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Mahatma Gandhi Popularity: विश्व में गांधी की प्रासंगिकता, एक बूढ़े आदमी की अमर विरासत

Mahatma Gandhi Popularity in World: महात्मा गाँधी सिर्फ एक नेता ही नहीं थे वे मानवता के पथप्रदर्शक भी थे उन्होंने सभी को कई विचार दिए जैसे अहिंसा, सत्य, आत्मबल, सविनय अवज्ञा।

Yogesh Mishra
Published on: 13 July 2025 8:40 AM IST (Updated on: 13 July 2025 8:40 AM IST)
Mahatma Gandhi Popularity in World
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Mahatma Gandhi Popularity in World

Mahatma Gandhi Popularity in World: दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति कहे जाने वाले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से जब एक बार पूछा गया कि यदि उन्हें जीवन में केवल एक बार किसी एक व्यक्ति के साथ बैठकर डिनर करने का अवसर मिले, तो वह किसे चुनेंगे? ओबामा का उत्तर था — “महात्मा गांधी।”

यह उत्तर सिर्फ एक औपचारिक शिष्टाचार नहीं था, बल्कि गांधी के विचारों और व्यक्तित्व के प्रति गहरे सम्मान का प्रमाण था। जो व्यक्ति दुनिया के सबसे घातक परमाणु हथियारों की कुंजी रखता है, वह उस वृद्ध, दुबले-पतले आदमी के साथ बैठना चाहता है, जिसके पास न सत्ता है, न हथियार, न सेना, न पद — फिर भी पूरी दुनिया उसकी विरासत को सिर माथे पर रखती है।

यह प्रश्न भारतीय समाज को बार-बार झकझोरता है — जब अपनी धरती पर गांधी को गालियाँ दी जाती हैं, उनके पुतले पर गोलियाँ चलाई जाती हैं, उनकी निंदा करने को वीरता माना जाता है, तब भी वे हर बार और जीवित होकर उठ खड़े होते हैं — न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में।

गांधी के विचारों का वैश्विक प्रभाव


गांधी केवल भारत के नेता नहीं थे। वे मानवता के पथप्रदर्शक बन चुके थे। उन्होंने जो विचार बोए — अहिंसा, सत्य, आत्मबल, सविनय अवज्ञा — वे सीमाओं से परे जाकर विश्व के कोने-कोने में फले-फूले। मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला, हिस होलिनेस दलाई लामा, अंग सान सू की, वाक्लाव हावेल, ली कुआन यू, जैसे विश्वनेताओं ने खुलेआम स्वीकार किया कि उनके आंदोलनों और सोच की प्रेरणा गांधी से मिली।

अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधी के बारे में लिखा — “Coming generations will scarce believe that such a one as this ever in flesh and blood walked upon this earth.” (आने वाली पीढ़ियाँ शायद ही विश्वास करेंगी कि कभी ऐसा मनुष्य हाड़-मांस का बना इस धरती पर चला था।)

यह कोई कवितामयी वाक्य नहीं, बल्कि वैज्ञानिक युग के सबसे महान मस्तिष्क की श्रद्धांजलि थी — उस व्यक्ति के लिए जिसने बिना हथियार, बिना भय, केवल आत्मबल से एक साम्राज्य को झुका दिया।

गांधी की मूर्तियाँ और स्मृतियाँ — विश्व में भारत की पहचान

गांधी आज भी केवल किताबों में नहीं हैं। वे मूर्तियों, सड़कों, भवनों और स्मृतियों के रूप में जीवित हैं। दुनिया के 150 से अधिक देशों में गांधी की मूर्तियाँ स्थापित हैं।

उदाहरण के लिए:

• लंदन के पार्लियामेंट स्क्वायर में गांधी की कांस्य प्रतिमा — चर्चिल के ठीक सामने।

• वॉशिंगटन डी.सी. में भारतीय दूतावास के पास गांधी की प्रतिमा — सत्य और अहिंसा की गूंज के साथ।

• दक्षिण अफ्रीका में पीटरमैरिट्जबर्ग स्टेशन पर जहां गांधी को ट्रेन से उतारा गया था — वहां उनका स्मारक आज प्रेरणा का केंद्र है।

• ह्यूस्टन, सैन फ्रांसिस्को, टोरंटो, पेरिस, जोहान्सबर्ग, मेलबर्न, सियोल, ब्यूनस आयर्स, टोक्यो और मॉस्को तक में गांधी की मूर्तियाँ हैं।

• अफ्रीका, जहाँ से उनका संघर्ष शुरू हुआ — वहाँ के कई शहरों में उनकी स्मृति में संग्रहालय और भवन निर्मित किए गए हैं।

