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Importance of Oceans: समुद्र हमारे लिए क्यों जरूरी हैं, अगर समुद्र न हों तो क्या होगा?
Importance of Oceans: पृथ्वी का लगभग 71 फीसदी हिस्सा समुद्रों से ढका है लेकिन क्या हो अगर समुद्र धरती से गायब हो जाये तो? आइये जानते हैं कितना ज़रूरी है समुद्र।
Importance of Oceans (Image Credit-Social Media)
Importance of Oceans : समुद्र, ये शब्द सुनते ही मन में एक अनंत, गहरा और नीला सागर तैरने लगता है। ये कोई साधारण पानी का गड्ढा नहीं, बल्कि पृथ्वी की धड़कन, संस्कृति का आलम और विज्ञान का एक अनछुआ रहस्य है। पृथ्वी का लगभग 71 फीसदी हिस्सा समुद्रों से ढका है, यानी 36 करोड़ वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र। ये ना सिर्फ जीवन के लिए जरूरी है, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और सामाजिक जिंदगी को भी चलाता है। विश्व बैंक के अनुसार, समुद्र आधारित अर्थव्यवस्था हर साल 3 से 6 ट्रिलियन डॉलर का योगदान देती है।
समुद्र क्यों जरूरी है
समुद्र पृथ्वी के जीवन का मूल आधार है। ये एक ऐसा चक्र है जो सब कुछ जोड़ता है, चाहे वो सांस लेना हो, मौसम हो, खाना हो या व्यापार। चलिए कुछ बड़े कारण और आंकड़े देखते हैं कि समुद्र हमारे लिए इतना खास क्यों है:
ऑक्सीजन का खजाना: क्या आप जानते हैं कि पृथ्वी की 50 से 70 फीसदी ऑक्सीजन समुद्र देता है? समुद्र में रहने वाले फाइटोप्लankton, जो छोटे-छोटे पौधे जैसे जीव हैं, हर साल करोड़ों टन ऑक्सीजन बनाते हैं। नासा के मुताबिक, ये फाइटोप्लankton पृथ्वी के ऑक्सीजन चक्र का आधा हिस्सा संभालते हैं, जितना अमेजन के जंगल करते हैं।
मौसम का कंट्रोलर: समुद्र पृथ्वी के तापमान और मौसम को बैलेंस करता है। ये 93 फीसदी अतिरिक्त गर्मी को सोख लेता है, जो ग्रीनहाउस गैसों से पैदा होती है। समुद्री धाराएं, जैसे गल्फ स्ट्रीम, हर साल 1000 गुना ज्यादा ऊर्जा ट्रांसफर करती हैं, जितनी पूरी दुनिया की बिजली खपत है। इससे यूरोप जैसे ठंडे इलाकों का तापमान 5 से 10 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है।
खाने का भंडार: समुद्र 3 अरब से ज्यादा लोगों के लिए प्रोटीन का मुख्य स्रोत है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, हर साल 17 करोड़ टन मछली और समुद्री खाना पकड़ा जाता है, जो ग्लोबल खाद्य आपूर्ति का 17 फीसदी है। तटीय इलाकों में 40 फीसदी लोग मछली पर निर्भर हैं।
व्यापार और ट्रांसपोर्ट: समुद्र दुनिया की 90 फीसदी व्यापारिक माल ढुलाई का रास्ता है। अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के मुताबिक, हर साल 11 अरब टन से ज्यादा सामान जहाजों से एक देश से दूसरे देश जाता है। समुद्री रास्ते सड़क या हवाई मार्ग से 10 गुना सस्ते हैं।
जलवायु का रक्षक: समुद्र हर साल 25 फीसदी मानव-निर्मित कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) सोख लेता है। NOAA (नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन) के आंकड़ों के, समुद्र ने अब तक 525 अरब टन CO2 सोखा है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग की रफ्तार 30 फीसदी कम हुई है।
जीव-जंतुओं का घर: समुद्र में 23 लाख से ज्यादा प्रजातियाँ हैं, जिनमें से सिर्फ 10-15 फीसी का ही हमें पता है। कोरल रीफ्स, जो सिर्फ 0.4 फीसी समुद्री क्षेत्र में हैं, 25 फीसी समुद्री जीवों को आश्रय देती हैं।
समुद्र का इतिहास और संस्कृति
समुद्र सिर्फ पानी का ढेर नहीं, इंसानी तारीख और संस्कृति का हिस्सा है। पुराने वक्त से ये इंसानों के लिए एक सपना और चुनौती रहा। कुछ आंकड़ों और बातों के साथ इसके सांस्कृतिक पहलू देखें:
खोज का रास्ता: समुद्र ने इंसानों को नई जमीनें ढूंढने का रास्ता दे दिया. 15वीं सदी में क्रिस्टोफर कोलंबस और वास्को डा गामा ने समुद्री रास्तों से अमेरिका और भारत जैसे इलाकों को खोया, जिससे 50 साल में वैश्विक व्यापार 3 गुना बढ़ा। आज भी 80 फीसी अंतरराष्ट्रीय यात्राएं समुद्र से होती हैं।
