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History of Cricket: करोड़ों दिलों धड़कन क्रिकेट का आखिर क्या है इतिहास?
Cricket Ka Itihas: क्रिकेट का इतिहास भी इस खेल की तरह रोमांचक, अद्भूत और विशाल है ।
History of Cricket (Photo - Social Media)
History Of Cricket: दुनिया में कई तरह के खेल खेले जाते हैं, जिनमें भरपूर रोमांच और आनंद होता है। लेकिन शायद ही कोई ऐसा खेल होगा जिसमें वह जुनून हो, जो क्रिकेट में देखने को मिलता है। यह खेल करोड़ों दिलों पर राज करता है और केवल एक खेल नहीं बल्कि लोगों की भावनाओं, उम्मीदों और रोमांच का प्रतीक बन चुका है। भारत में तो क्रिकेट को एक धर्म की तरह पूजा जाता है, जहां बल्ले और गेंद के हर टकराव पर दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस रोमांचक खेल की शुरुआत कब हुई और इसका इतिहास क्या है? अगर नहीं, तो यह लेख जरूर पढ़ें, क्योंकि इसमें हम क्रिकेट की शुरुआत से लेकर आज तक के उसके गौरवशाली सफर की कहानी जानेंगे।
क्रिकेट की उत्पत्ति
क्रिकेट की शुरुवात दक्षिण-पूर्वी इंग्लैंड के ग्रामीण इलाकों खासकर Kent, Sussex और Surrey से हुई ऐसा माना जाता है। शुरुआत में यह खेल सिर्फ गांवों की दलदली भूमि बच्चो द्वारा खेला जाता था, लेकिन धीरे-धीरे यह बड़ों के बीच भी लोकप्रिय हो गया। ऐतिहासिक विवरण के अनुसार, क्रिकेट का पहला पुख्ता उल्लेख 1598 में एक अंग्रेजी न्यायालय के मामले में मिलता है, जहां John Derrick ने गवाही दी कि उन्होंने लगभग 1550 में Guildford के Free School में अपने दोस्तों के साथ ‘creckett’ खेला था। इसके अलावा 1611 में भी 'क्रिकेट' शब्द एक शब्दकोश में 'लड़कों का खेल' के रूप में इसका विवरण मिलता है । हालांकि उसी साल Sussex में दो व्यक्तियों को रविवार को चर्च न जाकर क्रिकेट खेलने पर अदालत में पेश किया गया जिससे स्पष्ट होता है कि 1611 तक वयस्कों में भी लोकप्रिय हो चुका था। पहले यह खेल ग्रामीण और कामकाजी वर्ग में ही खेला जाता था, लेकिन बाद में अमीर और शाही वर्ग भी इसमें जुए और प्रतियोगिता के लिए शामिल होने लगे।जिससे यह पूरे इंग्लैंड में लोकप्रिय हो गया । जिसके बाद 18वीं सदी तक क्रिकेट पूरे देश का पसंदीदा खेल बन चुका था।शुरुआती दिनों में क्रिकेट लकड़ी की छड़ी और ऊन या लकड़ी से बनी गेंद जैसे बेहद साधारण सामग्री के साथ खेला जाता था ।
क्रिकेट के प्रारंभिक नियम और स्वरूप
शुरुआती दौर में क्रिकेट के नियम स्थायी या सार्वभौमिक नहीं थे और हर क्षेत्र, क्लब और आयोजन के हिसाब से अलग-अलग हुआ करते थे। उस समय गेंदबाजी अंडरआर्म शैली में होती थी जिसमें गेंद को ज़मीन पर लुढ़काया जाता था, जबकि राउंडआर्म और ओवरआर्म गेंदबाजी बाद में विकसित हुई। पिच की लंबाई भी तय नहीं होती थी और यह स्थान आयोजन के अनुसार बदलता रहता था । लेकिन 1744 में पहली बार क्रिकेट के आधिकारिक नियम बनाए गए, जिनमें पिच की लंबाई 22 गज़ (लगभग 20 मीटर) तय की गई। प्रारंभिक दिनों में बल्ले हॉकी स्टिक जैसे मुड़े हुए होते थे, क्योंकि गेंद नीचे से फेंकी जाती थी। लेकिन जैसे ही गेंद को उछालकर फेंकने की तकनीक आई, बल्ले का डिज़ाइन भी बदलकर सीधा किया गया। विकेट भी शुरू में केवल दो लकड़ी के खंभों और एक लंबे बेल से बनता था, जिसे 1775 में तीसरा स्टंप जोड़कर वर्तमान स्वरूप दिया गया। 1744 में पिच की लंबाई, चार गेंदों के ओवर और आउट होने के विभिन्न तरीकों जैसे नियमों के साथ क्रिकेट को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया जिसके बाद यह खेल अधिक संगठित और मानकीकृत खेल बन सका।
एक नज़र क्रिकेट के अंतरराष्ट्रीय सफर
