Baghpat News: किसानों का हक दबाए बैठी मलकपुर शुगर मिल, करोड़ों का बकाया, किसान चिंतित, पेराई सत्र शुरू होने से पहले ही संकट गहराया

Baghpat News: बागपत की मलकपुर शुगर मिल पर 184 करोड़ रुपये से अधिक का गन्ना भुगतान बकाया है। पेराई सत्र शुरू होने से पहले किसानों में गहरी चिंता, प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग।

Paras Jain
Published on: 26 Oct 2025 3:47 PM IST (Updated on: 26 Oct 2025 4:08 PM IST)
Baghpat News: किसानों का हक दबाए बैठी मलकपुर शुगर मिल, करोड़ों का बकाया, किसान चिंतित, पेराई सत्र शुरू होने से पहले ही संकट गहराया
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Baghpat News: गन्ने की फसल खेतों में तैयार खड़ी है, नहरों से खेतों में पानी बह रहा है, लेकिन किसानों की आँखों में इस बार चमक नहीं, बल्कि चिंता की रेखाएँ साफ दिखाई दे रही हैं। कारण है — मलकपुर चीनी मिल का भारी बकाया। बड़ौत तहसील परिसर में लगाए गए टॉप बकायेदारों की सूची में मलकपुर शुगर मिल नंबर-1 बकायेदार के रूप में दर्ज है, जिस पर इस समय लगभग 184 करोड़ रुपये से अधिक का गन्ना भुगतान अटका हुआ है।

मलकपुर चीनी मिल इस समय जिले की सबसे बड़ी बकायेदार मिल के रूप में सामने आई है। बड़ौत तहसील परिसर में लगाए गए टॉप बकायेदारों की सूची में मलकपुर मिल का नाम सबसे ऊपर दर्ज है। यह स्थिति सिर्फ किसानों के लिए आर्थिक संकट का कारण नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की छवि धूमिल करने वाली है। किसानों का कहना है कि जब क्षेत्र में इतनी बड़ी मिल होते हुए भी समय पर भुगतान नहीं किया जाता, तो बाहर की दुनिया में संदेश जाता है कि यहाँ किसान की मेहनत की कोई क़ीमत नहीं। जिस गन्ने पर किसान महीनों पसीना बहाते हैं, उसी का पैसा पाने के लिए उन्हें दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

किसान संगठनों के लगातार दबाव और किसानों की नाराज़गी बढ़ने के बाद, जिलाधिकारी ने इस मामले को संज्ञान में लिया और बकायेदारों की सूची को सार्वजनिक रूप से बोर्ड पर प्रदर्शित करने का आदेश दिया। इसके बाद मलकपुर शुगर मिल का नाम आधिकारिक रूप से बोर्ड पर लिखकर जनता और किसानों के सामने उजागर किया गया। इससे साफ है कि जिला प्रशासन ने भी मिल की देरी और लापरवाही को गंभीरता से स्वीकार किया है। लेकिन किसानों का सवाल साफ है — नाम लिख देने से भुगतान हो जाएगा क्या? किसान अब केवल सूची और घोषणा नहीं, बल्कि भुगतान की तारीख और वास्तविक राशि अपने खाते में चाहते हैं।

यहाँ के किसान कहते हैं कि खेतों से गन्ना कटवाना आसान है, लेकिन कर्ज, मजदूरी और परिवार के खर्चों को बिना भुगतान के चलाना सबसे कठिन लड़ाई है। पिछले कई महीनों से किसान मिल के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन की फाइलें और वादा करने वाली मीटिंगें ही मिल रही हैं। एक ओर जहाँ जिला प्रशासन अन्य बड़े बकायेदारों पर सख्त रवैया अपनाता दिखा है, वहीं मलकपुर मिल के मामले में ढीलापन साफ दिखाई देता है।

नोटिस जारी होते हैं, तिथि तय होती है, लेकिन ज़मीन पर ठोस कार्रवाई नहीं होती। किसानों का कहना है कि यह रवैया इंसाफ़ की उम्मीद को कमजोर करता है।मिल का गत पेराई सत्र में बकाया पूर्व में 452.88 करोड़ रुपये तक पहुँच गया था, जिसे किस्तों में घटाकर अब 184 करोड़ पर लाया गया है। लेकिन किसानों को इंतज़ार आज भी उतना ही भारी लग रहा है। सूत्र बताते हैं कि मिल के गोदामों में चीनी का स्टॉक लगभग समाप्त है। यानी मिल प्रशासन को अब या तो नया ऋण उठाना पड़ेगा, या नए सत्र में बनने वाली चीनी को बेचने के बाद ही भुगतान होगा। यह प्रक्रिया समय लेगी, और किसानों की मुश्किलें और बढ़ेंगी।

जो किसान संगठन और रालोद पहले मिल प्रशासन के खिलाफ धड़ाधड़ प्रदर्शन करते थे, वे अब मौन हैं। किसानों का कहना है कि किसान की आवाज़ तब तक उठती है, जब तक वह सड़कों पर उतरता है। अब लगता है, हमारी तकलीफ़ सुनने वाला कोई नहीं है। वहीं कुछ किसानों का कहना है कि बिना पिछला भुगतान मिले गन्ना मंडी पर भेजना मजबूरी है, लेकिन मिल प्रशासन के वादों पर अब भरोसा करना कठिन है। किसानों की उम्मीदें अब उत्तर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन से हैं। सरकार ने स्पष्ट कहा है कि गन्ना भुगतान सर्वोच्च प्राथमिकता है, इसलिए किसानों की मांग है कि मिल प्रशासन को भुगतान की स्पष्ट तिथि घोषित करने को बाध्य किया जाए और यदि भुगतान में फिर देरी हो, तो कानूनी कार्रवाई की जाए।आपको बता दें कि कल यानी 27 अक्टूबर से मलकपुर शुगर मिल द्वारा गन्ना इंडेंट जारी होना शुरू हो रहा है, और किसान सिर्फ इस उम्मीद पर गन्ना डालेंगे कि शायद इस बार भुगतान समय पर हो जाए।

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