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इंडिया ब्लॉक की डिनर डिप्लोमेसी: राहुल गांधी ने संयुक्त रणनीति को गति देने के लिए बुलाई अहम बैठक
India Blocks Dinner Diplomacy : बिहार विधानसभा चुनाव और 9 सितंबर 2025 को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले रणनीति को मजबूत करने का प्रयास तेज हो रहा है ऐसे में राहुल गांधी के आवास पर एक अहम डिनर मीटिंग आयोजित होगी।
India Blocks Dinner Diplomacy(Image Credit-Social Media)
India Blocks Dinner Diplomacy: एक महत्वपूर्ण एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए, विपक्षी इंडिया ब्लॉक 7 अगस्त 2025 को लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के आवास पर एक अहम डिनर मीटिंग आयोजित करने जा रहा है। यह बैठक जून 2024 के बाद गठबंधन की पहली भौतिक बैठक होगी, जो इस बात का संकेत है कि बिहार विधानसभा चुनाव और 9 सितंबर 2025 को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले रणनीति को मजबूत करने का प्रयास तेज हो रहा है। बैठक का एजेंडा बेहद संवेदनशील है, जिसमें बिहार की मतदाता सूची की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) और उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार उतारने की संभावना जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। इसके साथ ही 8 अगस्त को नई दिल्ली में चुनाव आयोग मुख्यालय तक एक विरोध मार्च भी तय किया गया है, ताकि कथित चुनावी हेरफेर पर विपक्ष की चिंताओं को मजबूती से रखा जा सके।
चुनावी चिंताओं पर संयुक्त मोर्चा
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) और अन्य दलों से बना इंडिया ब्लॉक SIR मुद्दे पर एकजुट है। उनका दावा है कि यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक अखंडता के लिए खतरा है।
चुनाव आयोग द्वारा 24 जून 2025 को शुरू की गई SIR प्रक्रिया के तहत, बिहार के 7.8 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से लगभग 2.9 करोड़ को मतदाता सूची में बने रहने के लिए नागरिकता का प्रमाण देना होगा। विपक्षी नेता, जिनमें राहुल गांधी भी शामिल हैं, इस प्रक्रिया को “वोट चोरी” और “खामोश अदृश्य धांधली” करार दे रहे हैं। उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया प्रवासी, दलित और गरीब जैसी हाशिए की आबादी को सबसे अधिक प्रभावित करेगी, जिससे वे साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ही मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।
राहुल गांधी इस मुद्दे पर मुखर रहे हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस के पास चुनाव आयोग की धांधली और भाजपा को लाभ पहुंचाने के “ओपन एंड शट” सबूत मौजूद हैं। संसद के बाहर उन्होंने कहा—
“चुनाव आयोग भारत का चुनाव आयोग नहीं, बल्कि भाजपा का एजेंट बन गया है।”
उन्होंने आयोग के अधिकारियों को जवाबदेह ठहराते हुए चेतावनी दी कि विपक्ष ऐसी प्रक्रियाओं को बिना चुनौती के नहीं छोड़ेगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव पर रणनीति
SIR विवाद से इतर, 7 अगस्त की बैठक का एक प्रमुख एजेंडा उपराष्ट्रपति चुनाव होगा। जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से खाली हुए इस पद के लिए विपक्ष संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रहा है, ताकि एकजुटता का संदेश दिया जा सके और राष्ट्रीय राजनीति में प्रभाव डाला जा सके।
सूत्रों के अनुसार, बैठक में सपा प्रमुख अखिलेश यादव, राजद नेता तेजस्वी यादव और तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी की उपस्थिति तय है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन भी स्वास्थ्य अनुकूल रहा तो शामिल होंगे। इसके अलावा, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता भी उपस्थित रहेंगे, जिससे स्पष्ट है कि विपक्ष व्यापक मोर्चे के रूप में खुद को प्रस्तुत करना चाहता है।
विरोध मार्च से बढ़ेगी आवाज़
डिनर मीटिंग के बाद 8 अगस्त को चुनाव आयोग कार्यालय तक विरोध मार्च आयोजित होगा। इंडिया ब्लॉक के नेता पारदर्शिता की मांग करेंगे और SIR प्रक्रिया को रद्द करने की अपील करेंगे। विपक्ष ने पहले ही मानसून सत्र में कई बार हंगामा किया है, जिसके चलते सदन स्थगित करना पड़ा।
लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव और राज्यसभा में नियम 267 के तहत नोटिस दिए जा चुके हैं। विपक्ष का तर्क है कि नागरिकता का प्रमाण मांगना अनुच्छेद 11 के तहत दिए गए अधिकारों का उल्लंघन है, जो संसद को नागरिकता नियमन की शक्ति देता है।
विपक्षी एकता की चुनौतियाँ
हालाँकि इंडिया ब्लॉक शक्ति प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन उसे आंतरिक चुनौतियों का सामना है। आम आदमी पार्टी (आप) ने गठबंधन से दूरी बना ली है। आप नेता संजय सिंह ने कहा कि पार्टी इंडिया ब्लॉक का हिस्सा नहीं है और बिहार चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ेगी। यह दरार विपक्ष की सामूहिक ताकत को कमजोर कर सकती है।
इसके अलावा, कुछ विपक्षी नेताओं ने 2024 लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस पर यह आरोप लगाया कि उसने गठबंधन को मजबूत बनाए रखने में पर्याप्त पहल नहीं की। ब्लॉक ने चुनाव में अच्छी संख्या में सीटें जीतीं, लेकिन उस गति का लाभ नहीं उठा सका।
फिर भी, 7 अगस्त की डिनर मीटिंग और 8 अगस्त का विरोध मार्च इंडिया ब्लॉक के लिए एक निर्णायक क्षण हैं। यह उसकी प्रासंगिकता और अस्तित्व को दोबारा स्थापित करने का अवसर हो सकता है।
बिहार विधानसभा चुनाव और उपराष्ट्रपति चुनाव नजदीक हैं। अब निगाहें इस बात पर हैं कि राहुल गांधी का नेतृत्व विपक्ष के विरोध को चुनावी सफलता में बदल पाता है या नहीं। आने वाले दिनों में इंडिया ब्लॉक की रणनीति भारतीय राजनीति की दिशा तय कर सकती है।
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