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Sawan Puja Vidhi 2025: सावन! भगवान शिव की भक्ति का सबसे पवित्र महीना
Sawan Puja Vidhi 2025: बाबा जी हिमालय की गहराई में स्थित अनेक गुप्त शिव मंदिरों के बारे में बताते हैं — ये मंदिर अत्यंत शक्तिशाली हैं, लेकिन अभी तक सामान्य तीर्थयात्रियों से अज्ञात हैं।
Sawan 2025 Lord Shiva Puja Vidhi Secret Knowledge of Mahant Mahadev Das Baba Ji |
Sawan Puja Vidhi 2025: जय महादेव! हिमालय की गोद में बसे, महंत महादेव दास बाबा जी ने वर्षों तक गहन तपस्या में जीवन बिताया, पवित्र गुफाओं में निवास करते हुए, छुपे हुए मार्गों की खोज करते हुए और गुप्त साधना स्थलों में ध्यान करते हुए। वे एक सच्चे हिमालयी योगी और महादेव के समर्पित साधक हैं, जो आज भी उत्तराखंड स्थित पवित्र जोगेश्वर धाम में अपनी आध्यात्मिक साधना जारी रखे हुए हैं।
किंवदंती है कि बाबा जी को महान महावतार बाबाजी के दर्शन प्राप्त हुए थे, और उन्हीं की प्रेरणा ने बाबा जी को संतों की राह पर अडिग कर दिया। भक्तों का मानना है कि बाबा जी की चेतना हिमालय की पवित्र हवाओं, जीवंत मंदिरों और शिव की सर्वत्र उपस्थिति से एकाकार हो चुकी है।
महंत महादेव दास बाबा जी का गुप्त ज्ञान
बाबा जी हिमालय की गहराई में स्थित अनेक गुप्त शिव मंदिरों के बारे में बताते हैं — ये मंदिर अत्यंत शक्तिशाली हैं, लेकिन अभी तक सामान्य तीर्थयात्रियों से अज्ञात हैं।
ये ऊर्जा से भरे, आत्मज्ञान के केंद्र हैं, जो केवल सच्चे श्रद्धालुओं को अनुभव होते हैं।
बाबा जी के वचन हैं: “शिव तक पहुँचना कोई साधारण पथ नहीं है; पर जो सच्चे हृदय से चलता है, वह स्वयं शिव से एकरूप हो जाता है।”
उनकी साधना का मूल है — मंत्र जाप, मौन तपस्या और आतंरिक एकाग्रता — ये रहस्यमय अभ्यास उन्होंने वर्षों की एकांत साधना से सिद्ध किए हैं।
बाबा जी कहते हैं: “हिमालय स्वयं महादेव की चेतना है। यह अपनी पहचान तब ही प्रकट करता है जब साधक अहंकार का त्याग कर देता है।”
श्रावण का पावन महीना
बारह महीनों में श्रावण वह महीना है जो भगवान शिव के साथ सबसे गहराई से जुड़ा है। यह वह समय है जब शिव की कृपा अत्यंत सहजता से बरसती है। यह उनके समुद्र मंथन, हलाहल विषपान और गंगा को अपनी जटाओं में धारण करने जैसे ब्रह्मांडीय कार्यों की स्मृति का प्रतीक है।
श्रावण का पहला सोमवार अत्यंत पुण्यकारी होता है:
- इस दिन शिव की पूजा से हजार गुना फल की प्राप्ति होती है।
- यह भक्ति के आरंभ का श्रेष्ठ अवसर और पूरे महीने की साधना की नींव बनता है।
कांवड़ यात्रा — जब भक्ति चल पड़ती है
श्रावण के महीने में लाखों भक्त कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं — हरिद्वार, गंगोत्री और अन्य तीर्थस्थलों से पैदल चलते हुए, पवित्र गंगाजल अपने गांव और शहरों के शिव मंदिरों में अर्पित करने के लिए ले जाते हैं।
बाबा जी कहते हैं: “कांवड़ यात्रा केवल पैरों की यात्रा नहीं है — यह हृदय और आत्मा की यात्रा है। जब कोई भक्त शिव को गंगाजल अर्पित करता है, तो वह केवल जल नहीं, बल्कि अपनी सबसे शुद्ध भक्ति अर्पित करता है।”
श्रावण में शिव की पूजा कैसे करें
- सुबह पवित्र स्नान से दिन की शुरुआत करें।
- रुद्राभिषेक करें — शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, दही, घी और चीनी से अभिषेक करें।
- बिल्व पत्र अर्पित करें — जो तीनों दोषों (वात, पित्त, कफ) को हरते हैं।
- श्रद्धा से “ॐ नमः शिवाय” का जप करें।
- सोमवार का व्रत रखें।
- शिव तांडव स्तोत्र, रुद्राष्टक, या शिव चालीसा का पाठ करें।
शिव के दिव्य लीला — जीवन के रहस्यों का उद्घाटन
कामदेव का दहन — आंतरिक विकारों पर विजय।
जटाओं में बहती गंगा — नियंत्रण और संतुलन का प्रतीक।
भस्म, रुद्राक्ष, त्रिशूल — त्याग, भक्ति और दिव्य शक्ति के प्रतीक।
अर्धनारीश्वर रूप — पुरुष और स्त्री ऊर्जा का दिव्य समन्वय।
गुप्त मंदिर — जो अभी प्रकट होने बाकी हैं
बाबा जी आने वाले महीनों में हिमालय स्थित कई गुप्त शिव मंदिरों का रहस्य उजागर करने वाले हैं — ये मंदिर केवल उन्हीं के लिए सुलभ होंगे जिनका हृदय पवित्र हो।
वे कहते हैं: “जोगेश्वर धाम के प्रति आपकी भावना ही आपके अंदर की भक्ति का प्रतिबिंब है — गहरी तड़प ही सच्चा मार्ग है।”
इन मंदिरों की जानकारी और मार्गदर्शन बाबा जी जोगेश्वर धाम से साझा करेंगे।
बाबा जी का संदेश “श्रावण केवल एक महीना नहीं है। यह एक अवसर है — शायद सबसे दिव्य अवसर — अपने भीतर के शिव को जागृत करने का। पहले सोमवार से शुरुआत करें। कांवड़ लें। या बस घर पर ही शिव को स्मरण करें। लेकिन इस समय को ऐसे ही न जाने दें।”
“श्रावण में शिव को अर्पित हर जल की बूँद, सहस्रगुणा कृपा बनकर लौटती है।”
हर हर महादेव! ॐ नमः शिवाय!
(महंत महादेव दास बाबा जी जोगेश्वर धाम, उत्तराखंड के प्रतिष्ठित संत हैं — एक प्राचीन हिमालयी स्थल जहाँ तप, भक्ति और रहस्य का संगम होता है।)
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