसे गंगाजल से शुद्ध करना एक विशेष धार्मिक प्रक्रिया मानी जाती है गंगाजल को सभी तीर्थों का सार माना गया है और यह दोषों को दूर करने वाला होता है। अगर राखी को बिना शुद्ध किए बांधा जाए तो यह अशुभ फल भी दे सकती है। विशेष तौर पर जब ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल हो। गंगाजल से राखी को शुद्ध करने से कुंडली के दोषों का असर कम होता है और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। शुद्ध राखी में ऊर्जा प्रवाहित होती है जो भाई को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। कई नामी ज्योतिषाचार्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि राखी में तीन गांठे लगाना त्रिगुणों तत्व, रज और तम का भी प्रतीक है। जब बहन संकल्प पूर्वक हर गांठ को लगाते हुए मन ही मन भाई के लिए शुभकामनाएं देती है तब यह गांठे मंत्र की शक्ति से युक्त होकर रक्षा कवच का कार्य करती हैं। आधुनिकता के इस दौर में कई परंपराएं धीरे-धीरे पीछे छूट रही है लेकिन राखी की गांठों की परंपरा आज भी कायम है। क्योंकि यह केवल एक रस्म नहीं बल्कि रिश्तों को आध्यात्मिक और भावनात्मक रूप से बांधने का माध्यम भी है।
राखी बांधते समय करें यह उपाय
बहनों को भाई की कलाई पर राखी बांधते समय कुछ ऐसे खास उपाय हैं जिनका अगर ध्यान रखा जाए तो इसका प्रभाव और भी ज्यादा सकारात्मक हो जाता है। जो कि इस प्रकार हैं -
राखी को बांधने से पहले गंगाजल में डुबोकर शुद्ध करें, हमेशा भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधे, हर गांठ बांधते समय अलग-अलग प्रार्थना करें रक्षा, प्रेम, धर्म और तरक्की से जुड़ी हुई। राखी बांधते समय 'ओम रक्ष रक्षाय स्वाहा' मंत्र का उच्चारण करें। भाई को तिलक कर मिठाई खिलाने के बाद ही राखी बांधे।
रक्षाबंधन की राखी केवल धागा नहीं बल्कि एक शक्तिशाली संकल्प है इसकी तीन गांठे संकल्प को त्रिगुणात्मक शक्ति देती हैं। एक भाई की रक्षा के लिए दूसरी रिश्ते को मधुर बनाए रखने के लिए और तीसरी दोनों को धर्म और कर्तव्य के पथ पर चलने के लिए। यह केवल परंपरा नहीं एक दिव्या प्रक्रिया है जो हर साल भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत कर देती है।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!



