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Intresting Science Story: क्या आवाज़ की रफ्तार रोशनी से तेज़ हो सकती है? साउंड वेव्स और लाइट वेव्स की टक्कर में जानिए असली विजेता

Intresting Science Story: प्रकाश की गति लगभग 3 लाख किमी/सेकंड है जबकि ध्वनि की अधिकतम गति भी 6 किमी/सेकंड के आसपास ही सीमित है।

Shivani Jawanjal
Published on: 5 July 2025 7:11 PM IST
Intresting Science Story Light Waves Vs Sound Waves
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Intresting Science Story Light Waves Vs Sound Waves (Photo - Social Media)

Light Waves Vs Sound Waves: हमारी दुनिया एक अद्भुत मिश्रण है विभिन्न प्रकार की तरंगों का कहीं से किसी की आवाज़ सुनाई देती है तो कहीं से चमकती हुई रोशनी दिखाई देती है। ये दोनों घटनाएं हमारे जीवन का हिस्सा हैं और इनके पीछे जो विज्ञान काम करता है - वह है तरंगों का सिद्धांत। ध्वनि तरंगें (Sound Waves) और प्रकाश तरंगें (Light Waves) दो प्रमुख प्रकार की तरंगें हैं जो बिल्कुल अलग-अलग तरह से कार्य करती हैं। यह सवाल कि कौन ज़्यादा तेज़ है और क्यों? यह केवल एक सामान्य जिज्ञासा नहीं है बल्कि यह विज्ञान की मूलभूत समझ से जुड़ा एक दिलचस्प रहस्य भी है।

आइये जानते है इसके बारे में विस्तार से!

ध्वनि तरंगें (Sound Waves) क्या हैं और कैसे फैलती हैं?

ध्वनि तरंगें वास्तव में यांत्रिक तरंगों की श्रेणी में आती हैं जिन्हें एक माध्यम की आवश्यकता होती है ताकि वे ऊर्जा का संचार कर सकें। ये तरंगें हवा, पानी या ठोस पदार्थ जैसे माध्यमों से होकर गुजरती हैं लेकिन शून्य (वैक्यूम) में नहीं फैल सकतीं क्योंकि वहाँ कोई कण नहीं होते जो कंपन कर सकें। सामान्यतः ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य प्रकार की होती हैं जिसमें माध्यम के कण उसी दिशा में कंपन करते हैं जिस दिशा में तरंगें आगे बढ़ती हैं। इनकी गति उस माध्यम पर निर्भर करती है जिससे वे गुजर रही हैं- जैसे कि हवा में लगभग 343 मीटर प्रति सेकंड, पानी में करीब 1,480 मीटर प्रति सेकंड और इस्पात जैसे ठोस में लगभग 5,960 मीटर प्रति सेकंड। यह गति इस बात को दर्शाती है कि ठोस पदार्थों में ध्वनि सबसे तेज़ गति से चलती है जबकि गैसों में सबसे धीमी।

प्रकाश तरंगें (Light Waves) की प्रकृति और प्रसार

प्रकाश तरंगें विद्युत-चुंबकीय तरंगों की श्रेणी में आती हैं जिनमें एक साथ दो कंपन होते हैं। एक विद्युत क्षेत्र का और दूसरा चुंबकीय क्षेत्र का जो एक-दूसरे के लंबवत होते हुए मिलकर ऊर्जा का संचार करते हैं। इनकी खास बात यह है कि इन्हें फैलने के लिए किसी भौतिक माध्यम की आवश्यकता नहीं होती। ये वैक्यूम यानी शून्य या अंतरिक्ष में भी बिना किसी रुकावट के यात्रा कर सकती हैं। प्रकाश की गति ब्रह्मांड में सबसे तेज़ मानी जाती है । लगभग 299,792 किलोमीटर प्रति सेकंड जिसे भौतिकी में ‘c’ से दर्शाया जाता है। यही कारण है कि प्रकाश तरंगें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये किसी भी ज्ञात वस्तु या ऊर्जा से तेज गति से चलने की क्षमता रखती हैं।

