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Kanhaiya Lal Murder Case: धारदार हथियार हत्या और वो वीडियो से कैसे हुई थी कन्हैयालाल की हत्या

Kanhaiya Lal Murder Case History: कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म उदयपुर फाइल्स बनाई गई जिसे 11 जुलाई 2025 को रिलीज होना था लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने इसकी रिलीज पर रोक लगा दी।

Akshita Pidiha
Published on: 15 July 2025 8:30 AM IST (Updated on: 15 July 2025 8:30 AM IST)
Kanhaiya Lal Murder Case
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Kanhaiya Lal Murder Case (Image Credit-Social Media)

Kanhaiya Lal Murder Case: 28 जून, 2022 को राजस्थान के उदयपुर में एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। एक साधारण दर्जी कन्हैयालाल साहू की दुकान पर धारदार हथियार से निर्मम हत्या कर दी गई। हत्यारों ने न सिर्फ इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया बल्कि उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल भी किया। इस घटना ने न केवल उदयपुर बल्कि पूरे देश में तनाव और आक्रोश की लहर पैदा कर दी। इस हत्याकांड पर आधारित फिल्म उदयपुर फाइल्स बनाई गई जिसे 11 जुलाई 2025 को रिलीज होना था लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने इसकी रिलीज पर रोक लगा दी। आइए इस हत्याकांड की पूरी कहानी और फिल्म से जुड़े विवाद को विस्तार से समझते हैं।

कन्हैयालाल हत्याकांड

कन्हैयालाल साहू उदयपुर के मालदास इलाके में एक छोटी सी दर्जी की दुकान चलाते थे। 40 साल के कन्हैयालाल एक साधारण जीवन जी रहे थे। उनके परिवार में पत्नी और दो बेटे थे। लेकिन उनकी जिंदगी तब उलट-पुलट हो गई जब एक सोशल मीडिया पोस्ट ने उन्हें विवादों के केंद्र में ला खड़ा किया।


कन्हैयालाल ने अपने व्हाट्सएप ग्रुप में एक पोस्ट शेयर की थी जिसमें उन्होंने तत्कालीन बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में कुछ लिखा था। नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद के बारे में एक विवादित बयान दिया था जिसके बाद देशभर में तनाव का माहौल था।

बाद में जांच में पता चला कि ये पोस्ट कन्हैयालाल ने नहीं बल्कि उनके 8 साल के बेटे ने गलती से फॉरवर्ड कर दी थी। लेकिन इस छोटी सी गलती की कीमत कन्हैयालाल को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

इस पोस्ट के बाद कन्हैयालाल को धमकियां मिलने लगीं। उन्होंने पुलिस में शिकायत भी दर्ज की थी और सुरक्षा की मांग की थी लेकिन उनकी शिकायत पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया।

हत्या का दिन और वो भयावह घटना

28 जून 2022 की दोपहर उदयपुर के मालदास इलाके में कन्हैयालाल अपनी दुकान पर काम कर रहे थे। दो लोग मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद उनकी दुकान पर आए।दोनों ने कपड़े सिलवाने का बहाना बनाया। रियाज ने नाप देने के लिए कन्हैयालाल को बुलाया जबकि गौस मोहम्मद ने अपने मोबाइल फोन से पूरी घटना को रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया।अचानक रियाज ने धारदार हथियार से कन्हैयालाल पर हमला कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उनकी गर्दन पर 7 से 8 बार वार किए गए और शरीर पर दो दर्जन से ज्यादा घाव थे। उनका एक हाथ भी कट गया था। हत्यारों ने इस क्रूरता को कैमरे में कैद किया और वीडियो में खुद को इस्लाम का सच्चा अनुयायी बताते हुए हत्या की जिम्मेदारी ली। उन्होंने दावा किया कि ये हत्या नूपुर शर्मा के बयान का बदला लेने के लिए की गई। वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया। लोग इस क्रूरता को देखकर स्तब्ध रह गए।

