Aligarh Ka ItIhas: उत्तर प्रदेश का गौरव अलीगढ़, जानिए इसका इतिहास, राजनीति और सामाजिक ताना-बाना

Aligarh Wikipedia History: यह लेख अलीगढ़ जिले के इतिहास, जनसंख्या, राजनीति और प्रशासनिक ढांचे की संपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।

Shivani Jawanjal
Published on: 1 Aug 2025 5:20 PM IST
Aligarh Ka ItIhas Wikipedia
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Aligarh Ka ItIhas Wikipedia: उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित अलीगढ़ जिला न केवल एक भौगोलिक इकाई है बल्कि यह इतिहास, संस्कृति, शिक्षा और औद्योगिक पहचान का अद्वितीय संगम भी है। यह जिला भारत ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर अपनी विशेष पहचान रखता है। चाहे वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के रूप में शिक्षा का प्रतिष्ठित केंद्र हो, या फिर विश्वविख्यात ताला उद्योग के कारण 'ताला नगरी' के रूप में इसकी औद्योगिक पहचान। अलीगढ़ का भौगोलिक स्थान भी इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है, क्योंकि यह दिल्ली और आगरा जैसे ऐतिहासिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहरों के बीच स्थित है। यह जिला अपनी गहरी ऐतिहासिक जड़ों, सांप्रदायिक सौहार्द्र, जीवंत राजनीतिक गतिविधियों और विविध सांस्कृतिक विरासत के कारण उत्तर भारत के सबसे विशिष्ट जिलों में से एक माना जाता है।

अलीगढ़ का संक्षिप्त इतिहास


अलीगढ़ का प्राचीन नाम ‘कोइल’ या ‘कोल’ था जो कभी पूरे क्षेत्र के लिए प्रयुक्त होता था। हालांकि इस नाम की उत्पत्ति स्पष्ट नहीं है, फिर भी यह क्षेत्र प्राचीन काल से आबाद रहा है और गंगा-यमुना दोआब में स्थित होने के कारण सांस्कृतिक रूप से अत्यंत समृद्ध रहा है। महाभारत या बौद्ध ग्रंथों में इस स्थान का प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं मिलता, किंतु स्थानीय जनश्रुतियों में इसे पांडवों के राज्य का हिस्सा बताया जाता है। मुगल काल में अलीगढ़ नाम की उत्पत्ति मीरज़ा नजफ खाँ से जुड़ी मानी जाती है। जिन्होंने 1773 में अपने सहयोगी अफ़रासियाब खाँ के साथ किले पर विजय प्राप्त कर इसे हज़रत अली के सम्मान में ‘अलीगढ़’ नाम दिया। इस किले का निर्माण संभवतः पहले से हो चुका था जिसे बाद में कई बार सुदृढ़ और पुनर्निर्मित किया गया। ब्रिटिश काल में अलीगढ़ शिक्षा और प्रशासन का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा। 1875 में सर सैयद अहमद खान द्वारा स्थापित मुहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज कालांतर में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के रूप में विकसित हुआ। यह संस्थान भारतीय मुस्लिम समाज में आधुनिक शिक्षा, प्रगतिशील सोच और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देने वाला एक ऐतिहासिक केंद्र बन गया।

क्षेत्र के प्रमुख नाम


अलीगढ़ जिले की प्रशासनिक व्यवस्था पाँच प्रमुख तहसीलों कोल (अलीगढ़ नगर), अतरौली, खैर, इगलास और गभाना के इर्द-गिर्द संगठित है। ये तहसीलें जिले की सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक गतिविधियों की रीढ़ मानी जाती हैं। अलीगढ़ नगर जो कि जिला मुख्यालय भी है, शिक्षा और उद्योग का प्रमुख केंद्र है।

खासकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के कारण इसकी राष्ट्रीय पहचान है। खैर, अतरौली, इगलास और गभाना जैसे नगर तहसीलों के स्थानीय प्रशासनिक और वाणिज्यिक केंद्र हैं। इनमें खैर और अतरौली ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं जबकि इगलास और गभाना व्यापारिक गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं। जिले में टप्पल, जवां, चंडौस, लोधा, धनीपुर, अकराबाद, बिजौली, और गोंडा जैसे क्षेत्र विकासखंड (ब्लॉक) के रूप में कार्य करते हैं। जो स्थानीय प्रशासन और ग्रामीण विकास का संचालन करते हैं।