क्रिकेट का विकास ब्रिटिश उपनिवेशवाद के साथ हुआ। 18वीं और 19वीं सदी में ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार के साथ क्रिकेट भी दुनिया के कई हिस्सों में प्रसिद्ध हुआ । भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड जैसे देशों में यह खेल औपनिवेशिक अधिकारियों और ब्रिटिश सेना के माध्यम से पहुंचा, जिन्होंने स्थानीय लोगों को भी क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट का पहला दर्ज मैच 24 से 26 सितंबर 1844 के बीच न्यूयॉर्क के सेंट जॉर्ज क्रिकेट क्लब में कनाडा और अमेरिका के बीच खेला गया, जिसे दुनिया का पहला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच माना जाता है। इसके बाद 15 से 19 मार्च 1877 को ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच पहला आधिकारिक टेस्ट मैच खेला गया, जिसे ऑस्ट्रेलिया ने 45 रन से जीता था । क्रिकेट को संगठित रूप देने के लिए 15 जून 1909 को इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के प्रतिनिधियों की बैठक में 'इम्पीरियल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस' (ICC) की स्थापना हुई। जो शुरू में केवल इन तीन देशों तक सीमित थी, लेकिन समय के साथ इसमें अन्य देश भी शामिल होते गए।
भारत में क्रिकेट का आगमन
क्रिकेट का आगमन भारत में 18वीं सदी में ब्रिटिशों के जरिए हुआ और धीरे-धीरे यह खेल यहां लोकप्रिय होने लगा। माना जाता है कि 1721 में ब्रिटिश नाविकों ने बॉम्बे (वर्तमान मुंबई) में भारत का पहला दर्ज क्रिकेट मैच खेला, हालांकि इसके त प्रमाण सीमित हैं। भारत में क्रिकेट की शुरुआत का श्रेय पारसी समुदाय को जाता है, जिन्होंने 1848 में मुंबई में भारतीयों द्वारा स्थापित पहला क्रिकेट क्लब ‘ओरिएंटल क्रिकेट क्लब’ की स्थापना की। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ने अपना पहला क्रिकेट मैच 1932 खेला । यह पहला टेस्ट मैच इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स मैदान में खेला गया था । और इस तरह भारत टेस्ट क्रिकेट खेलने वाला दुनिया का छठा देश बना था।
विश्व कप और एकदिवसीय क्रिकेट का दौर
एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय (ODI) क्रिकेट की शुरुआत 1971 में हुई जब ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच पहला एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मुकाबला खेला गया । इसके बाद क्रिकेट का प्रारूप बदला और एक नए और तेज़तर प्रारूप को उगम हुआ । इसी प्रारूप में 1975 में इंग्लैंड ने पहला क्रिकेट विश्व कप, जिसे प्रूडेंशियल कप ’75 कहा गया, आयोजित किया था । इसमें कुल आठ टीमें शामिल हुईं और फाइनल मुकाबला वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के बीच लॉर्ड्स में खेला गया था। जहां क्लाइव लॉयड की कप्तानी में वेस्टइंडीज ने ऑस्ट्रेलिया को 17 रनों से हराकर खिताब अपने नाम किया था ।इसके बाद 1983 में कपिल देव की कप्तानी में भारत ने वेस्टइंडीज को मात देकर अपना पहला विश्व कप अपने नाम किया था । इस जीत के साथ न सिर्फ भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा बल्कि भारत में इस खेल को अभूतपूर्व लोकप्रियता भी दिलाई।
टी-20 का आगमन
टी-20 क्रिकेट का पेशेवर प्रारूप 2003 में शुरू हुआ जिसे इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) द्वारा घरेलू प्रतियोगिताओं के लिए शुरू किया गया। टी-20 क्रिकेट दर्शकों को तेज़, रोमांचक और मनोरंजक अनुभव देने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टी-20 क्रिकेट की शुरुआत 17 फरवरी 2005 को हुई जब ऑकलैंड में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला पुरुष टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेला गया। इस प्रारूप का पहला बड़ा वैश्विक टूर्नामेंट 2007 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित हुआ था, जहां भारत ने रोमांचक फाइनल मैच में पाकिस्तान को हराकर खिताब अपने नाम किया था । इस जीत के साथ भारत के क्रिकेट इतिहास में एक और यादगार पल दर्ज हुआ । इसके बाद 2008 में भारत में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की शुरुआत हुई, जिसने क्रिकेट में ग्लैमर, मनोरंजन और बड़े आर्थिक निवेश का नया दौर शुरू किया तथा टी-20 क्रिकेट ने विश्व स्तर पर अपार प्रसिद्धि हासिल की।
