Political News: मंदिरों पर सरकारी दखल को लेकर अखिलेश का बड़ा बयान: श्रद्धालुओं की आस्था और परंपरा से खिलवाड़

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मंदिरों पर सरकारी प्रशासन के माध्यम से अप्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित किया जा रहा है।

Virat Sharma
Published on: 27 May 2025 7:48 PM IST
Lucknow News
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Samajwadi Party, Chief, Akhilesh Yadav 

Lucknow Today News: यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मंदिरों पर सरकारी प्रशासन के माध्यम से अप्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित किया जा रहा है। अखिलेश ने इस हस्तक्षेप को मंदिरों की परंपरा और आस्था पर सीधा आघात बताते हुए कहा कि मंदिरों का संचालन सैकड़ों वर्षों से श्रद्धालु भावनाओं से ओतप्रोत परंपरागत व्यवस्थाओं के तहत होता आया है, पर बीजेपी सरकार इन व्यवस्थाओं को खत्म कर सरकारी दखल को बढ़ावा दे रही है।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि जो लोग वर्षों से आस्था और सेवा भाव के साथ इन मंदिरों का प्रबंधन करते आए हैं, उनसे उनका अधिकार छीना जा रहा है और यह संदेश दिया जा रहा है कि वे सक्षम नहीं हैं या उनका संचालन त्रुटिपूर्ण है।

धार्मिक सेवा को पेशेवर लाभ का जरिया बना रही भाजपा

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मंदिरों में श्रद्धालु जो दान-पुण्य करते हैं, उसका उपयोग धार्मिक कार्यों, प्रसाद, सुरक्षा, धर्मशाला और जन-सुविधाओं के लिए होता रहा है। यह कार्य उन्हीं लोगों के द्वारा बेहतर तरीके से संभव है, जिनका धर्म और आस्था से गहरा जुड़ाव है। उन्होंने प्रशासनिक हस्तक्षेप पर सवाल उठाते हुए कहा कि बाहरी और पेशेवर लोग इन कार्यों को लाभ-हानि के पैमाने पर तौलते हैं, उनके लिए यह आस्था नहीं, अवसर होता है।

अखिलेश यादव ने कहा कि कुछ प्रशासनिक अधिकारियों ने तो मंदिर में चढ़ाए गए बेलपत्र तक बेच डाले। अखिलेश ने भारतीय जनता पार्टी और उनके संगी-साथियों को चेतावनी देते हुए कहा कि धर्म भलाई के लिए होता है, कमाई के लिए नहीं, मंदिरों पर बीजेपी के प्रशासनिक कब्जे की यह प्रक्रिया अनायास नहीं है, बल्कि यह सोची-समझी रणनीति है।

प्रशासनिक हस्तक्षेप, धार्मिक परंपरा के खिलाफ

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रशासनिक दखल को भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपरा के विरुद्ध बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि प्रशासनिक अधिकारियों में वह भावना कैसे आ सकती है, जो किसी सच्चे न्यासी में होती है। जो शासन के कृपापात्र होते हैं, वो ईश्वर के कृपापात्र नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि जबसे बीजेपी सत्ता में आई है, एक के बाद एक मंदिर प्रशासनिक नियंत्रण में आते जा रहे हैं।

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