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Universe Intresting Facts: क्या हमारे जैसे और भी लोग किसी और दुनिया में जी रहे हैं?

Parallel Universe Intresting Facts: यह लेख समांतर ब्रह्मांड के सिद्धांत को आसान और रोचक तरीके से समझाता है।

Shivani Jawanjal
Published on: 17 July 2025 10:30 AM IST (Updated on: 17 July 2025 10:31 AM IST)
Universe Intresting Facts
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Universe Intresting Facts: जब हम रात के सन्नाटे में आकाश की ओर निहारते हैं अनगिनत तारों की झिलमिलाहट हमारी चेतना को किसी गहरे रहस्य की ओर खींचती है। क्या यह ब्रह्मांड ही सब कुछ है? या इसके पार भी कुछ और है? इसी रहस्य को समझने के लिए विज्ञान और दर्शन ने 'समांतर ब्रह्मांड' यानी Parallel Universe की अवधारणा को जन्म दिया।

समांतर ब्रह्मांड का सिद्धांत यह दावा करता है कि हमारा ब्रह्मांड एकमात्र नहीं है। अनंत या कई अन्य ब्रह्मांड भी अस्तित्व में हो सकते हैं जो हमारे ब्रह्मांड के समान या बिल्कुल अलग हो सकते हैं। यह विषय विज्ञान, दार्शनिक विमर्श और कल्पनाओं की दुनिया के बीच एक पुल की तरह है जो आज भी जिज्ञासा का विषय बना हुआ है।

समांतर ब्रह्मांड का मूल विचार


समांतर ब्रह्मांडों की अवधारणा को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सबसे प्रभावशाली ढंग से भौतिक विज्ञानी मैक्स टेगमार्क ने चार स्तरों में विभाजित किया है, जिन्हें 'मल्टीवर्स थ्योरी' के रूप में जाना जाता है।

Level I Multiverse - Level I Multiverse का सिद्धांत मानता है कि यदि ब्रह्मांड वास्तव में अनंत है, तो कहीं न कहीं ऐसे क्षेत्र अवश्य होंगे जहाँ हमारी ही तरह के लोग, घटनाएँ और परिस्थितियाँ दोहराई जा रही होंगी। यह विचार वैज्ञानिक रूप से संभाव्य है क्योंकि हमारे दृश्य ब्रह्मांड (observable universe) के परे अनगिनत क्षेत्र ऐसे हो सकते हैं जहाँ कणों की संरचना और घटनाओं का क्रम कुछ भिन्न या लगभग समान हो सकता है।

Level II Multiverse - Level II Multiverse इस स्तर पर ब्रह्मांडों की विविधता केवल स्थान तक सीमित नहीं होती बल्कि उनके मूल भौतिक नियम भी अलग होते हैं। यह सिद्धांत inflationary cosmology पर आधारित है जिसके अनुसार एक ही ऊर्जा विस्फोट (Big Bang) से कई 'pocket universes' उत्पन्न हुए। जिनमें से हर एक के अपने स्वतंत्र भौतिक नियम हो सकते हैं।

Level III Multiverse - Level III Multiverse क्वांटम यांत्रिकी का ‘Many Worlds Interpretation’ इसी स्तर पर आता है। इसके अनुसार जब भी कोई निर्णय लिया जाता है तब ब्रह्मांड विभाजित हो जाता है और हर एक संभाव्यता किसी न किसी समानांतर ब्रह्मांड में वास्तविकता बन जाती है।

Level IV Multiverse - Level IV Multiverse यह सबसे जटिल और गूढ़ स्तर है जिसमें यह मान्यता है कि हर वह ब्रह्मांड जो किसी गणितीय संरचना के आधार पर परिभाषित किया जा सकता है वह कहीं न कहीं अस्तित्व में है। इस स्तर पर यथार्थ की परिभाषा ही बदल जाती है और गणित ही सर्वोच्च सत्य बन जाता है।

इन चार स्तरों के माध्यम से मल्टीवर्स का सिद्धांत वैज्ञानिक तथ्यों, गणितीय तर्क और कल्पना की सीमाओं को तोड़ते हुए यह दर्शाता है कि हमारा ब्रह्मांड शायद अकेला नहीं है बल्कि अनंत संभावनाओं का सिर्फ एक अंश भर है।

वैज्ञानिक आधार - क्या यह केवल कल्पना है?


