दिग्गज बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से लिया संन्यास, एक युग का हुआ अंत

Cheteshwar Pujara Retires: दिग्गज बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने भारतीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा की। उनका करियर धैर्य, अनुशासन और उत्कृष्टता का प्रतीक था, खासकर ऑस्ट्रेलिया सीरीज़ में।

Shivam Srivastava
Published on: 24 Aug 2025 11:44 AM IST
दिग्गज बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से लिया संन्यास, एक युग का हुआ अंत
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Cheteshwar Pujara Retires: दिग्गज बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने आज भारतीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा कर दी। उनका करियर बेहद ही यादगार और साहस से भरा हुआ था। वो भारत के आठवें सबसे ज्यादा रन बनाने वाले टेस्ट खिलाड़ी हैं। उन्होंने 43.60 की औसत से 7,195 रन बनाए, जिसमें 19 शतक शामिल हैं। हालाँकि अपने 103 टेस्ट मैचों के करियर के अंत में एक खराब दौर ने उनके औसत को थोड़ा कम जरूर किया।

पुजारा ने एक भावुक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, भारतीय जर्सी पहनना, राष्ट्रगान गाना और हर बार मैदान पर कदम रखते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करना यह शब्दों में बयां करना असंभव है कि इसका असली मतलब क्या था। लेकिन जैसा कि कहते हैं, सभी अच्छी चीजों का अंत होना ही चाहिए और अपार कृतज्ञता के साथ मैंने भारतीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने का फैसला किया है। आप सभी के प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद।


हालांकि भारत ने कई शानदार स्ट्रोक-मेकर्स दिए हैं। लेकिन पुजारा की पारी को संभालने और दबाव को झेलने की क्षमता की बराबरी बहुत कम लोग कर पाए हैं। उन्हें 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया में भारत की ऐतिहासिक पहली टेस्ट सीरीज़ जीत के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उस सीरीज़ में, उन्होंने 521 रन बनाए, 1,258 गेंदों का सामना किया था। उनके इस परफॉर्मेंस की तुलना 1970-71 में वेस्टइंडीज में सुनील गावस्कर के प्रतिष्ठित 774 रनों और उसी सीज़न में इंग्लैंड में इस महान स्पिन तिकड़ी द्वारा लिए गए 37 विकेटों से की जाती है।

पुजारा ऑस्ट्रेलियाई धरती पर भारत की लगातार दो बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीत में आधारशिला थे। उनकी डिफेंस से भरी पारियों ने विश्व स्तरीय गेंदबाजी आक्रमण को ध्वस्त किया और ऐतिहासिक जीत की नींव रखी।

सीमित ओवरों के क्रिकेट की आक्रामक गति और तथाकथित बैजबॉल क्रिकेट से प्रभावित होते इस युग में चेतेश्वर पुजारा जैसे खिलाड़ी के उभरने की संभावना कम ही दिखती है। लेकिन खेल पर उनका प्रभाव अमिट है, जो धैर्य, अनुशासन और संयमित उत्कृष्टता के गुणों की याद दिलाता है।

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