संस्कृति का हिस्सा: भारत में समुद्र को वरुण देव माना जाता है। महाभारत और पुराणों में समुद्र मंथन की कहानी है, जिसमें 14 रत्नों की बात मिलती है। कन्याकुमारी में 3 समुद्रों का मिलन हर साल लाखों श्रद्धालुओं को खींचता है। ग्रीस में पोसाइडन, जापान में रयूजिन जैसे समुद्री देवता पूजे जाते हैं।
कला और साहित्य: समुद्र ने साहित्य और कला को रंग दिया। रामायण में राम का समुद्र पार करना हो या 1851 में लिखी मोबी डिक, समुद्र हमेशा रहस्य और जंग का प्रतीक रहा। 19वीं सदी में समुद्री चित्रकला ने 30 फीसदी यूरोपी कला पर असर डाला।
रहस्य और कहानियाँ: समुद्र की कहानियाँ, जैसे बरमूडा ट्रायंगल, जहां 1945 से अब तक 50 से ज्यादा जहाज और 20 विमान गायब हुए, आज भी लोगों को डराती और लुभाती हैं।
समुद्र की चुनौतियाँ
समुद्र के इतने फायदे हैं। लेकिन आज ये खुद कई मुसीबतों से घिरा है। इंसानी गतिविधियों ने समुद्र को खतरे में डाल दिया। कुछ बड़ी समस्याएँ और आंकड़े हैं:
प्रदू: हर साल 80 लाख टन प्लास्टिक समुद्र में डम्प हो रहा है। WWF के मुताबिक, 2050 तक समुद्र में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक होगा। प्लास्टिक से हर साल 10 लाख समुद्री पक्षी और 1 लाख समुद्री जानवर मरते हैं।
जलवायु परिवर्तन: समुद्र का तापमान 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है, जिससे 50 फीसी कोरल रीफ्स मरे हैं। IPCC (2022) के आउमुद्र के जल स्तर में 3.7 मिलीमीटर सालाना की रफ्तार से बढ़ोत्तरी हो रही है, जिससे 2100 तक 1 मीटर तक बढ़ सकता है। इससे भारत के 40 तटीय शहरों को खतरा है।
ज्यादा मछली पकाना: FAO के मुताबिक, 35 फीसी मछली प्रजातियाँ ज्यादा पकने से खत्म हो रही हैं। 1970 से अब तक समुद्री जैव मात्रा 49 फीसी कम हुई है।
समुद्र की अम्लता: समुद्र की अम्लता 30 फीसी बढ़ी है, क्योंकि ये ज्यादा CO2 सोख रहा है। इससे कोरल रीफ्स और शेलफिश की प्रजातियाँ 20 फीसी कम हो रही हैं।
समुद्र को बचाने के तरीके
समुद्र को बचाना हमारा फर्ज है और आने वाली नस्लों के लिए जरूरी भी। कुछ कदम और आंकड़े जो हम उठा सकते हैं:
प्लास्टिक कम करें: सिंगल-यूज प्लास्टिक को 50 फीसी कम करने से 2040 तक 70 फीसी समुद्री कचरा घट सकता है। भारत में 60 फीसी प्लास्टिक रीसाइक्लिंग हो रहा है, इसे 80 तक ले जाना चाहिए।
सल्टनेबल मछली पकड़ना: सल्टनेबल फिशिंग से 20 साल में 30 फीसी मछली प्रजातियाँ बच सकती हैं। भारत में 10,000 तौर पर मछली पकड़ने की नीतियाँ लागू हैं।
जागरूकता फैलाएं: 70 फीसी लोग समुद्र की समस्याओं से अनजान हैं। स्कूलों और सोशल मीडिया से 2030 तक 50 करोड़ लोगों तक जागरूकता पहुंच सकती है।
संरक्षण प्रोग्राम: 30 फीसी समुद्र को संरक्षित क्षेत्र बनाने का ग्लोबल लक्ष्य (UN) है। भारत के 2 फीसी तटीय क्षेत्र में हैं, इसे 10 फीसी तक बढ़ाना चाहिए। कोरल रीफ्स और मैंग्रोव्स की बहाली से 25 फीसी समुद्री जीव-विविधता बढ़ सकती है।
विज्ञान और रिसर्च: समुद्र की 80 फीसी गहराई अछूती है। 1,000 करोड़ डॉलर की रिसर्च से 2050 तक 60 फीसी समुद्री प्रजातियों की मैपिंग हो सकती है।
समुद्र का भविष्य हमारे हाथ में है। अगर हम अभी कदम नहीं उठाए तो ना सिर्फ समुद्री जीव, बल्कि इंसानी जिंदगी भी 50 फीसी तक प्रभावित हो सकती है। 2050 तक 70 फीसी तटीय शहर जलमग्न हो सकते हैं। समुद्र के बिना पृथ्वी का जीवन नहीं। इसलिए इसका संरक्षण हमारी पीद का बडा मकसद है।
समुद्र एक रहस्म, एक दोस्त और हमारी जिंदगी का आधार है। ये हमें खाना देता दे, ऑक्सीजन देता दे, और संस्कृति को रंग देता है। लेकिन ये हमसे भी कुछ मांगा है, थोडी सी केयर, थोडी सी समझ और थोड़ी सी जिम्मेदारी। अगर हम समुद्र का खयाल रखेंगे, तो ये भी हमारा खयाल रखेंगे।
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