2026 से बदल जाएगा 5-Star सेफ्टी का मतलब, Euro NCAP ने कसे टचस्क्रीन पर शिकंजा

2026 से Euro NCAP के नए सेफ्टी नियम लागू होंगे, जिनमें टचस्क्रीन कंट्रोल्स पर शिकंजा और ड्राइवर मॉनिटरिंग सिस्टम अनिवार्य किया गया है। अब 5-Star रेटिंग के लिए कारों को केवल क्रैश-सुरक्षा नहीं, बल्कि ध्यान-सुरक्षा और प्रीवेंटिव टेक्नोलॉजी भी साबित करनी होगी।

Jyotsana Singh
Published on: 27 Oct 2025 2:14 PM IST
Euro NCAP 2026
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Euro NCAP 2026 (Image Credit-Social Media)

Euro NCAP 2026: तकनीकी क्रांति के साथ ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री तेजी से बदलाव की ओर अग्रसर होता जा रहा है। इलेक्ट्रिक वाहनों के आगमन के साथ ही एडवांस फीचर्स की बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच हाल ही में यूरोप की प्रमुख वाहन सुरक्षा एजेंसी Euro NCAP ने 2026 से ऐसे नए सेफ्टी प्रोटोकॉल लागू करने का ऐलान किया है, जो आने वाले समय में कारों की डिजाइन, फीचर्स और ड्राइविंग एक्सपीरियंस सब कुछ बदल देंगे। अब कारों को सिर्फ 'क्रैश में सुरक्षित' होना काफी नहीं होगा, बल्कि उन्हें ऐसी तकनीक और संरचना के साथ तैयार⁶ और ⁷किया जाना होगा जो दुर्घटना होने से पहले ही उसे रोक सके। यानी अब सेफ्टी का मतलब सिर्फ एयरबैग या क्रंपल ज़ोन नहीं, बल्कि फुल-टाइम इंटेलिजेंट सेफ्टी होगा। आइए जानते हैं Euro NCAP के इस नए नियम के बारे में -

ड्राइवर और केबिन डिजाइन पर रहेगा कड़ा फोकस


Euro NCAP के नए प्रोटोकॉल में सबसे बड़ा बदलाव ड्राइवर-सेंट्रिक डिजाइन को लेकर है। आज की आधुनिक कारों में लगभग हर नियंत्रण एसी, नेविगेशन, म्यूज़िक, यहां तक कि हैज़र्ड लाइट- टचस्क्रीन पर शिफ्ट हो चुके हैं। इससे ड्राइवर को हर बार स्क्रीन की ओर देखना पड़ता है, जिससे ध्यान सड़क से हट जाता है। एजेंसी के आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ दो सेकंड का ध्यान भटकना भी गंभीर हादसे का कारण बन सकता है। इसलिए अब कार कंपनियों को यह साबित करना होगा कि उनके इंटीरियर ड्राइवर का ध्यान भटकाए बिना संचालित किए जा सकते हैं। अब जिन कारों में हर ज़रूरी कंट्रोल टचस्क्रीन मेनू के अंदर छिपे हैं, उन्हें Euro NCAP की रेटिंग में दंड मिलेगा। यानी भविष्य की सुरक्षित कारें सिर्फ सुंदर स्क्रीन और डिजिटल लुक पर नहीं, बल्कि फिजिकल बटन, टैक्टाइल फीडबैक और एर्गोनॉमिक लेआउट जैसे जरूरी फीचर्स के साथ सहज और स्पर्श आधारित नियंत्रणों पर आधारित होंगी।

ड्राइवर मॉनिटरिंग सिस्टम बनेगा अनिवार्य

अब कारों में केवल बाहरी सेंसर या कैमरा नहीं, बल्कि इंसान की हर गतिविधि पर नजर रखने वाले सिस्टम भी होंगे। Driver Monitoring System (DMS) अब हर नई कार का मानक हिस्सा बनेगा। यह सिस्टम ड्राइवर की आंखों की हरकत, सिर की स्थिति और चेहरों के भावों से यह पहचान लेगा कि, चालक थका हुआ है, ध्यान भटका है या नशे की हालत में है।

सिस्टम ड्राइवर को तुरंत चेतावनी देगा या ज़रूरत पड़ने पर स्वतः ब्रेकिंग जैसी कार्रवाई करेगा। साथ ही, चाइल्ड प्रेजेंस सेंसर, सीट बेल्ट रिमाइंडर और एडवांस एयरबैग्स जैसी तकनीकों को भी अब ज्यादा महत्व मिलेगा। यानी अब Euro NCAP रेटिंग केवल टक्कर की स्थिति में सुरक्षा नहीं मापेगी, बल्कि यह देखेगी कि कार टक्कर होने से पहले क्या कदम उठाती है।

वाहन निर्माताओं के लिए नई चुनौती


कार कंपनियों के लिए यह बदलाव किसी परीक्षा से कम नहीं है। अब उन्हें अपने इंटीरियर डिजाइन, कंट्रोल प्लेसमेंट और सॉफ्टवेयर इंटरफेस को पूरी तरह से नए सिरे से सोचना होगा। पहले जहां बड़े-बड़े टचस्क्रीन और मिनिमलिस्टिक इंटीरियर मॉडर्न कहे जाते थे, अब वही डिजाइन रेटिंग में नुकसान पहुंचा सकते हैं। यूरोपीय बाजारों में 5-स्टार रेटिंग न मिलने का मतलब होता है ग्राहक-विश्वास में कमी। इसलिए BMW, Volkswagen, Volvo और Hyundai जैसी कंपनियाँ पहले से ही अपने मॉडलों में फिजिकल बटन, स्मार्ट रोटरी कंट्रोल और एडवांस DMS तकनीक जोड़ने लगी हैं। इसका असर एशियाई बाजारों में भी दिखेगा, क्योंकि Euro NCAP मानक वैश्विक रुझान तय करते हैं।

इस नियम के लागू होने से ग्राहकों के लिए क्या बदलेगा

आने वाले सालों में जब ग्राहक कार खरीदने जाएंगे, तो उन्हें केवल 5-स्टार रेटिंग देखना पर्याप्त नहीं होगा। अब यह भी देखना पड़ेगा कि उस कार में ड्राइवर मॉनिटरिंग सिस्टम, फिजिकल कंट्रोल्स, सीट बेल्ट रिमाइंडर, और इमरजेंसी कॉल जैसी सुविधाएं हैं या नहीं।

साथ ही, अब निचले वेरिएंट्स में ये सभी फीचर्स मौजूद होंगे या नहीं यह भी देखना महत्वपूर्ण होगा। पहले कई कंपनियां सेफ्टी टेक्नोलॉजी केवल टॉप मॉडल में देती थीं, लेकिन Euro NCAP के नए प्रोटोकॉल इसे पूरे लाइन-अप में समान रूप से लागू करने को कह रहे हैं। इसका सीधा फायदा ग्राहकों को मिलेगा क्योंकि अब हर कार, चाहे वह एंट्री-लेवल हो या लग्जरी सेडान, समान रूप से सुरक्षित होगी।

Euro NCAP के 2026 प्रोटोकॉल ने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए एक नया मानक तय कर दिया है 'सेफ्टी इज़ नॉट एन फीचर, इट्स एन बिहेवियर।' अब कार डिजाइन का फोकस सिर्फ क्रैश से बचने पर नहीं, बल्कि क्रैश को रोकने की तैयारी पर होगा।

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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

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मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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