ध्वनि बनाम प्रकाश - कौन सबसे तेज


ध्वनि तरंगें और प्रकाश तरंगें दोनों ही तरंगों के रूप में ऊर्जा का संचार करती हैं लेकिन इनकी प्रकृति और गुणों में महत्वपूर्ण अंतर हैं। ध्वनि तरंगें यांत्रिक तरंगें होती हैं जिन्हें फैलने के लिए किसी भौतिक माध्यम (जैसे हवा, पानी या ठोस पदार्थ) की आवश्यकता होती है। ये तरंगें अनुदैर्ध्य (Longitudinal) होती हैं जिसमें माध्यम के कण तरंग की दिशा में आगे-पीछे कंपन करते हैं और इसी कंपन के माध्यम से ऊर्जा का स्थानांतरण होता है। वायु में ध्वनि की गति लगभग 343 मीटर प्रति सेकंड होती है जबकि यह गति ठोस में और भी अधिक हो सकती है।

दूसरी ओर प्रकाश तरंगें विद्युत-चुंबकीय तरंगें होती हैं जिन्हें प्रसार के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती। ये तरंगें वैक्यूम (शून्य) में भी यात्रा कर सकती हैं। प्रकाश तरंगें अनुप्रस्थ (Transverse) होती हैं जिनमें विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र एक-दूसरे के लंबवत कंपन करते हैं। प्रकाश की गति वैक्यूम में लगभग 299,792 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है जो ब्रह्मांड में ज्ञात सबसे अधिक गति है। ध्वनि तरंगें वैक्यूम में नहीं फैल सकतीं जबकि प्रकाश तरंगें बिना किसी रुकावट के अंतरिक्ष में भी यात्रा कर सकती हैं। संक्षेप में ध्वनि और प्रकाश तरंगों के बीच मुख्य अंतर इनके प्रकार, गति, माध्यम की आवश्यकता, प्रसार की दिशा और ऊर्जा के स्थानांतरण के तरीके में होता है।

प्रकाश तेज क्यों है? वैज्ञानिक कारण

प्रकाश तरंगों की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इन्हें फैलने के लिए किसी भौतिक माध्यम की आवश्यकता नहीं होती। चूंकि ये विद्युत-चुंबकीय तरंगें हैं ये वैक्यूम यानी शून्य में भी बिना किसी रुकावट के यात्रा कर सकती हैं। यही कारण है कि प्रकाश अंतरिक्ष में भी आसानी से यात्रा करता है। आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत के अनुसार प्रकाश की गति लगभग 299,792 किलोमीटर प्रति सेकंड ब्रह्मांड में किसी भी वस्तु या सूचना के लिए प्राप्त की जा सकने वाली सबसे अधिक गति है। इससे तेज गति से कोई वस्तु नहीं चल सकती। इसके विपरीत, ध्वनि तरंगें यांत्रिक तरंगें होती हैं और इनकी गति उस माध्यम पर निर्भर करती है जिससे वे गुजरती हैं। जैसे-जैसे माध्यम के कणों का घनत्व, तापमान और लचीलापन बदलता है वैसे-वैसे ध्वनि की गति भी प्रभावित होती है। और यदि कोई माध्यम ही न हो जैसे शून्य में तो ध्वनि बिल्कुल भी नहीं फैल सकती।

रोजमर्रा के उदाहरण कौन पहले पहुँचता है?

