राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत, लखनऊ कोर्ट की मानहानि कार्यवाही पर लगाई अंतरिम रोक

Rahul Gandhi Controversy: सोमवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ लखनऊ की अदालत में चल रही आपराधिक मानहानि कार्यवाही पर अंतरिम रोक तो लगा दी है।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 4 Aug 2025 12:44 PM IST (Updated on: 4 Aug 2025 12:50 PM IST)
राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत, लखनऊ कोर्ट की मानहानि कार्यवाही पर लगाई अंतरिम रोक
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Rahul Gandhi defamation case

Rahul Gandhi Controversy: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ लखनऊ की अदालत में चल रही आपराधिक मानहानि कार्यवाही पर अंतरिम रोक तो लगा दी है। उनके बयानों को लेकर कड़ी फटकार भी लगाई। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के वकील से सवाल किया कि आप सोशल मीडिया पर यह बातें क्यों कहते हैं? क्या ये संसद में नहीं उठाई जा सकतीं?

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीमा पर तनाव के समय ऐसे बयान देना अनुचित है। संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत मिली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि कोई बात बिना जिम्मेदारी के कही जाए। आप सोशल मीडिया पर यह बातें क्यों कहते हैं? क्या ये संसद में नहीं उठाई जा सकतीं? आप कैसे कह सकते हैं कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन कब्जाई है? आपके पास इसकी क्या विश्वसनीय जानकारी है? एक सच्चा भारतीय ऐसा बयान नहीं दे सकता है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत नहीं

यह मामला 16 दिसंबर 2022 का है, जब भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि "चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश में भारतीय जवानों को पीट रहे हैं"। इस बयान के बाद बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने लखनऊ एमपी-एमएलए कोर्ट में आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस शिकायत को सही ठहराते हुए कहा था कि भारतीय सेना के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले बयान पर वह व्यक्ति भी "पीड़ित" हो सकता है, जिसे सेना के प्रति व्यक्तिगत श्रद्धा हो।

राहुल गांधी की कोर्ट मेें दलील

सुप्रीम कोर्ट मेें राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि मामला एक तीसरे पक्ष द्वारा दर्ज किया गया है और केवल बयान के आधार पर मानहानि का मामला नहीं बनता है। उन्होंने बयान को राजनीतिक उत्पीड़न करार दिया। उनकी दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाई और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। अब यह मामला तीन हफ्ते बाद फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुना जाएगा। अब तक के लिए रोक लगाई है।

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