क्वांटम यांत्रिकी और समांतर ब्रह्मांड के सिद्धांतों के बीच गहरा संबंध है और इसका सबसे रोचक रूप 'Many-Worlds Interpretation (MWI)' में सामने आता है, जिसे 1957 में ह्यूग एवरेट III ने प्रस्तावित किया था। इस सिद्धांत के अनुसार हर बार जब कोई क्वांटम घटना घटती है। जैसे किसी कण का एक स्थिति से दूसरी में जाना तो ब्रह्मांड स्वयं अनेक शाखाओं में विभाजित हो जाता है और हर संभव परिणाम के लिए एक नया ब्रह्मांड उत्पन्न होता है। इसी तरह कॉस्मिक इन्फ्लेशन सिद्धांत जिसे एलन गुथ और आंद्रेई लिंदे ने विकसित किया। यह बताता है कि प्रारंभिक ब्रह्मांड की तीव्र विस्तार प्रक्रिया ने अनेक 'पॉकेट यूनिवर्सेस' को जन्म दिया जिनमें प्रत्येक के भौतिक नियम एक-दूसरे से भिन्न हो सकते हैं। यह विचार 'मल्टीवर्स' के Level II को जन्म देता है। वहीं स्ट्रिंग थ्योरी के अनुसार ब्रह्मांड के सबसे सूक्ष्म घटक बिंदु जैसे कण नहीं बल्कि एक-आयामी 'स्ट्रिंग' होते हैं जो 10 या 11 आयामों में कंपन करते हैं। इन अतिरिक्त आयामों का प्रत्येक संभावित संकुचन (कॉम्पैक्टिफिकेशन) एक नया ब्रह्मांड रच सकता है। जिससे 10^500 तक विभिन्न ब्रह्मांडों की संभावना बनती है। ये आयाम, सैद्धांतिक रूप से, हमें अन्य ब्रह्मांडों की ओर जाने का मार्ग भी प्रदान कर सकते हैं।

दार्शनिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण


भारतीय और बौद्ध दर्शन में 'अन्य लोकों' की अवधारणा प्राचीन और गहराई से जुड़ी हुई है। हालांकि यह आधुनिक विज्ञान के समांतर ब्रह्मांड सिद्धांत से अलग है, फिर भी दोनों में अस्तित्व की विविध संभावनाओं को लेकर कुछ दार्शनिक समानताएँ जरूर दिखाई देती हैं। हिंदू या वैदिक दृष्टिकोण में भूलोक, स्वर्गलोक, पाताललोक जैसे अनेक अस्तित्व के स्तरों का वर्णन मिलता है जिन्हें भौतिक या आध्यात्मिक लोक के रूप में समझा जाता है। अद्वैत वेदांत में समस्त जगत की विविधता को एक ही परम सत्य - 'ब्रह्म' - का विस्तार माना गया है। जो आधुनिक मल्टीवर्स सिद्धांत की सभी संभावनाएं एक स्रोत से निकलती हैं की धारणा से कहीं न कहीं दर्शनिक मेल खाती है। इसी तरह, बौद्ध धर्म में भी देवलोक, मनुष्यलोक और नरक जैसे लोकों की कल्पना है, जो पुनर्जन्म और कर्म के आधार पर तय होते हैं। बौद्ध दृष्टिकोण में संसार एक चक्रीय प्रक्रिया है जिसमें जीव बार-बार विभिन्न लोकों में जन्म लेता है। हालांकि भारतीय और बौद्ध परंपराओं में यह सब आध्यात्मिक और नैतिक चेतना पर आधारित है। जबकि वैज्ञानिक मल्टीवर्स सिद्धांत पूरी तरह भौतिक और गणितीय नियमों पर आधारित है। इन दोनों दृष्टिकोणों में अनेकता और संभावनाओं की कल्पना समान रूप से आकर्षक है। लेकिन उनका आधार और उद्देश्य पूरी तरह भिन्न हैं।