आकाशगंगा की बिजली (Lightning) - जब बिजली चमकती है, तो उसकी रोशनी (प्रकाश) हमें लगभग तुरंत दिखाई देती है क्योंकि प्रकाश की गति बहुत अधिक (लगभग 299,792 किलोमीटर/सेकंड) होती है। वहीं बिजली की आवाज़ (गड़गड़ाहट) हमें कुछ समय बाद सुनाई देती है क्योंकि ध्वनि की गति हवा में केवल लगभग 343 मीटर/सेकंड होती है। इसी कारण से हम पहले चमक देखते हैं और कुछ सेकंड बाद आवाज़ सुनते हैं।

रॉकेट लॉन्च (Rocket Launch) - रॉकेट के लॉन्च के समय भी यही सिद्धांत लागू होता है। दूर खड़े लोग पहले रॉकेट की चमक और धुआं (प्रकाश) देखते हैं, क्योंकि प्रकाश की गति बहुत तेज है। इसके बाद कुछ सेकंड बाद ही उन्हें रॉकेट की आवाज़ (ध्वनि) सुनाई देती है क्योंकि ध्वनि को हवा में चलकर आने में समय लगता है।

विज्ञान की दृष्टि से परिणाम

प्रकाश तरंगें न केवल ऊर्जा का संचार करती हैं बल्कि खगोलीय दूरी मापने का एक अहम साधन भी हैं। अंतरिक्ष विज्ञान में 'प्रकाश वर्ष' नामक इकाई का उपयोग किया जाता है जो दर्शाती है कि प्रकाश एक वर्ष में कितनी दूरी तय करता है। यह दूरी लगभग 9.46 ट्रिलियन किलोमीटर के बराबर होती है और इसका उपयोग सितारों, आकाशगंगाओं तथा अन्य ब्रह्मांडीय पिंडों के बीच की विशाल दूरियों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। दूसरी ओर ध्वनि तरंगों की उपयोगिता ज़मीन से जुड़े कार्यों में अधिक होती है। इनका इस्तेमाल टेलीफोन, रेडियो, संगीत, सोनार और चिकित्सा क्षेत्र में जैसे कि अल्ट्रासाउंड में किया जाता है। हालांकि चूंकि ध्वनि तरंगें किसी माध्यम पर निर्भर होती हैं इसलिए ये लंबी दूरी तय नहीं कर पातीं। जैसे-जैसे वे माध्यम से गुजरती हैं ऊर्जा धीरे-धीरे क्षीण होती जाती है, जिससे इनकी प्रभावी दूरी सीमित रह जाती है।

क्या कभी ध्वनि तेज हो सकती है?

सामान्य परिस्थितियों में ध्वनि तरंगें कभी भी प्रकाश से तेज नहीं होतीं। जब हम 'सुपरसोनिक' शब्द सुनते हैं तो इसका मतलब होता है कि कोई वस्तु जैसे कि एक फाइटर जेट या गोली हवा में ध्वनि की गति (लगभग 343 मीटर प्रति सेकंड) से तेज गति से चल रही है। ऐसी गति पर चलने वाली वस्तुएँ हवा में तेज कंपन उत्पन्न करती हैं जिससे शॉक वेव्स बनती हैं। ये शॉक वेव्स अत्यधिक ऊर्जा के साथ फैलती हैं और जब वे हमारे कानों तक पहुँचती हैं तो एक तेज़ धमाके की आवाज़ उत्पन्न होती है जिसे 'सोनिक बूम' कहा जाता है। हालांकि ये शॉक वेव्स और सुपरसोनिक वस्तुएँ भी प्रकाश की गति (लगभग 299,792 किलोमीटर प्रति सेकंड) से कहीं धीमी होती हैं। इसलिए चाहे तकनीक कितनी भी उन्नत हो जाए, प्रकाश की गति अब भी सबसे तेज बनी हुई है।

क्या प्रकाश से तेज कुछ हो सकता है?

विज्ञान में अब तक ऐसा कुछ नहीं मिला है जो प्रकाश की गति से तेज हो। हालांकि कुछ सिद्धांत जैसे 'टैकीऑन (Tachyon)' नामक काल्पनिक कण प्रस्तावित किए गए हैं जो इससे तेज गति से चल सकते हैं लेकिन इनका अभी कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है।

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