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Tagore International Literary Award: रमाकांत शर्मा 'उद्भ्रांत' को रूस में मिला टैगौर अंतरराष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार
Tagore International Literary Award: रूस में रचा गया इतिहास- भारतीय कवि रमाकांत शर्मा 'उद्भ्रांत' को मिला प्रथम गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार
Ramakant Sharma Udbhrant (Social Media image)
Tagore International Literary Award: भारत की समृद्ध साहित्यिक परंपरा को वैश्विक मंच पर एक और गौरव प्राप्त हुआ है। हिंदी के वरिष्ठ और बहुमुखी रचनाकार रमाकांत शर्मा 'उद्भ्रांत' को उनकी बहुचर्चित काव्य कृति 'राधामाधव' के लिए प्रथम गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगौर अंतरराष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार रूस के मास्को शहर में आयोजित 15वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन के दौरान प्रदान किया गया।
पुरस्कार का उद्देश्य- भारतीय और वैश्विक मूल्यों का संगम
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन और परिचार द्वारा स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य उस वरिष्ठ रचनाकार को सम्मानित करना है जिसने भारतीय जीवन मूल्यों और वैश्विक दृष्टिकोण को एक साथ समेटते हुए साहित्य की विविध विधाओं में उल्लेखनीय योगदान दिया हो। यह पुरस्कार न केवल एक साहित्यिक सम्मान है, बल्कि यह भारतीय भाषा, संस्कृति और मूल्यों को विश्व पटल पर स्थापित करने का एक सशक्त माध्यम भी है।
चयन प्रक्रिया- 200 प्रविष्टियों में 'राधामाधव' का चयन
इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए कुल 200 से अधिक प्रविष्टियां आईं जिनमें से रमाकांत शर्मा उद्भ्रांत की कृति 'राधामाधव' को विशिष्ट और विलग रचना के रूप में चुना गया। चयन समिति में सुप्रसिद्ध आलोचक प्रो. नित्यानंद तिवारी, डॉ. कर्ण सिंह चौहान, डॉ. खगेन्द्र ठाकुर और संयोजक जयप्रकाश मानस आदि शामिल थे। इन सभी विद्वानों ने 'राधामाधव' की सांस्कृतिक, भाषिक और काव्यात्मक गहराई को देखते हुए इसे पुरस्कार के योग्य माना।
सम्मान समारोह- मास्को में भारतीय साहित्यिक गौरव का क्षण
2 जून को मास्को में आयोजित समारोह में डॉ. शरद पगारे जो देश के शीर्षस्थ उपन्यासकार और 80 वर्ष के अनुभवशील साहित्यकार हैं। इन्होंने वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि रमाकांत शर्मा 'उद्भ्रांत' को 51,000 रुपये की प्रतीक राशि, मानपत्र और प्रतीक चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार और पूर्व मुख्य सचिव बी.के.एस. रे ने अध्यक्षता की। भारत और रूस के अनेक साहित्यप्रेमी, विद्वान और रचनाकार इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने।
रमाकांत उद्द्घांत-एक बहुपक्षीय साहित्यकार
वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि रमाकांत शर्मा 'उद्भ्रांत' जिनका गहरा जुड़ाव स्वर्गीय हरिवंश राय बच्चन से भी रहा है। ये एक बहुआयामी रचनाकार हैं जिन्होंने हिंदी साहित्य की लगभग सभी विधाओं में अपनी गहरी छाप छोड़ी है। वे दूरदर्शन में उपमहानिदेशक के पद पर भी कार्यरत रहे हैं। उनकी प्रमुख रचनाओं में शामिल हैं:
महाकाव्य- अभिनव पांडव, अनाहद्यसूक्त, त्रेता, प्रज्ञावेणु,