विज्ञान कथा और संस्कृति में स्थान


समांतर ब्रह्मांड की अवधारणा को लोकप्रिय संस्कृति विशेष रूप से हॉलीवुड फिल्मों में बड़े ही रोचक और कल्पनाशील ढंग से प्रस्तुत किया गया है। फिल्म Interstellar में समय, गुरुत्वाकर्षण और उच्च आयामी ब्रह्मांड के सिद्धांतों को वैज्ञानिक दृष्टि से छुआ गया है। जहाँ पात्र 'टेसरैक्ट' जैसी संरचना के माध्यम से समय और स्थान में यात्रा करते हैं। वहीं Doctor Strange: Multiverse of Madness मल्टीवर्स की अवधारणा को पूरी तरह केंद्र में लाते हुए दिखाती है कि कैसे विभिन्न ब्रह्मांडों के बीच भ्रम, टकराव और संभावनाओं का संसार मौजूद हो सकता है। Everything Everywhere All at Once तो इस विचार को और भी अधिक रचनात्मक स्तर पर ले जाती है जहाँ जीवन के हर निर्णय के साथ एक नया ब्रह्मांड जन्म लेता है। दूसरी ओर भारतीय ग्रंथों जैसे रामायण और महाभारत में भी समय, स्थान और अनेक लोकों की यात्रा की बात होती है। जैसे हनुमानजी का पातालगमन या अर्जुन का स्वर्गारोहण । इस प्रकार चाहे वह पश्चिमी विज्ञान-कथा हो या भारतीय सांस्कृतिक परंपरा 'अन्य लोकों' और 'वैकल्पिक वास्तविकताओं' की कल्पना मानव मन को सदियों से आकर्षित करती रही है। भले ही उनके आधार और उद्देश्य एक-दूसरे से भिन्न हों।

क्या समांतर ब्रह्मांड में हमारा दूसरा संस्करण है?

यदि हमारा ब्रह्मांड वास्तव में अनंत है, तो यह मान्यता वैज्ञानिकों के बीच तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है कि सभी संभावनाएँ कहीं न कहीं दोहराई जाएंगी। इसका आशय यह है कि इस विशाल ब्रह्मांड में कहीं कोई ऐसा भी व्यक्ति हो सकता है जो बिल्कुल आपकी तरह दिखता हो, आपकी तरह सोचता हो लेकिन जीवन में आपके मुकाबले अलग फैसले ले चुका हो। यह विचार विशेष रूप से 'Level I Multiverse' सिद्धांत से जुड़ा है। जिसके अनुसार यदि ब्रह्मांड अनंत है और सभी स्थानों पर भौतिक नियम एक जैसे हैं। तो घटनाओं और जीवन की संभावनाएँ अनिवार्य रूप से दोहराई जाएंगी। अर्थात कोई दूसरा 'आप' किसी अन्य ग्रह, तारे या गैलेक्सी में अलग हालातों में मौजूद हो सकता है। हालांकि यह विचार वैज्ञानिक रूप से काफी रोमांचक है फिर भी अभी तक इसका कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला है। और यह विषय फिलहाल सिद्धांतों, गणनाओं और वैज्ञानिक बहसों तक ही सीमित है।

आलोचना और संदेह

समांतर ब्रह्मांड का सिद्धांत फिलहाल एक वैज्ञानिक परिकल्पना भर है, जिसे अभी तक कोई प्रत्यक्ष प्रमाण या प्रयोगात्मक पुष्टि प्राप्त नहीं हुई है। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि इस सिद्धांत को न तो मापा जा सकता है और न ही प्रयोगशाला में प्रत्यक्ष रूप से सिद्ध किया जा सकता है। जिसके कारण इसे पूर्ण रूप से 'वैज्ञानिक सिद्धांत' का दर्जा देना कठिन है। वैज्ञानिक जगत में यह बहस भी जारी है कि यदि किसी परिकल्पना को सिद्ध या खंडित नहीं किया जा सकता, तो क्या उसे विज्ञान का हिस्सा माना जाना चाहिए। इसके बावजूद मल्टीवर्स की यह अवधारणा ब्रह्मांड की जटिलता और अनगिनत संभावनाओं को समझने की दिशा में एक गहन और प्रेरक प्रयास मानी जाती है। जो हमारे सोचने और ब्रह्मांड को समझने के तरीके को विस्तार देती है।

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