हत्या के बाद का माहौल


कन्हैयालाल की हत्या के बाद उदयपुर में तनाव का माहौल बन गया। लोग सड़कों पर उतर आए और न्याय की मांग करने लगे। राजस्थान सरकार ने तनाव को नियंत्रित करने के लिए उदयपुर में कर्फ्यू लगा दिया और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं। हत्या के कुछ ही घंटों बाद दोनों आरोपियों रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद को राजसमंद से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस के अनुसार वे मोटरसाइकिल से भाग रहे थे। भीड़ ने दोनों आरोपियों की जमकर पिटाई की लेकिन पुलिस ने उन्हें बचा लिया। बाद में मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया। एनआईए की जांच में पता चला कि दोनों आरोपियों के अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से संबंध थे। वे दावते इस्लामी नामक संगठन के ऑनलाइन कोर्स से जुड़े थे और उन्हें किसी बड़े साजिशकर्ता के इशारे पर काम करने का शक था। जांच में ये भी सामने आया कि कन्हैयालाल अकेले निशाने पर नहीं थे। नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट करने वाले कई लोग इनके टारगेट पर थे।

हत्या की जांच और कानूनी कार्रवाई

कन्हैयालाल हत्याकांड की जांच एनआईए को सौंपे जाने के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। एनआईए ने 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जिसमें रियाज अत्तारी, गौस मोहम्मद और मोहम्मद जावेद जैसे नाम शामिल थे। दो फरार आरोपी पाकिस्तान के कराची से जुड़े थे। जांच में पता चला कि हत्यारों को खास ट्रेनिंग दी गई थी और हत्या के लिए हथियार उदयपुर से 20 किलोमीटर दूर सापेटिया इलाके की एक फैक्ट्री से लिए गए थे। हत्या का मकसद आतंक फैलाना था। हत्यारों ने आईएसआईएस की तर्ज पर गला काटने और वीडियो बनाने की रणनीति अपनाई ताकि लोगों में दहशत फैले। हालांकि तीन साल बाद भी मुख्य आरोपियों को सजा नहीं मिली है। दो आरोपियों मोहम्मद जावेद और फरहाद मोहम्मद को जमानत मिल चुकी है जिससे कन्हैयालाल का परिवार और समर्थक नाराज हैं।

उदयपुर फाइल्स फिल्म और विवाद


कन्हैयालाल हत्याकांड की क्रूरता और इसके सामाजिक प्रभाव को देखते हुए इस घटना पर एक फिल्म बनाई गई जिसका नाम है उदयपुर फाइल्स। इस फिल्म का निर्देशन भरत एस श्रीनाते ने किया और प्रोड्यूसर अमित जानी हैं। फिल्म में अभिनेता विजय राज ने कन्हैयालाल की भूमिका निभाई है जबकि रजनीश दुग्गल और प्रीति झांगियानी जैसे कलाकार भी अहम किरदारों में हैं। फिल्म का मकसद इस हत्याकांड की सच्चाई को देश और दुनिया के सामने लाना था। प्रोड्यूसर अमित जानी का कहना है कि लोग ऐसी घटनाओं को समय के साथ भूल जाते हैं लेकिन ये हत्याकांड भुलाने लायक नहीं है। कन्हैयालाल के बेटे यश तेली ने फिल्म का समर्थन किया है। उनका कहना है कि ये फिल्म किसी धर्म के खिलाफ नहीं बल्कि आतंकवादी सोच के खिलाफ है। उन्होंने अपने पिता की अस्थियां आज तक विसर्जित नहीं कीं क्योंकि उन्हें अब तक न्याय नहीं मिला।फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद से ही विवाद शुरू हो गया। कुछ संगठनों और लोगों ने दावा किया कि ट्रेलर में ऐसे डायलॉग और सीन हैं जो सांप्रदायिक तनाव भड़का सकते हैं।

