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हम कीड़े-मकोड़े नहीं है...न्याय करो..., 69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों ने घेरा डिप्टी सीएम का आवास, मचा हंगामा
69000 Teacher Recruitment: मंगलवार को अभ्यर्थी राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के आवास पहुंचे और घेराव करते हुए जमकर हंगामा किया।
69000 Teacher Recruitment
69000 Teacher Recruitment: राजधानी लखनऊ में 69000 शिक्षक भर्ती के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी है। सोमवार को अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास का घेराव करते हुए नारेबाजी की थी। मंगलवार को अभ्यर्थी राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के आवास पहुंचे और घेराव करते हुए जमकर हंगामा किया। साथ ही नारेबाजी भी की। शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों के प्रदर्शन को लेकर मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल भी पहुंच गयी है और अभ्यर्थियों को समझाने में जुटी हुई है।
अभ्यर्थियों का कहना है कि 69000 शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी हुई है। जिसके चलते आरक्षित वर्ग के हजारों अभ्यर्थी नौकरी से वंचित रह गए। इस मामले की उच्च न्यायालय में लंबी सुनवाई हुई और कोर्ट की तरफ से उनके पक्ष में फैसला आया। लेकिन, इसके बाद भी सरकार की ओर से लापरवाही बरती जा रही है। सरकार कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रही है। अब यह मामला उच्चतम न्यायालय में है। जहां सरकार उच्चतम न्यायालय में भी पक्ष रखने से पीछे हट रही है।
69000 शिक्षक भर्ती के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि साल 2018 में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू की गयी थी। जब परिणाम आया तो व्यापक स्तर पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हुआ और नौकरी से वंचित कर दिया गया। अभ्यर्थियों ने न्याय की आस में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। जहां 13 अगस्त 2024 को लंबे आंदोलन और न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद लखनऊ उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हित में निर्णय फैसला सुनाया।
कोर्ट ने सरकार को यह आदेश दिया कि नियमों का पालन करते हुए तीन माह के भीतर अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का आदेश दिया जाए। लेकिन इसके बाद भी सरकार लगातार लापरवाही बरत रही है। अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट में अब तक 20 से ज्यादा तारीखें लग चुकी है, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी। सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी हीलाहवाली कर रही है। जिसके बाद अभ्यर्थियों को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा। हम कोई कीड़े-मकोड़े नहीं है। हमारे साथ भी न्याय होना चाहिए।
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