प्रबंध काव्य- राधामाधव (जिसका उड़िया और अंग्रेजी सहित कई भाषाओं में अनुवाद हुआ), स्वयंप्रभा, वक्रतुण्ड, काव्य नाटक- ब्लैकहोल। समकालीन कविता- देवदारू-सी लंबी, गहरी सागर-सी, अस्ति, शब्दकमल खिला है, हँसो बतजं रघुवीर सहाय, इस्तरी,
गीत-नवगीत संग्रह - समय के अश्च पर। कहानी संग्रह: डुगडुगी, मेरी प्रिय कथाएं,
समीक्षा साहित्य- कहानी का सातों दशक, सदी का महाराग, आलोचक के भेस में, मुठभेड़, सृजन की भूमि, आलोचना का वाचिक,
संस्मरण- स्मृतियों के मील-पत्थर, राधामाधव- एक आधुनिक और सांस्कृतिक महाकाव्य। 'राधामाधव' महज एक रचना नहीं, बल्कि आधुनिकता और सांस्कृतिक परंपरा का संगम है। इसमें कृष्ण और राधा के माध्यम से प्रेम, अध्यात्म, वैचारिकता और सामाजिकता का समन्वय प्रस्तुत किया गया है। यह कृति इस मायने में भी अद्वितीय है कि इसमें पारंपरिक विषय को समकालीन भावबोध के साथ चित्रित किया गया है। यह महाकाव्य न केवल हिंदी में बल्कि उड़िया और अंग्रेजी में भी अनूदित हुआ है जिससे इसकी पहुंच और प्रभाव को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली।
अनुवाद और प्रभाव- भारतीय भाषाओं से विश्व तक
रमाकांत शर्मा 'उद्भ्रांत' की रचनाएं अनेक भारतीय भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं। वे कानपुर में प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) के सचिव भी रह चुके हैं। उनकी रचनाएं अकादमिक हलकों में पढ़ी और शोध की जाती रही हैं। उन्होंने हिंदी साहित्य को न केवल समृद्ध किया है, बल्कि उसे नए विमर्शों से जोड़ने का कार्य भी किया है।
टैगौर पुरस्कार का सांस्कृतिक और साहित्यिक महत्व
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगौर भारतीय साहित्य, संस्कृति और दर्शन के ऐसे प्रतिनिधि हैं जिन्होंने साहित्य को राष्ट्रीय सीमाओं से ऊपर उठाकर विश्व साहित्य का दर्जा दिलाया। उनके नाम पर स्थापित यह पुरस्कार उन साहित्यकारों को समर्पित है जो इसी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। रमाकांत शर्मा 'उद्भ्रांत' को यह सम्मान दिया जाना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन- भाषा का वैश्विक मंच
यह सम्मेलन न केवल हिंदी भाषा को वैश्विक मंच देने का कार्य करता है बल्कि विभिन्न देशों के साहित्यकारों, अनुवादकों, शिक्षाविदों और पाठकों के बीच संवाद स्थापित करने का भी माध्यम है। रूस जैसे देश में हिंदी सम्मेलन का आयोजन और उसमें ऐसे सम्मान प्रदान किया जाना, हिंदी की वैश्विक स्वीकार्यता को दर्शाता है।
रमाकांत शर्मा 'उद्भ्रांत' को प्रथम गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगौर अंतरराष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार मिलना न केवल हिंदी साहित्य के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह उन तमाम रचनाकारों के लिए भी प्रेरणा है। जो साहित्य को केवल अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का माध्यम मानते हैं। इस सम्मान ने यह भी सिद्ध कर दिया कि आधुनिक हिंदी साहित्य में भी महाकाव्य जैसी विधाएं प्रासंगिक हैं और वे आज भी साहित्यिक विमर्श के केंद्र में रह सकती हैं। रमाकांत उद्द्घांत की यह उपलब्धि हिंदी साहित्य के क्षेत्र में आने वाली पीढ़ियों के लिए साहित्यिक मार्गदर्शन का दीपस्तंभ सिद्ध होगी।
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