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Dream11 और MPL को तगड़ा झटका! पीएम मोदी के 'नौसिखिए' वाले मज़ाक के पीछे छुपा था बड़ा मैसेज, यहां जानें डिटेल में...
भारत सरकार ने रियल मनी पर आधारित गेमिंग पर पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया है। इस फैसले से Dream11, MPL, Zupee जैसी कंपनियों को तगड़ा झटका लगा है।
Online Gaming Ban India (PHOTO: SOCIAL MEDIA)
Online Gaming Ban India: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अप्रैल को देश के प्रसिद्ध गेमर्स से मुलाकात की थी। उस वक़्त प्रधानमंत्री और गेमर्स की बातचीत बेहद सामान्य रूप से हुई थी। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने ठहाका लगाकर 'नौसिखिया' शब्द का प्रयोग किया था। लेकिन इस मज़ाकिया अंदाज़ के पीछे एक संवेदनशील संदेश छिपा हुआ था। दरअसल, भारत के ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर पर सरकार खुद पीएम मोदी की देखरेख में नीति बना रही थी। अब हाल ही में संसद से पारित और राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिलने के बाद ऑनलाइन गेमिंग पर नया क़ानून लागू कर दिया गया है। अब भारत सरकार ने रियल मनी पर आधारित गेमिंग पर पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया है। इस फैसले से Dream11, MPL, Zupee जैसी कंपनियों को तगड़ा झटका लगा है।
दरअसल, प्रधानमंत्री केवल जॉब्स या ग्लोबल उपलब्धियों के वादों से ही नहीं, बल्कि उन परिवारों की गंभीर अपीलों से भी प्रेरित हुए, जिन्होंने ऑनलाइन मनी गेम्स में अपने कई रिश्तेदारों को खोया। ई-स्पोर्ट्स का सपना देखने वाले युवाओं की कहानियों के साथ कर्ज़, ख़राब लत और निराशा की सच्चाई भी जुड़ी थी। इसी मुद्दे पर वित्त, खेल और IT मंत्रालय ने मिलकर एक खाका बनाया कर प्रधानमंत्री से चर्चा की।
सरकार के नए ऑनलाइन गेमिंग कानून ने अब पूरे देश में तगड़ी और गंभीर बहस छेड़ दी है। एक ओर माता-पिता और कार्यकर्ता जुए-शैली के पैसे वाले खेलों और असली ई-स्पोर्ट्स के बीच एक शक्तिशाली दीवार बनाने की मांग कर रहे थे। तो वहीं, दूसरी ओर तकनीकी स्टार्टअप, पेशेवर खिलाड़ी और निवेशक हर चीज़ को एक ही नज़र से आंकने के ख़िलाफ़ अलर्ट कर रहे थे। जानकारी के अनुसार, बीते कुछ महीनों में ऑनलाइन गेमिंग पर 360° नज़रिया हासिल करने के लिए विशेषज्ञ ग्रुप्स, अभिभावकों, ED, DRI जैसी एजेंसियों, बैंकों और गेमिंग उद्योग के साथ गंभीरटता से विचार-विमर्श किया गया।
यदि आंकड़ों की बात की जाए तो भारत में लगभग 48.8 करोड़ लोग ऑनलाइन गेमिंग कर रहे हैं और साल 2025 तक यह संख्या बढ़कर करीब 51.7 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। पूरे विश्व में ई-स्पोर्ट्स दर्शकों की संख्या 2025 तक लगभग 64 करोड़ के ऊपर चली जाएगी, जिसमें भारत सबसे बड़े दर्शकों में से एक होगा। बता दे, साल 2024 में गेमिंग स्टार्टअप्स ने लगभग 3000 करोड़ का निवेश किया था और अब यह 2025 में बढ़कर तकरीबन 5000 करोड़ हो सकता है।
ऑनलाइन गेमिंग का स्याह पक्ष
सरकार ने अनुमान लगाया है कि करीब 45 करोड़ भारतीय सलाना करीब 20000 करोड़ रुपये वास्तविक मनी गेम्स में लगा देते हैं। ये पैसा इतना ज्यादा है कि इन पैसों से सब बन सकता है - 500 बिस्तरों वाले 2000 अस्पताल या 200 यूनिवर्सिटीज या 2000 किलोमीटर लंबा हाईवे या 40000 विद्युतीकरण वाले गांव। इसके बजाय ये पैसा सट्टेबाज़ी ऐप्स में बर्बाद किया जा रहा है।
ऑनलाइन गेमिंग में नुकसान के बाद सामने आईं कई मानवीय घटना
- कर्नाटकः केवल 3 वर्षों में गेमिंग के कर्ज़ से जुड़ी तकरीबन 18 लोग आत्महत्या कर चुके हैं।
- मैसूर: 80 लाख गंवाने के बाद एक ही परिवार के 3 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी।
- मध्य प्रदेश: लगभग 35 हज़ार के भारी नुकसान के बाद एक 17 साल के लड़के ने अपनी जान दे दी
- राजस्थान: एक व्यक्ति ने कथित तौर पर ऑनलाइन कर्ज़ चुकाने के कारण अपनी दादी का गला दबा कर मार डाला।
- मुंबई: एक महिला ने 2 लाख जीतने के बाद 9 लाख के कर्ज़ में डूब गयी, और फिर आत्महत्या करने की कोशिश की।
- हैदराबाद: एक डाक कर्मचारी ने 15 लाख बर्बाद करने के बाद प्रधानमंत्री से सट्टेबाजी ऐप्स को प्रतिबंधित करने की गुहार लगाते हुए एक नोट छोड़ा
ई-स्पोर्ट्स का उजला पक्ष
इन सभी मामलों के बाद भी ऑनलाइन गेमिंग को पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता। सट्टेबाजी ऐप्स के उल्टा ई-स्पोर्ट्स वैध उद्योग है, जो करीब 1.5 लाख से ज्यादा लोगों को नौकरी दे रहा है और साल 2030 तक यह आंकड़ा दोगुना होने की पूरी सम्भावना है। इसमें टियर-2 और टियर-3 शहरों से भी बड़ी हिस्सेदारी है और भारतीय गेम्स अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निरंतर पहचान बना रहे हैं।
क्या है सरकार का खाका?
सरकार का ब्लूप्रिंट दो पहलुओं पर डिपेंड करता है। पहला- गैरकानूनी और नुकसानदेह मनी गेम्स पर सख्ती। दूसरा- ई-स्पोर्ट्स को एक उद्योग और सॉफ्ट पावर के रूप में बढ़ावा देना। जो आंकड़े हमने आपको बताये हैं वो पूरी तरह से सच हैं क्योंकि आंकड़े कभी भी झूठ नहीं बोलते। नुकसान बहुत गंभीर है, लेकिन मौके भी उतने ही बड़े हैं। उस वक़्त अप्रैल महीने की दोपहर से एक बात स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही खुद को 'नौसिखिया' कहा हो, लेकिन नीतिगत दृष्टि से वे इसे पेशेवर स्तर पर खेल रहे हैं।
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