अलीगढ़ जिले के करीब 1,170 गाँव और अनेक ग्राम पंचायतें इसकी सांस्कृतिक विविधता और ग्रामीण जीवनशैली की जीवंत झलक पेश करती हैं। विशेष रूप से अतरौली तहसील को संगीतकारों की भूमि कहा जाता है। क्योंकि यह उस्ताद अलाउद्दीन खान और उनके सुप्रसिद्ध पुत्र अली अकबर खान जैसे महान संगीतकारों से जुड़ी रही है। वहीं टप्पल हाल ही में चर्चित हुआ है क्योंकि यह निर्माणाधीन जेवर (नोएडा) अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट स्थित है, जिससे इसका रणनीतिक महत्व तेजी से बढ़ रहा है।

धार्मिक जनसंख्या और सांस्कृतिक समरसता

2011 की जनगणना के अनुसार, अलीगढ़ जिले की कुल जनसंख्या लगभग 36.74 लाख (3,673,849) थी। धार्मिक दृष्टि से यह जिला विविधता से परिपूर्ण है। जिले में हिंदू समुदाय की संख्या लगभग 59.2% है जिसे सामान्यतः 60% के आसपास माना जाता है। जबकि मुस्लिम समुदाय लगभग 38.7% जनसंख्या के साथ दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समूह है। इसके अतिरिक्त सिख (0.3%), ईसाई (~0.1%), जैन, बौद्ध और अन्य धर्मों की जनसंख्या लगभग 2% से भी कम है।

धार्मिक स्थलों की दृष्टि से अलीगढ़ में सभी समुदायों के लिए पूजा और आस्था के केंद्र मौजूद हैं। हिंदू समुदाय के लिए कालेश्वर महादेव मंदिर, महावीर मंदिर, दुर्गा मंदिर और बृजघाट जैसे धार्मिक स्थल प्रमुख हैं। जहाँ पर्व-त्योहारों के समय भव्य आयोजन होते हैं। वहीं मुस्लिम समुदाय के लिए शाह जमाल मस्जिद, जामा मस्जिद (AMU) और विभिन्न दरगाहों का विशेष धार्मिक महत्व है। यहाँ ईद, मुहर्रम, और अन्य इस्लामिक पर्वों को पूरे सम्मान के साथ मनाया जाता है।

धार्मिक विविधता के बावजूद अलीगढ़ की पहचान सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता के प्रतीक के रूप में बनी हुई है। हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच आपसी सहयोग, त्योहारों में सहभागिता और साझी परंपराओं ने इसे गंगा-जमुनी तहज़ीब का जीवंत उदाहरण बना दिया है।

जातिगत विवरण

अलीगढ़ जिले की सामाजिक संरचना जातिगत विविधता से समृद्ध है, जो यहाँ की राजनीति, समाज और प्रशासनिक नीतियों को गहराई से प्रभावित करती है। हिंदू समुदाय में प्रमुख जातियों में ब्राह्मण, राजपूत (ठाकुर), बनिया, जाट, लोधी, कुर्मी, वाल्मीकि, कोरी, पाल, पासी, निषाद, और धोबी शामिल हैं। इनमें से कुर्मी, लोधी, पाल, जाट, कोरी, धोबी, पासी और निषाद जैसी जातियाँ अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में आती हैं। जिनकी जनसंख्या जिले में उल्लेखनीय है और इनका गहरा राजनीतिक प्रभाव भी है। वहीं वाल्मीकि, कोरी, धोबी और पासी जैसी जातियाँ अनुसूचित जाति (SC) वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं जिनकी सामाजिक उपस्थिति भी महत्वपूर्ण है।

मुस्लिम समुदाय में शेख, सैयद, पठान, अंसारी (बुनकर/जुलाहा), कुरैशी (कसाई) और मल्लाह जैसे समुदाय प्रमुख हैं। जिले में सुन्नी मुसलमानों की संख्या अधिक है। लेकिन शिया समुदाय की भी ऐतिहासिक और सामाजिक उपस्थिति विशेष रूप से महसूस की जाती है। विशेषकर अंसारी समुदाय का कपड़ा व्यवसाय और सामाजिक संगठनात्मक ताकत जिले की मुस्लिम राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जातिगत समीकरण अलीगढ़ की चुनावी राजनीति का अभिन्न हिस्सा हैं और जातिगत समीकरण अलीगढ़ की राजनीति, चुनावी रणनीतियाँ, आरक्षण व कल्याणकारी योजनाओं के निर्धारण में अहम भूमिका निभाते हैं।