दिल्ली हाई कोर्ट की रोक

उदयपुर फाइल्स को 11 जुलाई 2025 को रिलीज होना था लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने इसकी रिलीज पर रोक लगा दी। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उनका दावा था कि फिल्म सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ सकती है। याचिका में कहा गया कि फिल्म के ट्रेलर में नूपुर शर्मा का विवादित बयान दिखाया गया है और कुछ डायलॉग 2022 में भड़के तनाव को फिर से हवा दे सकते हैं। एक अन्य याचिका आरोपी मोहम्मद जावेद ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी। उसका कहना था कि फिल्म की रिलीज से उसके खिलाफ चल रही सुनवाई प्रभावित हो सकती है। हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) को फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग करने को कहा। सीबीएफसी ने प्रोड्यूसर्स को कुछ विवादित डायलॉग और सीन हटाने का निर्देश दिया जिसे उन्होंने मान लिया। लेकिन हाई कोर्ट ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार जमीयत की याचिका पर अंतिम फैसला नहीं ले लेती तब तक फिल्म रिलीज नहीं होगी।

सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

कन्हैयालाल हत्याकांड और उदयपुर फाइल्स ने समाज और राजनीति में कई सवाल खड़े किए हैं। बीजेपी ने इस हत्याकांड को आतंकी हमला करार दिया और तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया। उनका कहना था कि कन्हैयालाल को पर्याप्त सुरक्षा नहीं दी गई। कांग्रेस ने जवाब में कहा कि उन्होंने तुरंत कार्रवाई की और आरोपियों को गिरफ्तार किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कानून व्यवस्था की समीक्षा के लिए बैठक भी की। सोशल मीडिया पर फिल्म के समर्थन और विरोध में कई कैंपेन चले। कुछ लोगों ने फिल्म का बायकॉट करने की अपील की और उदयपुर में दो युवकों सैयद हाफिज और शराफत खान को इस अपील के लिए गिरफ्तार किया गया। हनुमानगढ़ में पांच लोगों को हथियारों की तस्वीरें और हत्या का वीडियो वायरल करने के लिए गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने इसे दहशत फैलाने की कोशिश बताया।

हत्याकांड का सामाजिक प्रभाव


कन्हैयालाल की हत्या ने कई गंभीर सवाल उठाए। सोशल मीडिया के दुरुपयोग का ये एक बड़ा उदाहरण था। एक छोटी सी पोस्ट ने एक निर्दोष व्यक्ति की जान ले ली। धार्मिक कट्टरता और असहिष्णुता का मुद्दा फिर से चर्चा में आया। इस घटना ने समाज में बंटवारे को और गहरा किया। न्यायिक प्रक्रिया की सुस्ती पर भी सवाल उठे। तीन साल बाद भी मुख्य आरोपियों को सजा नहीं मिलना पीड़ित परिवार और समर्थकों के लिए निराशाजनक है। इस हत्याकांड ने ये भी दिखाया कि आतंकी संगठनों का प्रभाव अब छोटे शहरों तक पहुंच रहा है।

कन्हैयालाल हत्याकांड एक ऐसी घटना है जो समाज के लिए एक चेतावनी है। धारदार हथियार से की गई इस निर्मम हत्या और उसका वीडियो न सिर्फ क्रूरता का प्रतीक है बल्कि ये भी दिखाता है कि धार्मिक कट्टरता और सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल कितना खतरनाक हो सकता है। उदयपुर फाइल्स फिल्म इस घटना को फिर से सुर्खियों में लाने की कोशिश थी लेकिन इसके विवादित कंटेंट ने इसे रोक दिया। दिल्ली हाई कोर्ट की रोक समाज में सौहार्द बनाए रखने की कोशिश है लेकिन ये भी सच है कि कन्हैयालाल का परिवार आज भी न्याय की राह देख रहा है। इस हत्याकांड ने हमें ये सोचने पर मजबूर किया कि क्या हमारा समाज इतना असहिष्णु हो गया है कि एक छोटी सी पोस्ट की कीमत किसी की जान से चुकानी पड़ रही है।

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