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गुमनाम संकट: भारत की मिट्टी का स्वास्थ्य बचाना
Save India's Soil Health: मृदा स्वास्थ्य (Soil Health) देश की प्राथमिकताओं में से एक होना चाहिए क्योंकि यह हमारे खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण संतुलन और आर्थिक स्थिरता का आधार है।
Save India's Soil Health (Image Credit-Social Media)
जब देश की प्राथमिकताओं की बात आती है, तो मृदा स्वास्थ्य (Soil Health) शायद ही कभी सुर्खियाँ बटोरता है। यह विषय भारत में न के बराबर चर्चा में आता है, जबकि यह हमारे खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण संतुलन और आर्थिक स्थिरता का आधार है। आज देश की 30% से अधिक कृषि भूमि अवनति (Degradation) का शिकार है, फिर भी इस ओर आपातकालीन कार्रवाई का अभाव है।
मिट्टी का संकट: अनदेखी के परिणाम
1. पोषक तत्वों की कमी:
- भारतीय मृदा अनुसंधान संस्थान के अनुसार, 52% खेतों में नाइट्रोजन, 42% में फॉस्फोरस और 44% में जिंक की गंभीर कमी है।
- परिणाम: पैदावार घटना, फसलों में पोषण मूल्य गिरना।
2. रासायनिक खेती का जाल:
- अत्यधिक यूरिया और कीटनाशकों के प्रयोग से मिट्टी में जैविक कार्बन 0.3-0.4% तक सिमट गया है (आदर्श: 3-5%)।
3. जलवायु पर प्रभाव:
- खराब मिट्टी कार्बन सोखने की क्षमता खो देती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती है।
अनदेखे समाधान: क्यों नहीं हो रही कार्रवाई?
- जागरूकता का अभाव: ग्रामीण क्षेत्रों में 70% किसान मृदा परीक्षण की अवधारणा से अनजान हैं।
- नीतिगत उपेक्षा: केंद्र/राज्य सरकारों के बजट में मृदा स्वास्थ्य को 0.1% से कम आवंटन मिलता है।
- लघु जोत का दबाव: छोटे खेतों में किसान अल्पकालिक उपज पर फोकस करते हैं, दीर्घकालिक मिट्टी प्रबंधन नहीं।
मृदा बचाने के व्यावहारिक उपाय
1. ‘मिट्टी बैंक’ अवधारणा
- गाँव स्तर पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड डेटा का डिजिटल संग्रह बनाना, जिससे किसानों को फसल चक्र और खाद की मात्रा का वैज्ञानिक सुझाव मिल सके।
2. जैविक खेती को प्रोत्साहन
5 साल की टैक्स छूट: जैविक उत्पाद बेचने वाले किसानों को सीधा लाभ।
- वर्मीकम्पोस्ट यूनिट सब्सिडी: हर पंचायत में सामुदायिक खाद संयंत्र स्थापित करना।
3. शहरी कचरा = ग्रामीण खाद
- नगर निगमों द्वारा एकत्र किए गए जैविक कचरे को प्रोसेस कर किसानों को मुफ्त/सस्ती दर पर उपलब्ध कराना।
- उदाहरण: इंदौर मॉडल जहाँ 700 टन/दिन कचरे से खाद बनती है।
4. मृदा दिवस और शिक्षा
- स्कूलों में ‘मिट्टी प्रयोगशाला’ और कॉलेजों में Soil Health Management कोर्स शुरू करना।
सफलता की कहानियाँ
- सिक्किम: भारत का पहला 100% जैविक राज्य बनने से मिट्टी की उर्वरता में 48% सुधार।
- आंध्र प्रदेश: जीरो बजट प्राकृतिक खेती के तहत 6 लाख किसानों ने रासायनिक खाद छोड़ी, उत्पादन लागत 70% घटी।
मिट्टी बचेगी तो भारत बचेगा
मृदा स्वास्थ्य सिर्फ किसानों का मुद्दा नहीं, बल्कि हर नागरिक की खाद्य सुरक्षा से जुड़ा राष्ट्रीय सरोकार है। जिस तरह हम ‘स्वच्छ भारत’या ‘डिजिटल इंडिया’ को प्राथमिकता देते हैं, उसी तत्परता से ‘स्वस्थ मिट्टी अभियान’,चलाने की जरूरत है। याद रखें: एक इंच उपजाऊ मिट्टी बनने में 1,000 साल लगते हैं, लेकिन नष्ट होने में सिर्फ एक बार की अंधाधुंध फसल!
_"जब तक धरती माँ के आँचल का स्वास्थ्य सुरक्षित नहीं होगा, तब तक हमारा अन्न कभी पौष्टिक नहीं हो सकता।"
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