अलीगढ़ के सांसद एवं विधायक

अलीगढ़ लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद सतीश कुमार गौतम हैं, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रत्याशी के रूप में 2014, 2019, और 2024 लगातार तीन बार चुनाव जीतकर अपनी मजबूत राजनीतिक पकड़ साबित की है। वे जिले की राष्ट्रीय राजनीति में एक सशक्त और स्थायी प्रतिनिधि के रूप में स्थापित हो चुके हैं।

अलीगढ़ जिले में कुल 5 विधानसभा सीटें अलीगढ़, कोइल (कोल), अतरौली, खैर और बरौली आती हैं। इसके अतिरिक्त, इगलास और छर्रा विधानसभा क्षेत्र भी अलीगढ़ जिले का हिस्सा हैं लेकिन वे क्रमशः हाथरस और बुलंदशहर लोकसभा क्षेत्र में सम्मिलित हैं।

2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के अनुसार, इन विधानसभा क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक सभी BJP से संबंधित हैं: जिनमे

विजय सिंह(अलीगढ़), अनिल परमार(कोइल), संदीप सिंह(अतरौली)अनूप प्रधान(खैर), ठाकुर दलवीर सिंह(बरौली)राजकुमार सहयोगी(इगलास - हाथरस लोकसभा), रविन्द्र पाल सिंह (छर्रा - बुलंदशहर लोकसभा) इनका समावेश है । अलीगढ़ की वर्तमान राजनीति में BJP का दबदबा साफ दिखाई देता है, जहां लोकसभा और विधानसभा दोनों स्तरों पर पार्टी की पकड़ लगातार बनी हुई है।

अलीगढ़ के प्रमुख शासकीय कार्यालय और प्रशासनिक संरचना


अलीगढ़ जिले का प्रशासनिक ढांचा विभिन्न महत्वपूर्ण शासकीय कार्यालयों के माध्यम से सुचारू रूप से संचालित होता है, जो आम जनता की आवश्यकताओं और शासन की योजनाओं को ज़मीनी स्तर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। जिले का जिलाधिकारी कार्यालय (कलेक्टरेट) प्रशासन का मुख्य केंद्र है, जहाँ से सभी राजस्व, विकास और आपदा प्रबंधन संबंधित कार्य संचालित होते हैं। यह कार्यालय कचहरी परिसर में स्थित है ।

कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) का कार्यालय अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो तस्वीर महल के पास स्थित है । शहरी विकास और नगर नियोजन के लिए अलीगढ़ विकास प्राधिकरण (ADA) कार्यरत है। जिसके माध्यम से बुनियादी सुविधाओं और अधोसंरचना विकास की योजनाएं क्रियान्वित की जाती हैं।

नगर निगम अलीगढ़ शहर में नगर आयुक्त और अतिरिक्त नगर आयुक्त के माध्यम से नागरिक सेवाएं जैसे सफाई, जलापूर्ति, कचरा प्रबंधन आदि संचालित करता है। वहीं आयकर विभाग का स्थानीय कार्यालय जिले में कर संबंधित मामलों के समाधान और कर संग्रहण का कार्य करता है।

शिक्षा क्षेत्र में जिला शिक्षा अधिकारी (BSA) का कार्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो विद्यालयों की निगरानी और योजनाओं के क्रियान्वयन का कार्य करता है। जिला न्यायालय जो क्लॉक टॉवर, सिविल लाइन क्षेत्र में स्थित है जिले की न्यायिक प्रक्रियाओं का संचालन करता है।

स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत अलीगढ़ में जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज प्रमुख चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करते हैं जो शासन के अधीन चलते हैं। कृषि विभाग, PWD (लोक निर्माण विभाग) और विद्युत विभाग जैसे कार्यालय किसानों, बुनियादी ढांचे और ऊर्जा आपूर्ति से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये सभी कार्यालय शासन-प्रशासन की पारदर्शिता, दक्षता और जनकल्याण के उद्देश्य को साकार करते हैं।

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