150 से अधिक देशों में गांधी पर डाक टिकट जारी हुए हैं। दुनिया के दर्जनों देशों में गांधी के नाम पर सड़कें हैं — “Mahatma Gandhi Road”, “Gandhi Avenue”, “Gandhi Square”, “Gandhi Marg”।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एटली से भेंट


गांधी की विश्व-स्वीकृति का एक और प्रमाण था जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली से वे मिले। यह वही एटली थे, जिनके नेतृत्व में ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत को स्वतंत्रता दी।

इस भेंट में गांधी ने किसी राजनीतिक पद या सम्मान की बात नहीं की। उन्होंने केवल भारत के गरीबों, दलितों, किसानों और महिलाओं के कल्याण की बात की। एटली ने स्वयं स्वीकार किया कि “गांधी एक व्यक्ति नहीं, एक युग हैं। उनके कारण ही ब्रिटेन भारत को छोड़ने को विवश हुआ।”

चंपारण में हत्या का प्रयास — फिर भी न रुके

गांधी जी जब पहली बार चंपारण (बिहार) पहुँचे, तब उनका लक्ष्य केवल नील की खेती से त्रस्त किसानों की पीड़ा समझना था। लेकिन स्थानीय ज़मींदारों और अंग्रेज अफसरों को यह नागवार गुज़रा।

ऐसी मान्यता है कि गांधी जी को चाय में ज़हर देने का प्रयास किया गया था। लेकिन वह प्रयास विफल रहा। उन्होंने कोई शिकायत नहीं की।

उनकी सोच थी — “यदि मैं न्याय के रास्ते पर हूँ, तो मृत्यु भी मुझे नहीं रोक सकती।” यह चंपारण सत्याग्रह गांधी के सार्वजनिक जीवन का पहला सफल प्रयोग बना — और भारत के स्वतंत्रता संग्राम की दिशा ही बदल गई।

गांधी को गालियाँ, गोलियाँ — लेकिन वे हर बार जी उठते हैं

भारत में पिछले कुछ वर्षों में गांधी को बार-बार गालियाँ दी गई हैं — उन्हें कायर कहा गया, पाकिस्तान भेजने की बात हुई, और तो और एक खुले मंच पर उनके पुतले को गोली मार कर उत्सव मनाया गया।

लेकिन हर बार ऐसा करने वालों को गांधी की बढ़ती लोकप्रियता ही देखनी पड़ी — उनके विचार स्कूलों में, भाषणों में, प्रदर्शनकारियों के नारों में लौटते रहे।

जब दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद गिरा — गांधी की तस्वीर पोस्टरों पर थी।

जब अमेरिका में अश्वेत आंदोलन उठा — गांधी के पोस्टर और उद्धरण मार्चों में थे।

जब हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों का प्रदर्शन हुआ — “बापू की अहिंसा” को आदर्श मानकर झंडे लहराए गए।

गांधी क्यों प्रासंगिक हैं आज भी?


1. क्योंकि उन्होंने हिंसा के सामने झुकने से इनकार किया।

2. क्योंकि उन्होंने अन्याय के विरुद्ध सत्याग्रह को औज़ार बनाया।

3. क्योंकि उन्होंने बताया कि राष्ट्र निर्माण केवल हथियारों से नहीं, नैतिक बल से होता है।

4. क्योंकि उन्होंने सिखाया कि शक्ति का अर्थ क्रोध नहीं, धैर्य है।

निष्कर्ष: गांधी एक विचार हैं, और विचारों को मारा नहीं जा सकता, गांधी को मारने की साजिशें केवल गोली चलाकर नहीं होतीं — वे होती हैं उन्हें भुलाने, नकारने और उपहास उड़ाने की कोशिशों से। लेकिन जो व्यक्ति अल्बर्ट आइंस्टीन के शब्दों में “धरती पर जन्म लेने वाला दुर्लभ चमत्कार” है — वह भुलाया नहीं जा सकता।गांधी आज भी “बूढ़ा दिखता है, कमज़ोर लगता है, लेकिन जब भी दुनिया हिंसा से थकती है — वह गांधी की ओर लौटती है।”भारत में यदि कुछ लोग उन्हें नकारते हैं — तो विश्व उन्हें और गहराई से अपना लेता है। इसलिए महात्मा गांधी केवल भारतीय इतिहास के नहीं, बल्कि विश्वमानवता के शाश्वत प्रतीक बन चुके हैं। हर बार जब उन्हें मिटाने की कोशिश होती है — वह और अधिक स्पष्टता से हमारे बीच जीवित हो उठते हैं।

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