क्रिकेट इतिहास के महान खिलाड़ी
डॉन ब्रैडमैन (ऑस्ट्रेलिया) - क्रिकेट के इतिहास में डॉन ब्रैडमैन को अब तक का सबसे महान बल्लेबाज माना जाता है। उनका टेस्ट क्रिकेट में 99.94 का बल्लेबाजी औसत एक ऐसा अद्वितीय रिकॉर्ड है जिसे आज तक कोई खिलाड़ी पार नहीं कर सका। यह आंकड़ा क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ और सबसे प्रतिष्ठित रिकॉर्ड्स में से एक है।
सचिन तेंदुलकर (भारत) - ‘क्रिकेट के भगवान’ कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक लगाने का अभूतपूर्व कारनामा किया है । उनकी तकनीक, निरंतरता और लंबे करियर ने उन्हें विश्व क्रिकेट में एक अलग मुकाम पर पहुंचाया।
विव रिचर्ड्स (वेस्टइंडीज) - अपनी आक्रामक और डरावनी बल्लेबाजी के लिए मशहूर विव रिचर्ड्स को उनके दौर का सबसे खतरनाक बल्लेबाज माना जाता था। उन्होंने अपनी ताकतवर शॉट्स और आत्मविश्वास से गेंदबाजों पर दबदबा बनाया।
एमएस धोनी (भारत) - शांत स्वभाव और तेज़ रणनीतिक सोच के लिए प्रसिद्ध एमएस धोनी दुनिया के एकमात्र ऐसे कप्तान हैं, जिनकी कप्तानी में भारत ने तीनों बड़े टी-20 विश्व कप, ODI विश्व कप और ICC चैंपियंस ट्रॉफी जैसे आईसीसी खिताब जीते। उनकी कप्तानी ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
महिला क्रिकेट का इतिहास
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला क्रिकेट का आगाज 20वीं सदी की शुरुआत में शुरू हुआ जब दिसंबर 1934 में इंग्लैंड व ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला आधिकारिक महिला टेस्ट मैच खेला गया, जिसने महिला क्रिकेट को आधिकारिक पहचान दी। इसके बाद 1973 में इंग्लैंड में पहला महिला क्रिकेट विश्व कप आयोजित हुआ, जो पुरुष विश्व कप (1975) से भी दो साल पहले खेला गया था और इसने महिला क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई पहचान दिलाई। भारत में महिला क्रिकेट को व्यापक पहचान 2017 में मिली जब भारतीय महिला टीम ने महिला विश्व कप के फाइनल तक का शानदार सफर तय किया। जिससे देशभर में महिला क्रिकेट के प्रति उत्साह और लोकप्रियता में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली ।
क्रिकेट और आधुनिक बदलाव
तकनीकी और संरचनात्मक बदलावों ने क्रिकेट को आधुनिक रूप दिया है। 2008 में भारत और श्रीलंका के बीच परीक्षण के रूप में शुरू हुआ निर्णय समीक्षा प्रणाली (DRS) 2009 में ICC द्वारा आधिकारिक रूप से लागू किया गया। जिसमें स्निकोमीटर, हॉटस्पॉट और हॉक-आई जैसी तकनीकें शामिल हुई जो LBW और कैच जैसे निर्णयों को अधिक सटीक बनाती हैं। टेस्ट क्रिकेट में पारंपरिक लाल गेंद के विकल्प के रूप में पिंक बॉल का इस्तेमाल दिन-रात्रि मैचों में बेहतर दृश्यता और दर्शनीयता के लिए किया जाता है। इसके अलावा 2008 में शुरू हुई इंडियन प्रीमियर लीग (IPL), ऑस्ट्रेलिया की बिग बैश लीग (BBL) और वेस्टइंडीज की कैरेबियन प्रीमियर लीग (CPL) जैसी फ्रेंचाइज़ी आधारित लीगों ने क्रिकेट को नया आर्थिक और मनोरंजनात्मक आयाम दिया। तथा वैश्विक स्तर पर क्रिकेट की लोकप्रियता, निवेश और दर्शक जुड़ाव को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया ।
भारत में क्रिकेट जूनून
भारत में क्रिकेट केवल एक खेल नहीं एक सांस्कृतिक सेतु है जिसने राजनीति, धर्म, जाति और भाषा की सीमाओं को पार कर पूरे देश को जोड़ा है। 1983 में कपिल देव की कप्तानी में मिली अनपेक्षित विश्व कप जीत ने देश में क्रिकेट के प्रति जुनून को अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया था । इसके बाद 2011 में महेंद्र सिंह धोनी के विजयी छक्के के साथ भारत की दूसरी विश्व कप जीत ने फिर से क्रिकेट ने पूरे देश को एकजुट कर दिया, मानो पूरा राष्ट्र एक ही जश्न में डूब गया हो। यह ऐतिहासिक पल भारतीय क्रिकेट को, प्रत्येक भारतीय के दिल में खास और भावनात्मक रूप से अमर बना चुके हैं।
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