TRENDING TAGS :
Tamil Nadu Mysterious Places: तमिलनाडु के ये रहस्यमयी स्थल हैरान कर देंगे आपको, आज तक नहीं सुलझे इनके रहस्य
Tamil Nadu Mysterious Places: दक्षिण भारत का तमिलनाडु न सिर्फ अपनी मंदिरों की भव्यता और ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां कुछ ऐसे रहस्यमयी स्थान भी मौजूद हैं।
Tamil Nadu Mysterious Places Story
Mysterious Places of Tamil Nadu: भारत रहस्यों की धरती है। यहां एक से बढ़कर एक चमत्कारी और अविश्वसनीय स्थल हैं, जिनका वैज्ञानिक तौर पर कोई ठोस जवाब आज तक नहीं मिल पाया। दक्षिण भारत का तमिलनाडु न सिर्फ अपनी मंदिरों की भव्यता और ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां कुछ ऐसे रहस्यमयी स्थान भी मौजूद हैं, जो विज्ञान और आधुनिक तकनीक के इस युग में भी लोगों को हैरान करते हैं। इन स्थलों से जुड़ी मान्यताएं, परंपराएं और कहानियां जितनी अजूबी हैं, उतनी ही गूढ़ भी। तमिलनाडु के कुछ ऐसे अनोखे मंदिर और स्थल है जिनकी रहस्यमय घटनाएं आज भी चर्चा का विषय बनी हुई हैं, आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से।
सिक्कल सिंगारवेलावर मंदिर- जहां पसीना बहाती है देव प्रतिमा
स्थान: नागपट्टिनम, तमिलनाडु
तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले में स्थित सिक्कल सिंगारवेलावर मंदिर भगवान मुरुगन (सुब्रमण्यम) को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है। लेकिन इसे खास बनाता है यहां होने वाला चमत्कार। यहां भगवान मुरुगन की पत्थर की मूर्ति से हर साल पसीना निकलता है।
क्या है रहस्य
हर साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में मंदिर में एक खास त्योहार मनाया जाता है। इस दौरान जैसे ही भगवान मुरुगन को 'वेल' (भाला) अर्पित किया जाता है, वैसे ही मूर्ति से पसीना निकलने लगता है। यह दृश्य सैकड़ों श्रद्धालु अपनी आंखों से देखते हैं। त्योहार की समाप्ति के बाद मूर्ति से पसीना आना बंद हो जाता है।
माना जाता है कि राक्षस सुरपद्मन को मारने के लिए भगवान मुरुगन जब युद्ध में उतरे, तो उनका क्रोध इतना प्रचंड था कि उन्हें पसीना आने लगा। यह घटना आज भी इस मंदिर में हर साल दोहराई जाती है।
इस मंदिर की वास्तुशिल्प की विशेषता
द्रविड़ शैली में बना यह मंदिर शानदार शिल्पकारी और नक्काशी का उदाहरण है। मंदिर के गोपुरम (मुख्य द्वार) पर पत्थरों को बेहद करीने से तराशकर कलात्मक शैली में देवी-देवताओं की भव्य मूर्तियां उकेरी गई हैं। जिन्हें देखकर आज लोग अचंभित हो जाते हैं।
नचियारकोइल काल गरुड़ मंदिर-जहां मूर्ति का वजन खुद बदलता है
स्थान - कुंभकोणम, तमिलनाडु
नचियारकोइल का काल गरुड़ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर में गरुड़ की एक खास मूर्ति है जिसे 'काल गरुड़' कहा जाता है। यह मूर्ति न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि एक रहस्यमयी घटना के कारण भी प्रसिद्ध है।
क्या है रहस्य?
वर्षों से चली आ रही परम्परा के मुताबिक जब इस मूर्ति को मंदिर से बाहर जुलूस में ले जाया जाता है, तो इसका वजन बढ़ता जाता है। बताया जाता है कि जब यह मूर्ति बाहर निकलती है, तो इसे उठाने के लिए क्रमशः 4, 8, 16 और फिर 32 लोग लगते हैं। और जैसे ही मूर्ति मंदिर में वापस आती है, उसका वजन कम होता चला जाता है।
वैज्ञानिक क्या कहते हैं?
इस घटना के पीछे कोई ठोस वैज्ञानिक कारण आज तक सामने नहीं आया है। कुछ वैज्ञानिक इसे मूर्ति की बनावट और संतुलन से जोड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन कोई भी जवाब पूरी तरह से संतोषजनक नहीं है।
मंदिर की विशेषता
द्रविड़ वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण यह मंदिर अपने कलात्मक पत्थरों, नक्काशी और गरुड़ की अद्वितीय मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है।
कृष्णा बटर बॉल – हजारों सालों से टिका रहस्य
स्थान- महाबलीपुरम, तमिलनाडु
महाबलीपुरम UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट है, जहां कई प्राचीन मंदिर और शिल्पकृतियां स्थित हैं। लेकिन इन सबमें सबसे ज्यादा रहस्यमयी है 'कृष्णा बटर बॉल'।
इस पत्थर में क्या है खास?
