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खांटी 'संघी' ही बनेगा अगला उपराष्ट्रपति? धनखड़ प्रकरण के बाद BJP का बदला रुख
धनखड़ प्रकरण के बाद भाजपा अब उपराष्ट्रपति पद पर अपने कोर कैडर से खांटी संघी नेता को बैठाने की योजना बना रही है। जानिए क्यों बदल रही है पार्टी की रणनीति।
Next Vice-President to be from RSS-BJP ideology (Photo: Social Media)
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद बीजेपी अब अपने कोर कैडर यानी मूल विचारधारा से जुड़े नेता को इस अहम पद पर लाने की तैयारी में है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, अब बाहरी या दूसरे दलों से आए नेताओं की जगह संघ की पाठशाला से निकले नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी। धनखड़ और सत्यपाल मलिक जैसे उदाहरणों ने भाजपा को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि केवल निष्ठावान नेताओं को ही संवैधानिक पदों पर बैठाया जाए।
पिछले कुछ वर्षों में पार्टी को कई बार अपने ही मनोनीत नेताओं की आलोचना या बगावती बयानों से शर्मिंदगी उठानी पड़ी है। ऐसे में उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव बेहद सोच-समझ कर होगा। वरिष्ठ, अनुशासित, और आरएसएस की विचारधारा से जुड़े चेहरे की संभावना अब ज्यादा मजबूत दिख रही है।
अपने लोगों पर ही दांव लगाएगी भाजपा
सूत्रों की मानें तो भाजपा में यह सोच बन चुकी है कि अब जिन पदों से सीधा असर केंद्र की नीतियों पर पड़ता है, वहां सिर्फ अपने विचारधारा वाले, संघ की पाठशाला से निकले नेताओं को ही जिम्मेदारी दी जायेगी।
वरिष्ठ और अनुभवी 'संघी' हो सकता है अगला उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति का पद सिर्फ सम्मान का नहीं बल्कि कानून और राज्यसभा के संचालन को सही दिशा में मोड़ने का भी होता है। राज्यसभा की अध्यक्षता उपराष्ट्रपति के हाथ में होती है, इसलिए भाजपा अब किसी ऐसे व्यक्ति को चुन सकती है जो सालों से पार्टी के साथ हो, बेहद अनुभव वाला हो और संघ की विचारधारा में पूरी तरह रमा हो।
भाजपा में ऐसे कई नाम हैं जो इस परिपाटी में फिट बैठते हैं। बिहार और बंगाल जैसे राज्यों से भी नाम लिए जा सकते हैं क्योंकि वहाँ विधानसभा चुनाव आने वाले हैं।
संघ की विचारधारा से बाहर नेताओं की बढ़ी टेंशन
धनखड़ प्रकरण के बाद अब दूसरी पार्टी से आये नेताओं की टेंशन बढ़ गई है। जनता दल और कांग्रेस के साख राजनीति करके आये धनखड़ ने भाजपा को ऐसा झटका दिया कि अब दूसरे नेताओं से भाजपा का मोह भंग होने के आसार हैं। सूत्रों का कहना है कि अब महत्वपूर्ण पदों पर केवल संघ-भाजपा के विचारधारा के व्यक्ति को ही तरजीह मिलेगी।
अब भाजपा इस नतीजे पर पहुंचती दिख रही है कि अगर पार्टी को आगे स्थिर और मजबूत करना है तो विचारधारा से जुड़ी रीढ़ के मजबूत नेताओं को ही ऊंचे पद दिए जायें। यही कारण है कि अगला उपराष्ट्रपति शायद एक खांटी संघी हो। जो न केवल पद संभाले, बल्कि विचारधारा को भी मजबूती दे।
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