यह लगभग 6 मीटर ऊंचा और 5 मीटर चौड़ा एक गोलाकार ग्रेनाइट पत्थर है। जो खड़ी ढलान पर हजारों सालों से बिना गिरे टिका हुआ है। यह चट्टान अपनी जगह से न तो खिसकती है, न ही गिरती है, चाहे बारिश हो, तूफान या भूकंप। जो इसे देखने आए सैलानियों के बीच एक रहस्य का विषय बनी हुई है।
इस पत्थर से जुड़ी इतिहास की एक दिलचस्प घटना
1908 में मद्रास के गवर्नर ने सुरक्षा कारणों से इस पत्थर को हटवाने की कोशिश की और इसके लिए 7 हाथियों की मदद ली गई। लेकिन यह पत्थर अपनी जगह से नहीं हिला। तभी से इसे 'कृष्णा बटर बॉल' कहा जाने लगा, मानो यह भगवान कृष्ण का मक्खन हो।
वहीं स्थानीय लोग मानते हैं कि यह भगवान विष्णु की कृपा का चमत्कार है, कुछ इसे दैवीय चमत्कार कहते हैं।
रामसेतु- समुद्र पर बना वह पुल जो विज्ञान भी नहीं समझ पाया
स्थान- रामेश्वरम से मन्नार द्वीप तक
रामसेतु या 'एडम्स ब्रिज' भारत और श्रीलंका के बीच फैला एक 30 किलोमीटर लंबा पत्थरों का पुल है, जो आज भी समुद्र के बीचों-बीच देखा जा सकता है। इसे देखकर हर कोई चकित रह जाता है।
क्या है मान्यता?
हिंदू पौराणिक ग्रंथ रामायण के अनुसार, भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई के समय वानर सेना के साथ मिलकर समुद्र पर एक पुल बनाया था ताकि वे रावण की नगरी तक पहुंच सकें। नल-नील नामक दो वानरों को पुल निर्माण का श्रेय दिया जाता है।
क्या है वैज्ञानिक मत?
कुछ वैज्ञानिक इसे रेत की एक प्राकृतिक श्रृंखला मानते हैं, लेकिन आज तक यह स्पष्ट नहीं हो सका कि ये तैरते हुए पत्थर वास्तव में कैसे बने। NASA के कुछ सैटेलाइट इमेज इस पुल के अस्तित्व की पुष्टि करते हैं, वहीं वैज्ञानिक तैरते पत्थरों की प्रक्रिया को अब तक नहीं समझ पाए हैं।
धनुषकोडी- एक उजड़ा हुआ रहस्यमयी शहर
स्थान- रामेश्वरम के अंतिम छोर पर।
तमिलनाडु का यह एकमात्र ऐसा शहर है जो कभी बेहद समृद्ध हुआ करता था लेकिन अब पूरी तरह उजड़ चुका है।
क्या है रहस्य?
1964 में आए भयानक चक्रवात ने पूरे धनुषकोडी शहर को तहस-नहस कर दिया। ट्रेन, घर, स्कूल सबकुछ समुद्र में समा गया। तब से इस शहर को 'भूतिया' और 'श्रापित' कहा जाने लगा। यहां तक कि आज भी वहां कोई नहीं रहता, लेकिन उसके खंडहर और बचे अवशेष इस शहर के अतीत की कहानी जरूर कहते हैं।
धार्मिक मान्यता
माना जाता है कि, यही वह स्थान है जहां से रामसेतु की शुरुआत हुई थी। जहां भगवान राम ने अपने धनुष से समुद्र को विभाजित कर पुल बनाया था। इसलिए इसे 'धनुष-कोडी' कहा गया।
धार्मिक महत्व
रामेश्वरम और धनुषकोडी दोनों स्थान हिंदुओं के लिए अत्यंत पवित्र हैं। यहां हज़ारों श्रद्धालु स्नान करने और रामसेतु के दर्शन हेतु आते हैं।
तमिलनाडु का रहस्य और आस्था का यह संगम हर किसी को रोमांचित कर देता है। इन स्थलों की भव्यता और उनसे जुड़ी कहानियां आज भी लोगों को अपनी ओर खींचती हैं। यहां की वास्तुकला, धार्मिक मान्यताएं और प्राकृतिक घटनाएं न केवल आस्था को मजबूती देती हैं बल्कि यह सोचने पर भी मजबूर करती हैं कि क्या सचमुच आज भी विज्ञान हर रहस्य को समझ सकने में कई जगह पर असमर्थ है?
इन जगहों पर जाकर कोई भी व्यक्ति न केवल अध्यात्म में डूब जाता है, बल्कि रहस्यों की दुनिया में भी कदम रख देता है। तो इस बार जब आप तमिलनाडु जाएं, तो इन रहस्यमयी स्थलों की यात्रा करना न भूलें।
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!